(प्रारंभिक परीक्षा : प्रश्नपत्र-1 : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)
चर्चा में क्यों
हाल ही में, भारतीय प्राणि सर्वेक्षण (ZSI) के वैज्ञानिकों ने बताया है कि अंडमान सागर के कुल तटीय क्षेत्रों के 83.6% तक बड़े पैमाने पर प्रवाल या मूंगे का नुकसान हो रहा है।
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिकों के अनुसार प्रवालों की सर्वाधिक क्षति दक्षिण अंडमान के क्षेत्र में लगभग 91.5% तक हुई है।
- जेड.एस.आई. के अनुसार वर्ष 2016 में अल नीनो की घटना एवं समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण व्यापक स्तर पर प्रवाल विरंजन की स्थिति उत्पन्न हुई है।
- अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि वर्ष 2016 में अंडमान सागर में विरंजन के कारण कुल 23.58% जीवों का नुकसान हुआ था।
अल नीनो
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अल नीनो एक जलवायु संबंधी स्थिति है जो मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के गर्म होने या समुद्र की सतह के औसत से ऊपर के तापमान को दर्शाता है। इसका समुद्र के तापमान, समुद्री धाराओं की गति और ताकत और तटीय मत्स्य पालन के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।
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प्रवाल या मूंगे की चट्टान
- समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में मूंगे की चट्टानों की कॉलोनियां होती हैं जो कैल्शियम कार्बोनेट से निर्मित होती हैं।
- ये स्वस्थ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये 25% समुद्री प्रजातियों के लिये भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं। इसके अलावा, प्रवाल तूफान और कटाव से समुद्र तट की भी रक्षा करते हैं।
प्रवालों पर संकट
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी हिंद महासागर में प्रवाल भित्तियाँ 50 वर्षों के भीतर समाप्त हो सकती है।
- हवाई मनोआ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया है कि दुनिया के मौजूदा प्रवाल भित्तियों में से लगभग 70 से 90% का अगले 20 वर्षों में लुप्त होने का अनुमान है।
प्रवाल विरंजन
- सामान्यत: प्रवाल चमकीले और रंगीन होते हैं। प्रवाल विरंजन तब होता है जब मूंगे अपने जीवंत रंग खो देते हैं और सफेद हो जाते हैं।
- सूक्ष्म शैवाल, जिसे जोक्सांथेला कहा जाता हैं। जोक्सांथेला सहजीविता के लाभप्रद संबंध में प्रवाल के भीतर रहते हैं, एक दूसरे को जीवित रहने में मदद करते हैं।
- जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से प्रवाल विरंजन का एक प्रमुख कारण है। महासागरीय जल के तापमान में वृद्धि से प्रवाल शैवाल को बाहर निकाल देते हैं।
- प्रवाल विरंजन के कुछ अन्य कारणों में सागरीय प्रदूषण, अवसाद जमाव में वृद्धि, पराबैंगनी विकिरण स्तर में वृद्धि आदि शामिल है।