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कफ सिरप से गांबिया में मौतें

(प्रारंभिक परीक्षा- सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ)

संदर्भ

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में निर्मित चार कफ सिरप के बारे में एक चेतावनी जारी की है। इसके अनुसार, बच्चों में किडनी की गंभीर समस्या और पश्चिम अफ्रीकी देश गांबिया में होने वाली मौतों के बीच संभावित रूप से संबंध हो सकता है।

गांबिया की हालिया घटना 

  • जुलाई के अंत में गांबिया में 5 माह से 4 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में किडनी की गंभीर समस्या के मामलों अचानक वृद्धि देखी गई। साथ ही, मृत्यु दर के आँकड़ों में भी उछाल देखा गया।
  • सितंबर में गांबिया ने डब्ल्यू.एच.ओ. को बुखार, खाँसी और एलर्जिक जुकाम के लिये प्रयोग की जाने वाली चार सिरप की सूचना दी।
  • इन चार कफ सिरप का निर्माण हरियाणा के सोनीपत स्थित मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा किया जाता है। ये कफ सिरप इस प्रकार हैं : 
    • प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन
    • कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप
    • मकॉफ़ बेबी कफ सिरप
    • मैग्रिप एन कोल्ड सिरप
  • डब्ल्यू.एच.ओ. ने इन उत्पादों के प्रयोगशाला विश्लेषण में ‘डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल’ (Diethylene Glycol and Ethylene Glycol) की अस्वीकार्य मात्रा की पुष्टि की।

डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल

भौतिक गुण और उपयोग

  • डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) प्रायः ग्लिसरीन में संदूषक के रूप में पाए जाते हैं, जिनका उपयोग फार्मास्युटिकल कफ सिरप के निर्माण में एक स्वीटनर के रूप में किया जाता है।
  • डी.ई.जी. और ई.जी. दोनों के भौतिक गुण समान (रंगहीन, गंधहीन और चिपचिपा) होते हैं। ये पेंट, स्टेशनरी स्याही, वाहनों के ब्रेक और क्लच में प्रयुक्त तरल पदार्थ तथा एंटीफ्रीज़ जैसे औद्योगिक उत्पादों में भी उपयोग किये जाते हैं।

मनुष्यों पर प्रभाव

  • ये मनुष्यों के लिये विषाक्त प्रभाव उत्पन्न करते हैं। इससे सिरदर्द, पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब करने में समस्या, मानसिक स्थिति में बदलाव और किडनी में गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती हैं।
  • किडनी में गंभीर समस्या बच्चों के लिये अधिक घातक हो सकती है। वर्ष 2020 में जम्मू-कश्मीर में भी डायथिलीन ग्लाइकॉल के उच्च स्तर वाले सिरप के सेवन से 17 बच्चों की मृत्यु हो गई थी।

भारत में बिक्री पर प्रतिबंध

  • इन चारों सिरप का उत्पादन कंपनी द्वारा केवल गांबिया को निर्यात करने के लिये किया जाता है। इसके लिये कंपनी को विशेष अनुमति प्राप्त है। भारत में इनके निर्माण और बिक्री के लिये लाइसेंस नहीं प्रदान किया गया है।
  • सिरप में सक्रिय दवा घटक (API) पूरी तरह से विलायक में मिश्रित होता है, जैसे चीनी का विलयन। दूसरी ओर, एक निलंबन (Suspension) में ए.पी.आई. कणों को विलायक में समान रूप से निलंबित कर दिया जाता है, जैसे पकी हुई दाल। इसीलिये बोतलों पर ‘प्रयोग करने से पहले अच्छी तरह से हिलाएँ’ (Shake Well Before Use) का निर्देश लिखा रहता है, अन्यथा ए.पी.आई. तल पर बैठ जाएगा।

ग्लाइकॉल के प्रयोग के कारण

  • पेरासिटामॉल और इन सिरप में प्रयुक्त अन्य ए.पी.आई. जल में घुलनशील नहीं हैं, अतः प्रोपलीन ग्लाइकोल जैसे क्षारीय विलायक की आवश्यकता होती है।
  • प्रोपलीन ग्लाइकॉल दो किस्मों में उपलब्ध है- पहला औद्योगिक उपयोग के लिये है और दूसरा फार्मास्यूटिकल उपयोग के लिये।
  • लागत को कम करने के लिये कुछ कंपनियाँ औद्योगिक प्रोपलीन ग्लाइकॉल का उपयोग करती हैं जिसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल संदूषक के रूप में हो सकते हैं।
  • निलंबन को प्रोपलीन ग्लाइकॉल की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि सक्रिय घटक को विलय करने (Dissolve) की आवश्यकता नहीं होती है। वे कार्बोक्सिमिथाइलसेलुलोज (Carboxymethylcellulose : CMC) नामक तरल क्षार का उपयोग करते हैं, जिसमें इन दोनों संदूषकों के होने का जोखिम नहीं होता है।

भारत का पक्ष

  • गांबिया की घटना के बाद भारत के सर्वोच्च औषधि नियामक ‘केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन’ (CDSCO) ने राज्य प्राधिकारियों के साथ मिलकर इसकी जाँच शुरू की और नियंत्रित नमूने की जाँच चंडीगढ़ स्थित प्रयोगशाला में की जा रही है।
  • साथ ही, सी.डी.एस.सी.ओ. ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुरोध किया है कि वह अतिशीघ्र चिकित्सा उत्पादों से संबंधित रिपोर्ट साझा करे।
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