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कोविड-19:  म्यूचुअल  फंड  पर  प्रभाव

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति विकास तथा रोज़गार से सम्बंधित विषय)

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में, अमेरिका की एक म्यूचुअल फंड कम्पनी ‘फ्रेंकलिन टेम्पलेटन’ ने भारत में संचालित 6 ऋण (Debt) या बॉन्ड योजनाओं को बंद करने का निर्णय लिया है, जिससे निवेशकों के लगभग 28,000 करोड़ रुपए फँसने की आशंका है।
  • इस आशंका के पीछे कम्पनी द्वारा कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक मंदी आने से शेयर बाज़ार में गिरावट को एक महत्त्वपूर्ण कारण बताया गया है।
  • अगर ऐसा होता है तो 24 अप्रैल से निवेशक इन 6 योजनाओं से अपना पैसा नहीं निकाल पाएंगे और ना ही किसी प्रकार नया निवेश कर पाएंगे।
  • फ्रेंकलिन टेम्पलेटन के इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में तरलता के संकट को कम करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 50,000 करोड़ रुपए के तरलता पैकेज की घोषणा की गई है।

क्या है म्यूचुअल फंड?

  • यह एक कोष (फंड) है, जिसमें बहुत सारे निवेशकों के धन का संग्रहण कर उसे एक-साथ पारस्परिक रूप से रखा जाता है।
  • धन के इस संग्रह का, अलग-अलग जगहों (पोर्टफोलियो बनाकर) पर अधिक मुनाफा कमाने के उद्देश्य से निवेश किया जाता है।

mutual-funds

म्यूचुअल फंड का प्रबंधन एवं विनियमन

  • इस कोष का प्रबंधन एक पेशेवर फंड मैनेजर (Professional Fund Manager)  द्वारा किया जाता है, जो हमेशा प्रयास करता है कि निवेशकों को उनकी धनराशि से अधिक लाभ दिया जाए।
  • म्यूचुअल फंड कम्पनियाँ भारत में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)  के अंतर्गत पंजीकृत एवं विनियमित होती हैं।
  • सेबी एक विनियामक संस्था है, जो भारत में शेयर बाज़ार को विनियमित करने के साथ ही निवेशकों के अधिकारों को संरक्षित भी करती है। इसकी औपचारिक या वैधानिक स्थापना सेबी अधिमियम, 1992 के तहत की गई थी।

म्यूचुअल फंड के लाभ

  • म्यूचुअल फंड कम्पनी द्वारा निवेशकों के धन को एक ही जगह निवेश न करके कई स्थानों पर निवेश किया जाता है, जिससे जोखिम स्तर कम हो जाता है।
  • वर्तमान में म्यूचुअल फंड में निवेश करने हेतु निवेशक के सामने कई विकल्प (प्रतिफल, सुरक्षा और जोखिम के सम्बंध में) मौजूद होते हैं।
  • म्यूचुअल फंड के धन का प्रबंधन अनुभवी फंड विशेषज्ञों के द्वारा किया जाता है। वे इस धन को कही भी निवेश करने से पहले काफी शोध और अध्ययन करते हैं, ताकि निवेश किये गए धन पर निवेशक को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।
  • ध्यातव्य है कि म्यूचुअल फंड में छोटी धनराशि से ही निवेश की शुरुआत की जा सकती है। म्यूचुअल फंड में समूह के माध्यम से किसी व्यक्ति विशेष का बड़ी कम्पनियों में निवेश सम्भव हो पाता है।

म्यूचुअल फंड की हानियाँ

  • चूँकि, म्यूचुअल फंड में धन के प्रबंधन एवं पारदर्शिता का अभाव होता है, जिससे निवेशकों को अपने धन की सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसलिये, कई बार निवेशकों के धन को उचित जगह पर निवेश ना करके जोखिम वाले स्थान पर या अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिये इस धन का उपयोग कर लिया जाता है।
  • इन योजनाओं में निवेशित धनराशि पर अगर कोई हानि होती है तो उसे निवेशक द्वारा ही वहन किया जाता है, फंड प्रबंधक या कम्पनी द्वारा नहीं।

बॉन्ड योजनाओं को बंद करने का प्रभाव

  • कोविड-19 के चलते पहले से ही देश में लॉकडाउन लागू है। ऐसे में, इन म्यूचुअल फंड योजनाओं के बंद होने से भारत की वित्तीय प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • बॉन्ड बाज़ार की परिस्थितियों को देखते हुए अब म्यूचुअल फंड प्रबंधक निवेश करते समय तरलता तथा सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे, अर्थात् उनकी जोखिम लेने की क्षमता घटेगी। इससे म्यूचुअल फंड उद्योग में निवेशकों के विश्वास में कमी आएगी, जिससे लोग निवेश के अन्य साधनों (जैसे स्वर्ण में निवेश) की तरफ आकर्षित होंगे, जोकि अर्थव्यस्था की गतिशीलता हेतु उचित नहीं है।
  • इन योजनाओं के बंद होने से अर्थव्यवस्था में तरलता बाधित हो सकती है।

रिज़र्व बैंक द्वारा की गई पहल का प्रभाव

  • फ्रैंकलिन टेम्पलेन द्वारा बॉन्ड योजनओं को बंद करने की घोषणा के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा म्यूचुअल फंड कम्पनियों के लिये 50,000 करोड़ रुपए के सहायता पैकेज (विशेष तरलता पैकेज) उपलब्ध कराने की पहल की गई है।
  • आर.बी.आई. द्वारा इस पैकेज को उपलब्ध कराने का उद्देश्य म्यूचुअल फंड उद्योग को तरलता के संकट से बचाना है।
  • आर.बी.आई. के इस कदम से म्यूचुअल फंड कम्पनियों को उनके बहीखाते तथा उनकी आर्थिक स्थिति ठीक करने में मदद मिलेगी। साथ ही, संकटग्रस्त कम्पनियों को दिवालिया (जब किसी व्यक्ति या संस्था के दायित्व उसकी सम्पत्तियों से अधिक हो जाते हैं तो उस स्थिति को ही दिवालियापन कहते हैं) होने से भी बचाया जा सकेगा।
  • इससे म्यूचुअल फंड उद्योग में आम जनता के विश्वास में वृद्धि होगी।

म्यूचुअल फंड के प्रकार

म्यूचुअल फंड को सामान्यतः दो श्रेणियों में विभक्त किया जाता है। पहला, संरचना के आधार पर और दूसरा, परिसम्पत्तियों  के आधार पर।

1. संरचना के आधार पर

A. ओपन एंडेड (Open Ended)-  इस योजना में निवेशकों को किसी भी समय अपने फंड का क्रय-विक्रय करने की अनुमति प्राप्त होती है। इस प्रकार निवेश तरलता की दृष्टि से उपयुक्त होते हैं।

B.  क्लोज़ एंडेड (Close Ended)-  इस योजना के अंतर्गत निवेशक एक निर्धारित अवधि के अंदर ही फंड खरीद सकते हैं।

C. हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund)-  इसमें उपरोक्त दोनों योजनाओं की विशेषताएँ सम्मिलित होती हैं।

2. परिसम्पत्तियों के आधार पर

A. डेट  फंड  (Debt fund)- इन फंड्स में जोखिम कम होता है। इसके अंतर्गत ऋण-पत्र, सरकारी बॉन्ड एवं अन्य निश्चित और सुरक्षित आय वाले निवेश शामिल हैं।

B. इक्विटी  फंड (Equity Fund)-  इन फंड्स में निवेश करने पर अधिक लाभ कमाने की सम्भावना होती है, किंतु साथ ही जोखिम का स्तर भी अधिक होता है।

C. लिक्विड  फंड (Liquid Fund)-  इस प्रकार के फंड्स में कम समयावधि के लिये निवेश किया जाता है।

भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग का विकास क्रम

  • वर्ष 1963 में भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार द्वारा यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) की स्थापना के साथ ही भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग की शुरुआत हुई।
  • यू.टी.आई. की स्थापना संसद के एक अधिनियम के तहत की गई थी, जिसका मूल उद्देश्य खुदरा निवेशकों को निवेश हेतु आकर्षित करने के साथ ही उन्हें निवेश सम्बंधी गतिविधियों और वित्त बाज़ारों से अवगत कराना था।
  • शुरुआत से ही यू.टी.आई. ने भारतीय रिज़र्व बैंक के अंतर्गत कार्य किया था, किंतु वर्ष 1978 में इसे आर.बी.आई. से अलग कर भारतीय औद्योगिक विकास बैंक के विनियमन के अंतर्गत लाया गया।
  • भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग के विकास की गति शरुआत से ही संतोषजनक रही है।  वर्ष 1964 से 1987 के मध्य तक ही यू.टी.आई. के पास 6700 करोड़ रुपए का फंड आ चुका था।
  • वर्ष 1987 के पश्चात् इस उद्योग में सार्वजानिक क्षेत्र के फंड का प्रवेश तेज़ी से शुरू हुआ तथा कुछ वर्षों बाद निजी क्षेत्र को भी इस उद्योग में प्रवेश दिया गया।
  • मार्च 2020 में भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग की एसेट अंडर मैनेजमेंट (Asset Under Management-AUM) 22 लाख करोड़ रुपए से अधिक की है।
  • किसी फंड की कुल सम्पत्ति (जिसमें शेयर, बैंक जमा, बॉन्ड और नकद शामिल है) को जोड़कर उस समय बाज़ार में जो कुल कीमत निकलती है, उसे उस फंड की एसेट अंडर मैनेजमेंट कहते हैं।

ए.एम.एफ.आई.

  • इसका पूरा नाम ‘एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया’ (Association of Mutual funds in India) है। इसकी स्थापना वर्ष 1995 में की गई थी, यह एक गैर-लाभकारी संगठन है।
  • इसका उद्देश्य भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग को व्यवस्थित, पेशेवर और नैतिकतापूर्ण तरीके से विकसित करने के साथ ही म्यूचुअल फंड को प्रोत्साहित करना तथा लोगों में इसकी विश्वसनीयता को बनाए रखना है।

भविष्य की राह

  • निवेशकों को कम्पनी के प्रबंधन तथा उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् ही निवेश करना चाहिये।
  • फंड प्रबंधकों को भी निवेश सम्बंधी निर्णय लेने में और अधिक सतर्कता तथा शोध करने की आवश्यकता है।
  • आर.बी.आई. और सेबी को तरलता बनाए रखने के लिये पर्याप्त प्रावधान करते रहने चाहिये।
  • पिछले कुछ समय से भारत की बैंकिंग प्रणाली पर आवश्यकता से अधिक दबाव है। इस दबाव को कम करने हेतु दीर्घकालिक संस्थागत कदम उठाने होंगे।
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