New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM September Mid Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 22nd Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM September Mid Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 22nd Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

कोरिडियस कीट प्रजाति

  • हाल ही में कीट विज्ञानियों की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश में तीन नई खाने योग्य कीट प्रजातियों की खोज की है। 

  • डिनिडोरिडे (हेमिप्टेरा) कुल के कोरिडियस वंश से संबंधित इन बदबूदार कीड़ों को कोरिडियस आदि, कोरिडियस इंस्पेरेटस एवं कोरिडियस एस्कुलेंटस नाम दिया गया है।
  • कोरिडियस बग अपेक्षाकृत बड़े होते हैं और ये मुख्यत: पौधों के रस पर निर्भर होते हैं। 
  • अध्ययन में कोरिडियस फ्यूस्कस, कोरिडियस लाओसानस एवं कोरिडियस असामेंसिस प्रजातियों की भी पुनः खोज की गई, जो इस क्षेत्र में 100 से अधिक वर्षों से रिपोर्ट नहीं किए गए थे।

कोरिडियस आदि (Coridius adii)

  • इसका नाम आदि जनजाति के सम्मान में रखा गया है, जो मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश की सियांग घाटी में रहने वाले प्रमुख समूहों में से एक है।
  • इस कीट को हल्के भूरे से गहरे भूरे रंग के रूप में वर्णित किया गया है जिसके ऊपरी शरीर पर अनियमित पीले धब्बे होते हैं। इन कीटों को अदि जनजाति के लोग भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं।

कोरिडियस इंस्पेरेटस (Coridius insperatus)

कोरिडियस इंस्पेरेटस, इस समूह की अन्य सभी प्रजातियों से अलग है।

कोरिडियस एस्कुलेंटस (Coridius esculentus)

  • कोरिडियस एस्कुलेंटस का प्रयोग लोकप्रिय व्यंजन के रूप में होता हैं किंतु गहरे रंग के इस कीड़े को अधिक मात्रा में खाने से नशा होता है। 
  • इन्हें खाने वाले लोग ‘फोटोफोबिक’ हो जाते हैं और कालीन या बिस्तर के नीचे छिपने जैसे व्यवहार प्रदर्शित करते हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X