(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - स्वास्थ्य संबंधी विषय; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - आपदा एवं आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दे)
संदर्भ
कोविड-19 टीकाकरण, विश्व के लिये अपेक्षाकृत नया है परंतु टीकाकरण का अपना एक लंबा इतिहास रहा है। वर्ष 1974, में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (W.H.O.) द्वारा टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया था। तब से विश्व के सभी देशों ने समय-समय पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिये विभिन्न टीकाकरण योजनाओं को संचालित किया है।
प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया
- मोटे तौर पर, टीकों को जीवित संक्रामक टीकों की प्रतिकृति और गैर-प्रतिकृति गैर-संक्रामक टीकों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- वर्तमान में इंजेक्शन द्वारा लगाए गए जीवित वायरस टीकों में ‘खसरा, रूबेला, कण्ठमाला और चिकनपॉक्स’ के टीके शामिल हैं।
- इनोकुलम (टीका लगाने के लिये प्रयुक्त होने वाला पदार्थ) की दवाई में हज़ारों जीवित लेकिन क्षीण वायरस मौजूद होते हैं, जो शरीर के ऊतकों में बिना किसी बीमारी के उत्पन्न होते हैं।
- अंतिम प्रभावी खुराक जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है, जिसमें अरबों या खरबों वायरस हो सकते हैं और उत्तेजित प्रतिरक्षा प्रणाली दिनों से हफ्तों तक बनी रहती है। क्योंकि इंजेक्शन द्वारा मानव शरीर में प्रवेश कराए गए वायरस, शरीर के भीतर अपने आप को गुणित करना जारी रखते हैं।
- इसलिये, जीवित वायरस टीकों की प्रतिकृति के लिये प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएँ प्रतिरक्षी और टी-सेल प्रतिरक्षा दोनों मज़बूत और लंबे समय तक चलने वाली हैं।
- गैर-प्रतिकृति इंजेक्शन टीकों में सबसे आम हैं डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खाँसी), टिटनस, हेपेटाइटिस बी, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी, न्यूमोकोकल, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, निष्क्रिय पोलियोवायरस, निष्क्रिय हेपेटाइटिस ए के टीके।
- विदित है कि जो इंजेक्शन लगाया जाता है वह एंटीजन की एक छोटी मात्रा है, जिसे माइक्रोग्राम में मापा जाता है।
बूस्टर ख़ुराक की आवश्यकता
- गैर-प्रतिकृति वाले टीकों के साथ मज़बूत और लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्राप्त करने के लिये एक या दो महीने के अंतराल पर त्वरित अनुक्रमण में एक, दो या तीन खुराकें या कई खुराकें प्रारंभिक स्तर पर देने की आवश्यकता होती है।
- एंटीबाडी के अपेक्षाकृत निम्न स्तर और कमज़ोर टी-सेल प्रतिरक्षा के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर प्रतिक्रिया प्रदान करती है।
- समय के साथ, कुछ महीनों से लेकर एक वर्ष तक, लगभग सभी टीकाकरण वाले व्यक्तियों में एंटीबॉडी का स्तर कम हो जाता है।
- एंटीबॉडी को उच्च और सुरक्षात्मक स्तर तक पहुँचाने और बनाए रखने के लिये एक या अधिक इंजेक्शन ‘बूस्टर खुराक’ की आवश्यकता होती है, जैसे-
- इन्फ्लुएंजा वैक्सीन बूस्टर सालाना।
- टिटनेस का टीका पाँच से 10 साल में एक बार।
- मानव पेपिलोमा और हेपेटाइटिस ए तथा बी के दशकों की सुरक्षा के लिये एक बूस्टर खुराक पर्याप्त हो सकती है।
- सभी COVID-19 टीके गैर-प्रतिकृति श्रेणी में आते हैं और मज़बूत तथा लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा तथा उच्च एंटीबॉडी को बनाए रखने के लिये बूस्टर खुराक की आवश्यकता होती है।
वर्तमान कार्यक्रम
- वर्तमान COVID-19 टीकाकरण कार्यक्रम में जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन (केवल एक खुराक), फाइजर वैक्सीन (दो खुराक तीन सप्ताह के अलावा), अन्य सभी (चार सप्ताह या अधिक अंतर-खुराक अंतराल पर दो खुराक) से प्रेरित प्रतिरक्षा खुराके हैं।
- प्राइमिंग और बूस्टिंग के मध्य सामान्य अंतराल छह महीने से एक वर्ष तक होता है, क्योंकि एंटीबॉडी का सुरक्षात्मक स्तर कम से कम उस अवधि के लिये मौजूद रहेगा, जब प्राइमिंग खुराक में दो या तीन इंजेक्शन शामिल हों।
- हालाँकि, जो बुजुर्ग हैं, विशेष रूप से पुरुष और अंग प्रत्यारोपण, कैंसर उपचार या सह-रुग्णता वाले, उनके छोटे / सामान्य समकक्षों की तुलना में कमजोर प्राथमिक एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएँ हैं।
- इसका तात्पर्य यह है कि वे गंभीर बीमारी और मृत्यु की चपेट में आ सकते हैं; उन्हें सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा सुनिश्चित करने और बनाए रखने के लिये बूस्टर खुराक की तत्काल आवश्यकता है।
- शुरुआती उम्मीद यह थी कि कोविड-19 महामारी अल्पकालिक होगी, जो गलत साबित हुई है। अब उन देशों में भी मामलें सामने आ रहे हैं, जिन्होंने व्यापक टीकाकरण कवरेज प्राप्त किया है जैसे कि इज़राइल और यूनाइटेड किंगडम।
- ऐसा लगता है कि महामारी एक स्थायी 'पैन-एंडेमिक' स्थिति में विकसित हो जाएगी और टीकाकरण आने वाले वर्षों में तब तक जारी रहेगा, जब तक कि टीकों का उपयोग करके से वायरस को पूरी तरह से खत्म नही किया जाता।
- इसने फाइजर कंपनी को अमेरिका में बूस्टर खुराक की मंजूरी लेने के लिये और इज़राइल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को बूस्टर खुराक लेने के लिये प्रेरित किया है।
आगे की राह
- भारत में, जब तक टीके की आपूर्ति अपर्याप्त है, तब तक हमारे पास एक नैतिक दुविधा है।
- वैक्सीन रोल-आउट की योजना बनाने वाले प्रत्येक देश के लिये, वैक्सीनोलॉजी का विज्ञान माँग करता है कि प्राथमिक खुराक प्राप्त करने वाले सभी लोगों को एक चुने हुए उचित अंतराल पर कम से कम एक बूस्टर खुराक मिलनी चाहिये।
- भारत को सभी वयस्कों और बच्चों में दो प्राइमिंग खुराक, ऊपर वर्णित विशेष श्रेणी के लिये तीसरी खुराक और एक साल बाद सभी के लिये एक बूस्टर खुराक को पूरा करने के लिये टीकाकरण रणनीति बनानी चाहिये।
- इस तरह के टीकाकरण अभियान की सावधानीपूर्वक योजना और क्रियान्वयन ही, देश को इस वायरस और इसके विभिन्न रूपों के चंगुल से बाहर निकलने में मदद करेगा।