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कंपनी की लागत(सीटीसी) में बचत का देश की लागत पर प्रभाव 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - कंपनी की लागत(सीटीसी), आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, अनुबंध रोजगार, स्थायी रोजगार
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2021 के अनुसार, भारत में लगभग 100 मिलियन अस्थायी श्रमिक और 50 मिलियन वेतनभोगी कर्मचारी हैं जिनके पास कोई लिखित नौकरी अनुबंध नहीं है। यह देश की कुल श्रम शक्ति का लगभग 30% है।  
  • उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार, कुल औद्योगिक रोजगार में अनुबंध रोजगार की हिस्सेदारी 2004 के 24% से बढ़कर 2017 में 38% हो गई है।
  • ये गैर-पेरोल अनुबंध कर्मचारी, तकनीशियन, ड्राइवर, कार्यालयों तथा वाणिज्यिक परिसरों में हाउसकीपिंग कर्मचारी, या कारखानों में अकुशल श्रमिक के रूप में कार्य करते हैं।
  • चूंकि आउटसोर्सिंग का चलन बन गया है, इसलिए बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश में मैनपावर सप्लायर फर्मों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है।
  • 2001 के बाद, सार्वजनिक क्षेत्र ने भी कई रिक्तियों को गैर-प्रमुख गतिविधियों के रूप में वर्गीकृत करते हुए आउटसोर्स करना शुरू कर दिया।
  • सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण 2021 के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) में आकस्मिक/अनुबंध श्रमिकों की हिस्सेदारी 2011-12 के 17.1% से बढ़कर 2015-16 में 19% और 2020-21 में लगभग 37.2% हो गई है।
  • 2011 में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) में 2,68,815 संविदा कर्मचारी थे, 2021 में इनकी संख्या बढ़कर 4,81,395 हो गयी, यह कई स्थायी नौकरियों के संविदा नौकरी में बदल जाने का संकेत देता है।

संविदात्मक नौकरियों के लाभ 

  • स्थायी रोजगार की तुलना में अनुबंध रोजगार के लिए कंपनी की लागत (सीटीसी) अपेक्षाकृत कम होती है, वेतन कटौती से कंपनी की लागत में बड़ी बचत होती है। 
  • इसे अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद माना जाता है क्योंकि कम सीटीसी ने ना केवल इंडिया इंक. के मुनाफे में सुधार किया है, बल्कि विदेशी निवेश को भी आकर्षित किया है।
  • मजदूरी के अलावा, पांच विशिष्ट मानव संसाधन लागतें हैं –
    • किराए पर लेने की लागत
    • प्रेरण लागत 
    • कैरियर की प्रगति लागत
    • विच्छेद लागत 
    • अधिवर्षिता लागत 
  • निजी क्षेत्र की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र के लिए किराए पर लेने की लागत अधिक है, परीक्षा आयोजित करने के पैमाने के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के लिए किराए पर लेने की लागत बहुत अधिक बढ़ जाती है
    • इसीलिए सार्वजनिक क्षेत्र, जनशक्ति आपूर्तिकर्ताओं के माध्यम से लागत और समय दोनों को बचाता है, जनशक्ति आपूर्तिकर्ताओं के माध्यम से किराए पर लेना लागत और समय कुशल है। 
  • चूंकि संविदा श्रमिकों को न्यूनतम प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, इसीलिए कंपनी की लागत और कम हो जाती है।
  • संविदा मजदूर, स्थायी कर्मचारियों की तरह उदार सवैतनिक अवकाश के हकदार भी नहीं होते हैं, इसलिए भी प्रबंधन के लिए उन्हें नियुक्त करना अधिक आकर्षक हो जाता है। 
  • संविदा कर्मियों को पदोन्नति या सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं होती है। 
  • अनुबंधित कर्मचारियों को निकालने के लचीलेपन को भी श्रम उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला माना जाता है।

संविदात्मक नौकरियों के नुकसान 

  • ठेकेदार, संविदा कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी से भी कम भुगतान करते हैं,  देश में 15 करोड़ संविदा कर्मियों में से अधिकांश का भुगतान बहुत कम है। 
  • इस तरह से ठेकेदारों या फर्मों द्वारा अर्जित लाभ के बावजूद, कम मजदूरी के कारण कम खपत होने से अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है। 
  • संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों के कौशल विकास और कौशल उन्नयन में कम निवेश के कारण अर्थव्यवस्था की समग्र उत्पादकता भी प्रभावित होती है।
  • इसके कारण मनोबल में कमी होने से संविदा श्रमिकों को उत्पाद और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती है जिससे  अर्थव्यवस्था की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है।
  • काम पर रखने और प्रशिक्षण में लागत में कटौती के परिणामस्वरूप सेवा की गुणवत्ता में गिरावट आती है, जो दूसरे क्रम के नुकसान और कभी-कभी दुर्घटनाओं का कारण भी बनती है।
  • चूंकि कम वेतन पाने वाले कर्मचारी अपने और अपने परिवार के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल का खर्च नहीं उठा सकते, इसलिए देश की समग्र मानव पूंजी में गिरावट आती है।
    • द लैंसेट के एक अध्ययन में यह देखा गया कि इंग्लैंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में आउटसोर्स खर्च में 1% की वार्षिक वृद्धि 0.38% की उपचार योग्य मृत्यु दर में वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है। 

कंपनियों द्वारा नए प्रयोग  

  • प्लेटफ़ॉर्म और टेक कंपनियाँ श्रम अधिनियमों के कानूनी प्रावधानों से बचने के लिए विभिन्न नए तरीकों का प्रयोग करती हैं जैसे- 
    • कर्मचारियों को व्यावसायिक साझेदार के रूप में नामित करना (ऑनलाइन कैब बुकिंग और खाद्य वितरण कंपनियों के मामले में)। 
    • मुख्य गतिविधि को तकनीकी व्यवसाय के रूप में विभाजित करना (अधिकांश सेवा एग्रीगेटर्स के मामले में)। 

आगे की राह 

  • कंपनी की लागत में बचत को अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद माना जा सकता है, लेकिन सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में अनुबंध और स्थायी कर्मचारियों दोनों पर इसके व्यापक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
  • अगर लाखों श्रमिकों को कम वेतन दिया जाता है जो स्वास्थ्य संबंधी खतरों के प्रति संवेदनशील होते हैं तो निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। 
    • कंपनी की लागत में बचत के लिए, देश को अनुबंध श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की भलाई की कीमत नहीं चुकानी चाहिए।
  • यह तर्क कि रोजगार की स्थायीता अक्षमता को जन्म देती है के संदर्भ में इसके मूल कारणों से निपटा जाना चाहिए। 
    • सार्वजनिक क्षेत्र को स्थायी कर्मचारियों की दक्षता को पुरस्कृत करने के लिए अपने मूल्यांकन तंत्र में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। 
    • निजी क्षेत्र को यह महसूस करना चाहिए कि देश के लिए आउटसोर्सिंग की लागत लंबे समय में कंपनी की लागत से कहीं अधिक हो सकती है।
  • रोजगार में आउटसोर्सिंग रिक्तियां, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के लिए फायदेमंद प्रतीत होती हैं, लेकिन यह लंबे समय में सेवा की गुणवत्ता, श्रम की उत्पादकता और देश की समग्र अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। 
  • इस प्रकार, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के लिए मूल्यांकन और भर्ती तंत्र में सुधार किये जाने की आवश्यकता है।
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