हाल ही में, ऑस्ट्रेलियाई की एक क्रायोनिक्स कंपनी ने भविष्य में व्यक्ति को वापस जीवन में लाने की उम्मीद में अपने पहले ग्राहक ‘पेशेंट वन’ को फ्रीज कर दिया है।
गौरतलब है कि, 12 मई, 2024 को ही उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी, जिसके पश्चात इस प्रक्रिया को किया गया।
क्रायोनिक्स क्या है
क्रायोनिक्स ग्रीक शब्द ‘क्रियोस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है "बर्फीली ठंड"।
यह किसी मर चुके व्यक्ति को भविष्य में किसी समय पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से फ्रीज करने की पद्धति है।
यह अत्यधिक ठंडे तापमान का उपयोग करके जीवन बचाने का एक प्रयास है।
इसमें आज की चिकित्सा से परे किसी व्यक्ति को दशकों या सदियों तक संरक्षित किया जा सकता है, जब तक कि भविष्य की चिकित्सा तकनीक उस व्यक्ति को पूर्ण स्वास्थ्य में बहाल नहीं कर देती।
क्रायोप्रोटेक्टेंट्स का उपयोग ऊतकों को जमने के बजाय विट्रिफाई करने के लिए किया जाता है, जिससे बर्फ के क्रिस्टल बनने से रोका जा सकता है और कोशिकाओं की स्थिति को संरक्षित किया जा सकता है।
क्रायोप्रोटेक्टेंट्स पानी में घुलने पर उसका गलनांक कम कर देते हैं और कोशिकाओं की रक्षा करते हैं।
क्रायोनिक्स की भावी संभावनाएं क्या हैं?
वर्तमान में क्रायोप्रिजर्वेशन का उपयोग दुनिया भर की प्रयोगशालाओं में पहले से ही पशु कोशिकाओं, मानव भ्रूणों और कुछ व्यवस्थित ऊतकों को तीन दशकों तक की अवधि तक बनाए रखने के लिए किया जाता है।
जब किसी जैविक नमूने को क्रायोप्रिजर्व किया जाता है, तो उसमें DMSO या प्रोपलीन ग्लाइकॉल जैसे क्रायोप्रोटेक्टिव रसायन मिलाए जाते हैं और ऊतक का तापमान ग्लास ट्रांजिशन तापमान (आमतौर पर -120 डिग्री सेल्सियस) से नीचे कर दिया जाता है।
इस तापमानों पर, पर, आणविक गतिविधियाँ परिमाण के 13 क्रम से अधिक धीमी हो जाती हैं, जिससे जैविक समय प्रभावी रूप से रुक जाता है।
छोटे जानवरों, जैसे राउंडवॉर्म और खरगोश के गुर्दे का सफल क्रायोप्रिजर्वेशन और पुनरुद्धार, बड़े अंगों और संभवतः पूरे शरीर को संरक्षित और पुनर्जीवित करने में भविष्य की प्रगति की संभावना का सुझाव देते हैं।