प्रारम्भिक परीक्षा –हिंद महासागर में 'कोरल सुपरहाइवे' की खोज मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 (पर्यावरण एवं जैव-विविधता) |
संदर्भ
हाल ही में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा हिंद महासागर में 'कोरल सुपरहाइवे' की खोज की गई है।
प्रमुख बिंदु :-
- इस शोध को नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है।
- यह अध्ययन प्रवाल भित्तियों के आनुवंशिक विश्लेषण और समुद्र विज्ञान मॉडलिंग पर आधारित है।
- इसमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा आनुवांशिक विश्लेषण और समुद्र विज्ञान मॉडलिंग का उपयोग करके पहली बार समुद्री धाराओं का एक नेटवर्क प्रदर्शित किया गया है जिसे 'कोरल सुपरहाइवे' का नाम दिया गया है।
- यह 'कोरल सुपरहाइवे' हिंद महासागर में दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
- यह शोध 19 अलग-अलग रीफ साइटों से प्राप्त मूंगा नमूनों पर किया गया।
- इसमें पाया गया कि मूंगा लार्वा एक चट्टान से दुसरे चट्टानों के बीच कनेक्टिविटी स्थापित करने के लिए समुद्री धाराओं के माध्यम से प्रवाह करते हैं।
- इस शोध में पाया गया है कि मूंगा चट्टानों के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर ढंग से समझते हैं।
- मूंगा चट्टानों के आसपास संरक्षण प्रयासों को प्राथमिकता देते हैं।
- यह क्षेत्रीय चट्टान लचीलेपन का समर्थन करने के लिए प्रमुख लार्वा स्रोतों के रूप में कार्य करते हैं।
उदाहरण :-
- यह लार्वा पूर्वी अफ्रीका में चट्टानों के माध्यम से आंतरिक द्वीपों और दूरस्थ अल्दाबरा समूह और सेशेल्स के भीतर केंद्रीय रूप से स्थित चट्टानों के बीच यात्रा करती है।
महत्व:-
- इस शोध के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के कारण मूंगा चट्टानों में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है; जैसे - चट्टान के स्वास्थ्य और लचीलेपन में स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर सुधार करके ।
- इस शोध से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति में रीफ रिकवरी के लिए नियमित लार्वा आपूर्ति की जा सकती है।
- इस शोध के माध्यम से कोरल कनेक्टिविटी का पश्चिमी भारत में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : हाल ही में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किस महासागर में 'कोरल सुपरहाइवे' की खोज की गई है?
(a) अटलांटिक महासागर
(b) आर्कटिक महासागर
(c) प्रशांत महासागर
(d) हिंद महासागर
उत्तर (d)
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स्रोत : UNIVERSITY OF OXFORD