प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, चुनाव आयोग, आधार कार्ड मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
संदर्भ:
आधार को अपने मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं का पंजीकरण प्रपत्र इसे स्पष्ट नहीं करता है कि यह स्वैच्छिक है या अनिवार्य।
मुख्य बिंदु:
- याचिका के अनुसार; फॉर्म 6, फॉर्म 6B और अन्य संबंधित प्रपत्रों में मतदाताओं के पास आधार नंबर प्रदान करने से मना करने के विकल्पों का अभाव है।
- चुनाव आयोग के अनुसार, आधार विवरण को अभी तक मतदाता पहचान पत्र से लिंक नहीं किया गया है।
- डुप्लिकेट मतदाताओं की जांच के लिए अभी तक इसका उपयोग भी नहीं किया गया है।
- आधार नंबर को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की समय सीमा 1 अप्रैल, 2023 थी।
- मार्च, 2023 में सरकार ने इसे बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर नवीनतम याचिका:
- वर्ष, 2023 में जी. निरंजन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
- इस याचिका में चुनाव आयोग और सरकार को फॉर्म में संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की गई।
- जो लोग अपने आधार और मतदाता पहचान पत्र को लिंक नहीं करना चाहते हैं, उनके पास इससे संबंधित विकल्प मौजूद हो।
- फॉर्म 6B में केवल दो विकल्प दिए गए हैं;
- या तो आधार नंबर प्रदान करें।
- या घोषणा करें कि आपके पास आधार कार्ड नहीं है।
- मतदाता अपना आधार विवरण नहीं देना चाहता है, तो उसे आधार कार्ड नहीं होने की झूठी घोषणा करनी पड़ेगी।
- ऐसा करना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत दंडनीय अपराध है।
- सितंबर, 2023 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह इसके लिए आवश्यक परिवर्तन करेगा।
चुनाव आयोग का प्रस्ताव और सरकार का रुख:
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- दिसंबर, 2023 में चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को एक पत्र लिखा।
- पत्र में चुनाव आयोग ने आधार नंबर प्रदान न करने के लिए "पर्याप्त कारण" की आवश्यकता को हटाने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 में संशोधन करने के लिए कहा गया था।
- सरकार से उस पंजीकरण फॉर्म में संशोधन करने के लिए भी कहा गया,
- जिस फॉर्म में उस व्यक्ति को कोई विकल्प नहीं दिया गया था, जिसके पास आधार नंबर तो है लेकिन वह इसे देना नहीं करना चाहता है।
- चुनाव आयोग ने आधार नंबर दें या न होने की घोषणा करने के स्थान पर "आधार नंबर (वैकल्पिक)" शब्द जोड़ने के लिए कानून में संशोधन करने को कहा।
- सरकार का कहना है कि संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है।
- चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण ही पर्याप्त है।
आधार नंबर को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के लिए चुनाव आयोग द्वारा पहली बार लिया गया निर्णय:
- तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा ने 15 फरवरी 2015 को घोषणा की कि चुनाव आयोग 1 मार्च, 2015 से आधार नंबर को मतदाता सूची डेटाबेस से जोड़ने के लिए एक अभियान शुरू करेगा।
- इस अभियान को अगस्त, 2015 तक पूरा किया जाना था।
- इसका उद्देश्य मतदाता सूची से फर्जी या डुप्लिकेट मतदाताओं को हटाना था।
- मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया था कि आधार नंबर देना स्वैच्छिक होगा।
- 11 अगस्त 2015 को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया कि आधार का उपयोग केवल खाद्यान्न, LPG, केरोसिन आदि सरकारी योजनाओं के वितरण के लिए किया जा सकता है।
- कोर्ट के इस निर्णय के बाद चुनाव आयोग ने अपना अभियान रोक दिया।
चुनाव आयोग ने आगे क्या किया:
- वर्ष, 2019 में चुनाव आयोग ने आधार नंबर को मतदाता सूची से जोड़ने का प्रस्ताव पुनः सरकार को दिया।
- उसने सरकार से आधार विवरण एकत्र करने के लिए चुनाव कानूनों में संशोधन करने को कहा।
- इसके बाद सरकार आधार और मतदाता पहचान पत्र को जोड़ने के लिए चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 लेकर आई।
- इस विधेयक को दिसंबर, 2021 में संसद द्वारा पारित कर दिया गया।
- कानून मंत्रालय ने 17 जून, 2022 को एक अधिसूचना जारी की कि प्रत्येक व्यक्ति जिसका नाम मतदाता सूची में है, आधार नंबर दे सकता है।
- इस अधिनियम के तहत चुनाव आयोग ने जुलाई, 2022 से स्वैच्छिक आधार पर आधार नंबर का संग्रह करना फिर से शुरू किया।
- इस बार मतदाताओं को अपना आधार नंबर देने के लिए चुनाव आयोग द्वारा दो नए फॉर्म प्रस्तुत किए गए;
- फॉर्म 6 - नए मतदाताओं को अपना नामांकन करने के लिए।
- फॉर्म 6B - नामांकित मतदाताओं का आधार नंबर एकत्र करने के लिए।
आधार (Aadhaar):
- भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला पहचान पत्र है।
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है।
- इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या होती है, जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अद्वितीय होती है।
- यह सिर्फ एक पहचान पत्र है, यह नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं है।
- वयस्कों के आधार कार्ड आमतौर पर सफेद रंग के होते हैं।
- आधार कार्ड में व्यक्तियों के पते और जन्म तिथि सहित जनसांख्यिकीय जानकारी के साथ-साथ उंगलियों के निशान और आईरिस स्कैन जैसी बायोमेट्रिक जानकारी भी शामिल होती है।
- कोई भी व्यक्ति आधार के लिए नामांकन करवा सकता है, जो-
- भारत का निवासी हो
- UIDAI द्वारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करता हो
- उसकी उम्र, लिंग, जाति, धर्म कुछ भी हो
- वर्ष 2010 में पहला आधार कार्ड जारी किया गया था।
चुनाव आयोग:
- इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी।
- यह एक संवैधानिक संस्था है, जो देश में चुनावों को संपन्न कराती है।
- संविधान के अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक चुनाव आयोग के बारे में प्रावधान किया गया है।
- अनुच्छेद 324- चुनावों को कराने, नियंत्रित करने, दिशानिर्देश देने, देखरेख की चुनाव आयोग की जिम्मेदारी।
- अनुच्छेद 325- धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष को वोटर लिस्ट में शामिल न करने और इनके आधार पर वोटिंग के लिए अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान।
- अनुच्छेद 326- लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के लिए चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा।
- अनुच्छेद 327- चुनाव से जुड़े प्रावधानों को लेकर संसद को कानून बनाने की शक्ति।
- अनुच्छेद 328- किसी राज्य के विधानमंडल को चुनाव से जुड़े कानून बनाने की शक्ति।
- अनुच्छेद 329- चुनाव से जुड़े मामलों में अदालतों के हस्तक्षेप पर अंकुश।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न:
प्रश्न: आधार कार्ड के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसे चुनाव आयोग द्वारा जारी किया जाता है।
- इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या होती है।
- यह नागरिकता का प्रमाणपत्र है।
उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर- (a)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:
प्रश्न- आधार को अपने मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक है, फिर भी इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों दायर की गई है? विवेचना कीजिए।
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