(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास सम्बंधी मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे)
संदर्भ
- केरल में हिंदू धर्म के अगड़ी जातियों के एक प्रमुख संगठन ‘नायर सर्विस सोसाइटी’ (एन.एस.एस.) के विरोध के कारण राज्य में अगड़ी जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सम्बंधी सर्वेक्षण का प्रथम प्रयास बाधित हो गया है क्योंकि एन.एस.एस. ने इसके मूल्यांकन पद्धति पर आपत्ति जताई है।
- केरल में महिला स्वयं सहायता समूह कुडुम्बश्री ने ‘हरिहरन नायर पैनल’ द्वारा निर्धारित शर्तों के आधार पर आर्थिक रूप से सर्वाधिक गरीब लक्षित समुदायों के मध्य एक सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया था।
योजना
- हरिहरन नायर पैनल ने एक नमूना सर्वेक्षण आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को दिये जाने वाले मौजूदा लाभों के साथ-साथ सूचीबद्ध उच्च समुदायों को भी लाभ प्रदान करने का एक प्रयास है।
- इसके तहत ग्राम स्तर के अधिकारियों तथा नागरिक समाज के प्रतिनिधियों की सहायता से लक्षित समुदायों में आर्थिक दृष्टि से सर्वाधिक पिछड़े परिवारों की पहचान की जाएगी। पैनल द्वारा राज्य के कुल वार्डों से प्रत्येक में से पाँच परिवारों को आर्थिक रूप से पिछड़े उच्च जाति समुदायों के 97,445 परिवारों को कवर करने की उम्मीद है।
- पैनल ने विस्तृत सर्वेक्षण की आवश्यकता पर एन.एस.एस. के विचारों से सहमति जताते हुए यादृच्छिक नमूना लेने का निर्णय किया। पैनल के अनुसार, इस नमूना सर्वेक्षण को आर्थिक रूप से पिछड़े उच्च समुदाय के समक्ष आने वाली कठिनाइयों को दूर करने का केवल एक अंतरिम उपाय माना जाएगा।
नायर सर्विस सोसाइटी का मुद्दा
- यादृच्छिक सर्वेक्षण (Random Sampling) करने का हरिहरन नायर पैनल का निर्णय एन.एस.एस. तथा एर्नाकुलम ज़िले के नायर समुदाय के लिये चिंता का विषय बना हुआ है। इन संगठनों का मानना है कि जनगणना की तर्ज पर एक व्यापक और विस्तृत सर्वेक्षण ही इस समुदाय से सम्बंधित वास्तविक मुद्दों को सामने ला सकता है।
- एन.एस.एस. ने रामकृष्ण पिल्लई पैनल की सिफारिशों के आधार पर सर्वेक्षण किये जाने का सुझाव दिया, जिसमें जनगणना के साथ ही सभी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक जनगणना की बात की गई थी। हालाँकि, राज्य सरकार ने इस सुझाव को नजरअंदाज कर दिया।
राज्य सरकार की सूची में शामिल समुदाय
- हाल ही में जारी एक सूची में केरल सरकार ने राज्य में अगड़ी जातियों की कुल संख्या 164 बताई है, जिसे केरल राज्य आयोग ने अगड़ी जातियों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये अंतिम रूप दिया था।
- अगड़ी जातियों में ईसाइयों के अतिरिक्त नायर समुदाय को सबसे बड़ा और संगठित समुदाय माना जाता है। अनुमानत: राज्य की कुल जनसंख्या में अगड़ी जाति के सभी समुदायों की हिस्सेदारी लगभग 32% तथा नायर समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 17% है किंतु इन वर्गों से संबंधित कोई प्रामाणिक डाटा उपलब्ध नहीं है।
- राज्य सरकार ने कुछ माह पूर्व अगड़ी समुदायों की सूची प्रकाशित की थी, जिसे सर्वप्रथम केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए. वी. रामकृष्ण पिल्लई आयोग ने संकलित किया था। हालाँकि, न्यायालय में एन.एस.एस. द्वारा अपील करने के पश्चात् इस सूची को केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एम. आर. हरिहरन नायर के नेतृत्व वाले आयोग ने पुनरीक्षित किया।
- इन समुदायों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रथम लाभ ‘आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये 10% आरक्षण’ के माध्यम से प्रदान किया गया।