New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

राजनीति में अपराधीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति

(प्रारम्भिक परीक्षा: भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों सम्बंधी मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सांविधिक विनियामक और अर्द्ध-न्यायिक निकाय, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ)

चर्चा में क्यों?

  • राजनीति में अपराधीकरण के विषय पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए एक निर्णय को आगामी बिहार विधान सभा चुनाव में लागू किया जाएगा।
  • राजनीति में अपराधियों की भूमिका लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2004 में 24% अपराधियों के विरूद्ध आपराधिक मामले लम्बित थे, जबकि ये मामले वर्ष 2019 में बढ़कर 43% हो गए हैं।

राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण का प्रभाव

  • नौकरशाही का राजनीतिकरण
  • इससे चुनाव परिणामों में हेराफ़ेरी की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • इस प्रकार की प्रवृत्तियों से प्रत्याशियों की जीत के लिये राजनीतिक मूल्यों का पतन होता है।
  • राजनीति में अपराधीकरण से शासन भ्रष्टाचार की ओर अग्रसर होता है।
  • नागरिक समाज और व्यापार में राजनीति के बढ़ते प्रभुत्त्व से अधिकार व स्वंत्रता सीमित होती जाती है, जो अंततः लोकतंत्र के पतन का कारण बनती है।

सर्वोच्च न्यायलय निर्णय के मुख्य प्रावधान

  • राजनीतिक दलों के लिये यह अनिवार्य होगा कि वे उम्मीदवार से सम्बंधित लम्बित आपराधिक मामलों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने के साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिये भी जारी करें।
  • राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन सम्बंधी कारणों का भी उल्लेख करना होगा।
  • उम्मीदवारों के चयन का कारण उनकी योग्यता और उपलब्धियों से सम्बंधित होना चाहिये।
  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार ये सभी विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के अंदर या नामांकन दाखिल करने की तिथि से कम से कम दो सप्ताह पहले ही प्रकाशित किये जाने चाहिये।
  • इसके पश्चात राजनीतिक दल उक्त उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के अंदर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्देशों के अनुपालन (Compliance) सम्बंधी रिपोर्ट चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेगा।
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के पालन न करने की दशा में राजनीतिक दल को चुनाव आयोग द्वारा न्यायालय की अवमानना के दायरे में लाया जाएगा।

निर्णय का महत्त्व

  • इस निर्णय के माध्यम से पहली बार राजनीतिक दल और उसके नेतृत्व की राजनीतिक अपराधीकरण के लिये सार्वजानिक रूप से जवाबदेही सुनिश्चित की गई है।
  • यह निर्णय चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता को संरक्षित करने के उद्देश्य से सम्पत्ति के खुलासे, नोटा विकल्प, निर्वाचित प्रतिनिधियों से जुड़े मामलों के त्वरित निपटान हेतु विशेष अदालतों से सम्बंधित प्रावधान जैसे चुनाव सुधारों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • यह नागरिकों के लिये सूचना की उपलब्धता को बढ़ाता है, जिससे उन्हें प्रतिनिधि को चुनते समय अच्छी तरह से सोच समझकर निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

निर्णय के समक्ष चुनौतियाँ

  • अपराधीकरण से सम्बंधित कई कानूनों और अदालती फैसलों को लागू करने सम्बंधी चुनौतियों के चलते बहुत अधिक सहायता प्राप्त नहीं हो पाई है।
  • चुनाव और न्यायिक प्रणाली अभी तक कानूनी और तकनीकी बाधाओं के चलते आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों पर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने में असमर्थ है। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय जानकारी के आधार पर बेहतर विकल्प चुनने का अवसर प्रदान करता है।
  • सर्वेक्षण से पता चलता है कि देश भर के लोग शासन की गुणवत्ता तथा सीमित विकल्पों की उपलब्धता से नाखुश हैं।
  • चुनावी बॉन्ड की गोपनीय प्रक्रिया के चलते राजनीतिक फंडिंग में भी पारदर्शिता का अभाव है।

आगे की राह

  • सिविल सोसाइटी द्वारा उम्मीदवारों के शपथ पत्रों की प्रभावी निगरानी के साथ-साथ चुनाव आयोग द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि उम्मीदवारों से सम्बंधित जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध हो, जिसे मतदाताओं तक शीघ्र प्रसारित किया जा सके।
  • चुनाव के दौरान मतदाताओं को धन के दुरूपयोग, अनुचित उपहार और अन्य प्रलोभनों से सतर्क रहना चाहिये।
  • राजनीति में धन-बल की शक्ति को रोकने के लिये कानूनों के और अधिक कठोर बनाए जाने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR