(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : सांविधिक, विनियामक एवं विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने एक निर्देश जारी करके आधुनिक औषध विज्ञान में सर्टिफिकेट कोर्स पूरा करने वाले होम्योपैथिक चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाइयां लिखने की अनुमति प्रदान कर दी है।
क्या है क्रॉसपैथी
क्रॉसपैथी के तहत उपचार के लिए एलोपैथिक दवाओं के साथ-साथ होम्योपैथिक एवं आयुर्वेदिक दवाएँ भी दी जाती हैं।
मुद्दे की पृष्ठभूमि
- जून 2014 में महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद् अधिनियम, 1965 में संशोधन करके ‘पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी’ की परिभाषा बदल दी थी।
- इसमें आधुनिक फार्माकोलॉजी में सर्टिफिकेट कोर्स पूरा करने वाले और राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त होम्योपैथिक चिकित्सकों को शामिल किया गया।
- वर्ष 2017 में महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग ने विशिष्ट लाइसेंस वाले होम्योपैथिक चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति दी।
- हालाँकि, इस अधिसूचना को भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसके परिणामस्वरूप निर्देश पर रोक लगा दी गई।
निर्देश के विरोध का कारण
भारतीय चिकित्सा संघ का तर्क
- केंद्रीय होम्योपैथी नियामक संस्था के पास भी होम्योपैथी चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाएँ लिखने की अनुमति देने का प्रावधान न होना
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘क्रॉसपैथी’ पर प्रतिबंध लगाते हुए इसे चिकित्सीय लापरवाही की श्रेणी में रखना
- एफ.डी.ए. के पास ऐसा निर्देश जारी करने का अधिकार न होना
- विशेषकर जब न्यायालय का स्थगन आदेश (रोक) प्रभावी हो।
- उचित योग्यता के बिना एलोपैथिक दवाएं लिखने से मरीजों की सुरक्षा को खतरा
क्रॉसपैथी पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
- वर्ष 1996 के पूनम वर्मा बनाम अश्विन पटेल मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक होम्योपैथ चिकित्सक को लापरवाही के लिए उत्तरदायी ठहराया था क्योंकि उसके द्वारा एलोपैथिक दवा लिखने से एक मरीज की मौत हो गई थी।
- न्यायपालिका क्रॉस-सिस्टम (क्रॉसपैथी) अभ्यास को चिकित्सीय लापरवाही मानती है जब तक कि राज्य सरकारों द्वारा इसे स्पष्ट रूप से अधिकृत न किया गया हो।
केंद्र सरकार द्वारा आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने के कारण
- स्वास्थ्य सेवा की कमी को पूरा करने तथा वंचित क्षेत्रों में चिकित्सा पहुंच में सुधार लाने के लिए आयुष चिकित्सकों को एकीकृत किया जा रहा है।
- भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, चिकित्सकों की भारी कमी है। आयुष चिकित्सक इस कमी को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।
- हेल्थ डायनेमिक्स ऑफ इंडिया, 2022-23 के अनुसार, ग्रामीण भारत के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की लगभग 80% कमी है।
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम ने प्राथमिक देखभाल स्तर पर मध्य-स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए पहले से ही प्रावधान किए हैं, जिसमें नर्स एवं आयुर्वेद चिकित्सक शामिल हैं। अत: राज्य को ग्रामीण कार्यबल चुनौतियों का समाधान करने के लिए होम्योपैथ चिकित्सकों को एलोपैथी का अभ्यास करने की अनुमति दी जा सकती है।