(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय इतिहास से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 - प्राचीन भारतीय इतिहास से संबंधित प्रश्न)
संदर्भ
- हाल ही में, एक प्रकाशन के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि सिंधु घाटी सभ्यता में एक महत्त्वपूर्ण आबादी के द्वारा संभवतः ‘पैतृक द्रविड़ भाषाएँ’ बोली जाती थीं।
- यह खुलासा ‘अल्ट्राकन्सर्व्ड द्रविड़ियन टूथ-वर्ड रिवील्स डीप लिंग्विस्टिक एनसेस्ट्री एंड सपोर्ट जेनेटिक्स’ शीर्षक वाले शोध-पत्र में हुआ था। यह ‘नेचर ग्रुप जर्नल ह्यूमैनिटीज़ एंड सोशल साइंसेज़ कम्युनिकेशन्स’ में प्रकाशित हुआ था।
अध्ययन के प्रमुख बिंदु
- यह अध्ययन सिंधु घाटी सभ्यता में ‘पैतृक द्रविड़ भाषाओं’ के निश्चित अस्तित्व के निर्धारण के माध्यम से दक्षिण एशिया के प्राचीन इतिहास की पहेली के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से को हल करने का प्रयास करता है।
- सिंधु घाटी सभ्यता के गूढ़ लिखित दस्तावेज़ों के अभाव में, हड़प्पा सभ्यता की भाषाओं की पहचान करने का कोई सीधा या साधारण तरीका नहीं है।
- वस्तुतः इस अध्ययन के माध्यम से आद्य-शब्दों के एकमात्र संभव प्रारंभिक बिंदु को खोजना है, जिसकी सिंधु घाटी सभ्यता में संभावित उत्पत्ति की पुष्टि ऐतिहासिक और भाषायी साक्ष्यों से होती है।
- जबकि, पुरातात्त्विक साक्ष्य इंगित करते हैं कि उन आद्य-शब्दों से संकेतित वस्तुएँ सिंधु घाटी सभ्यता में प्रचलित और उपयोग की जाती थीं।
पुरातात्त्विक विश्लेषण
- कई पुरातात्त्विक, भाषायी और ऐतिहासिक साक्ष्यों के विश्लेषण का अध्ययन करने पर कुछ आद्य-शब्द प्राप्त होते हैं।
- इनका दावा है कि काँस्ययुगीन मेसोपोटामिया में 'पुरी', 'पुरू'( ‘pīri’, ‘pīru’) हाथी के लिये इस्तेमाल होने वाले शब्द हैं।
- हाथी शब्द ‘अमरना पत्र के हुरियन भाग’ में इस्तेमाल किया गया था।
- 1400 ईसा पूर्व और छठी शताब्दी ईसा पूर्व के पुराने फ़ारसी दस्तावेज़ों में हाथी के लिये सामान्य-शब्द ('पुरु'/ ‘pîruš’) को दर्ज किया गया था।
- सभी शब्द मूल रूप से 'पलू' (pīlu), हाथी के लिये प्रयुक्त एक प्रोटो-द्रविड़ियन शब्द, से उधार लिये गए थे, जो सिंधु घाटी सभ्यता में प्रचलित था।
- हालाँकि, व्युत्पन्न रूप से प्रोटो द्रविड़ियन सामान्य-शब्द 'पाल' और इसके वैकल्पिक रूपों ('*pel'/'*pīl'/'*pi') से संबंधित था।
- द्रविड़ व्याकरण और स्वर विज्ञान का विश्लेषण करते हुए, बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकीविद्, हाथी शब्द के लिये 'पल्लू', 'पल्ला', 'पल्लव', 'पिलुवम', आदि प्रयोग करती हैं। ये विभिन्न द्रविड़ शब्दकोशों में प्रमाणित हैं। साथ ही, प्रोटो-द्रविड़ियन सामान्य-शब्द ‘पाल’ से संबंधित हैं।
- शोध-पत्र का कहना है कि पूर्व में हाथी कों प्रतिष्ठित विलासिता की वस्तु माना जाता था।
द्रविड़ भाषा समूह
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- इस समूह में दक्षिण भारत में बोली जाने वाली भाषाएँ शामिल हैं।
- प्राचीन द्रविड़ भाषा से 21 भाषाओं की उत्पत्ति हुई है, जिनमें कन्नड़, तमिल, मलयालम आदि प्रमुख हैं।
- भारत की लगभग 25% जनंसख्या इस समूह की भाषाएँ बोलती है। इस समूह को प्रमुख रूप से तीन भाषा समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
- उत्तरी समूह
- केंद्रीय समूह
- दक्षिणी समूह
- उत्तरी समूह
- इसमें प्रमुख रूप से तीन भाषाएँ- ब्राहुई, माल्टो तथा कुरुख शामिल हैं
- ब्राहुई भाषा - बलूचिस्तान
- माल्टो भाषा - बंगाल और ओडिशा के आदिवासी क्षेत्रों में
- कुरुख भाषा - ओडिशा, बिहार और मध्य प्रदेश में
- केंद्रीय समूह
- इसमें 11 भाषाएँ शामिल हैं, जिनमें अधिकतर जनजातीय भाषाएँ हैं।
- इस समूह की भाषाओं में - गोंडी, खोंड, कुई, मंडा, पर्जी, गड़ावा, कोलामी, पैंगो, नैकी, कुवी और तेलुगू शामिल हैं।
- इन भाषाओं में तेलुगू सभ्य भाषा बन सकी, जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों में मुख्यतया बोली जाती है।
- दक्षिणी समूह
- द्रविड़ परिवार के इस समूह में सात भाषाएँ- तमिल, कन्नड़, मलयालम, टोडा, कोटा, तुलु और कोडगु शामिल हैं।
- तमिल इस समूह की सबसे प्राचीन और प्रमुख भाषा है, जबकि कन्नड़ और मलयालम इस समूह की मुख्य भाषाओं में शामिल हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता
- 20वीं सदी के दूसरे दशक तक माना जाता था कि वैदिक सभ्यता ही भारत की प्राचीनतम सभ्यता है, किंतु वर्ष 1921 में दयाराम साहनी द्वारा हड़प्पा (पाकिस्तान के पंजाब प्रांत) में उत्खनन के पश्चात् ज्ञात हुआ कि वैदिक सभ्यता से भी ज़्यादा विकसित, समृद्ध और प्राचीन एक अन्य सभ्यता भी है।
- प्रारंभिक उत्खननों से सिंधु सभ्यता के पुरास्थल केवल हड़प्पा व उसके आसपास के क्षेत्र में ही मिले थे, जिससे इसका नामकरण हड़प्पा सभ्यता किया गया था।
- परंतु, अन्य पुरास्थलों की प्राप्ति सिंधु तथा उसकी सहायक नदियों के आस-पास के क्षेत्र में होने के कारण इसे ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ का नाम दिया गया।
- इस सभ्यता का काल 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. तक माना गया है, यह सभ्यता 2200-2000 ई.पू. के मध्य में अपनी परिपक्व अवस्था में थी।
- हड़प्पा सभ्यता को काँस्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें काँसे के उपकरणों का व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जाता था।
- सिंधु घाटी सभ्यता का भौगोलिक विस्तार उत्तर में मांडा (जम्मू कश्मीर), दक्षिण में दैमाबाद (महाराष्ट्र), पश्चिम में सुत्कागेंडोर (बलूचिस्तान) तथा पूर्व में गंगा-यमुना दोआब में स्थित आलमगीरपुर (मेरठ, उत्तर प्रदेश) तक था।
- अब तक इस सभ्यता में 2800 से अधिक पुरास्थलों की खोज की जा चुकी है, इसमें से दो-तिहाई पुरास्थल भारतीय क्षेत्र में मिले हैं।
निष्कर्ष
- शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मानना गलत होगा कि सिंधु घाटी सभ्यता के दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में केवल एक ही भाषा या भाषा-समूह का प्रयोग किया जाता था।
- उनका मानना है कि आज भी बृहद् सिंधु घाटी में लोग इंडो-आर्यन, डार्डिक, ईरानी सहित कई भाषाएँ बोलते हैं।