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भारत में विज्ञान अनुसंधान का निगमीकरण

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ 

मौजूदा शासन व्यवस्था प्रयोगशालाओं एवं अन्य शोध केंद्रों को अपनी विशेषज्ञता का विपणन (मार्केटिंग) करके और अधिशेष राशि का निवेश करके राष्ट्रीय मिशनों के लिए तकनीक विकसित करने के उद्देश्य से बाह्य स्रोतों से राजस्व अर्जित करने का निर्देश दे रही है। 

विज्ञान अनुसंधान निगमीकरण के प्रयास

देहरादून घोषणापत्र

  • वर्ष 2015 में तैयार किए गए ‘देहरादून घोषणापत्र’ में शोध को स्व-वित्तपोषित करने के साधन के रूप में पेटेंट का विपणन करने का निर्णय लिया गया था। यह विज्ञान  अनुसंधान के निगमीकरण का स्पष्ट आह्वान था। 
    • इसका अर्थ था कि किसी भी राज्य के स्वामित्व वाली इकाई को बाजार की वस्तु में बदलने की प्रक्रिया और सार्वजनिक समर्थन पर निर्भर रहने के स्थान पर स्वयं की व्यवस्था करने के लिए व्यवसाय मॉडल का पालन करने में सक्षम होना। 

सेक्शन 8 कंपनियों के रूप में पंजीकरण

वर्तमान में वैज्ञानिक संस्थानों को सेक्शन 8 कंपनियों के रूप में पंजीकृत शोध केंद्र विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसे में निजी कंपनियां या शेयरधारक भी इन संस्थाओं में निवेश कर सकते हैं।

अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना 

  • अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) की स्थापना ए.एन.आर.एफ. अधिनियम, 2023 के तहत की गई है। 
  • इसे देश में अनुसंधान को निधि देने और अनुसंधान एवं विकास तथा शिक्षा व उद्योग के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
  • ए.एन.आर.एफ. को पांच वर्षों में 50,000 करोड़ की वित्तीय सहायता प्राप्त होगी जिसमें से 72% निजी क्षेत्र से आने की संभावना है। 
  • ए.एन.आर.एफ. के वित्तपोषण की वर्तमान व्यवस्था से यह स्पष्ट है कि सरकार अनुसंधान के वित्तपोषण में अपनी भूमिका को कम कर निजी उद्यमिता से इसमें बड़े पैमाने पर निवेश की अपेक्षा करती है।

अनुसंधान के विपणन पर बल 

  • वर्तमान दृष्टिकोण में अनुसंधान के माध्यम से उत्पन्न ज्ञान को विपणन योग्य वस्तु माना जाता है। 
  • इस परिवर्तन ने बौद्धिक संपदा अधिकारों को भी उत्पन्न किया है जिससे विश्वविद्यालयों को निजी निगमों को पेटेंट बेचने की अनुमति मिलती है। भले ही अनुसंधान सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित हो।

निष्कर्ष 

  • वर्तमान में भारत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के हिसाब से शीर्ष 10 देशों में शामिल  है किंतु भारत में विज्ञान अनुसंधान के लिए सार्वजनिक वित्त पोषण का अनुपात विगत एक दशक से जी.डी.पी. का 0.6% से 0.7% रहा है। 
    • दक्षिण कोरिया, आकार और आबादी में, भारत का केवल एक-तिहाई है किंतु यह अपने जी.डी.पी. का लगभग 2% से 3% अनुसंधान पर व्यय करता है। 
  • निजी क्षेत्र को वित्त पोषण के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही सरकार को अपने बुनियादी विज्ञान एवं गैर-लाभकारी अनुसंधान आवंटन में वृद्धि करनी चाहिए। 
  • स्वतंत्र जांच के वातावरण को पोषित करना और संस्थानों की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वायत्तता बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।
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