(प्रारंभिक परीक्षा : कला एवं संस्कृति) मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन-2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
नई दिल्ली में आयोजित 46 वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक के अवसर पर भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने पहली बार 'सांस्कृतिक संपत्ति समझौते' पर हस्ताक्षर किए।
पृष्ठभूमि
- सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी एक पुराना मुद्दा है जिसने पूरे इतिहास में कई संस्कृतियों और देशों को प्रभावित किया है।
- 1970 के यूनेस्को कन्वेंशन के अनुसमर्थन से पहले भारत से बड़ी संख्या में प्राचीन वस्तुओं की तस्करी की गई, जो अब दुनिया भर के विभिन्न संग्रहालयों, संस्थानों और निजी संग्रहों में रखी गई हैं।
- 1976 से अब तक भारत 358 पुरावशेषों को वापस लाने में कामयाब हुआ है, जिनमें से 345 को 2014 के बाद से वापस लाया गया है।
क्या है सांस्कृतिक संपत्ति (Cultural Property)
- सांस्कृतिक विरासत की बहुत सी वस्तुओं को सांस्कृतिक संपत्ति माना जाता है, जिसमें वास्तुकला और स्मारकों से लेकर व्यक्तिगत कलाकृतियाँ शामिल होती हैं ।
- ये संपत्तियां पिछली पीढ़ियों को समझने और भविष्य के लिए ज्ञान को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
सांस्कृतिक संपत्ति समझौता
- क्या है : सांस्कृतिक संपत्ति समझौता (Cultural Property Agreement : CPA) 1970 के यूनेस्को कन्वेंशन के अनुरूप है।
- यह कन्वेशन सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को रोकने और रोकने के साधनों से जुड़ा है।
- उद्देश्य : सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी को रोकना और पुरावस्तुओं को उनके मूल स्थान पर वापस लाना।
- महत्त्व :
- सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी को रोकने में मदद
- आतंकवादियों और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के लिए वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत की समाप्ति
- प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया का सरलीकरण तथा पुरावशेषों की शीघ्र वापसी
- इस प्रारूप समझौते के तहत भारत ऐसे कई देशों के साथ समझौते करना चाहता है, जहां बड़ी संख्या में भारतीय कलाकृतियों की तस्करी की गई है।
सांस्कृतिक संपति के प्रत्यावर्तन की वर्तमान प्रक्रिया
- किसी विदेशी राष्ट्र में पाई गई भारतीय मूल की सांस्कृतिक संपत्ति की एफआईआर और फोटोग्राफिक साक्ष्य जैसी कागजी कार्रवाई के माध्यम से पुष्टि की जानी चाहिए।
- ऐसे साक्ष्यों में वस्तु की उत्पत्ति से लेकर भारत में वस्तु के किसके कब्जे में थी और वर्तमान में किसके कब्जे में है, तक की सम्पूर्ण सूचनाएं शामिल होती हैं।
- इन कलाकृतियों को स्वदेश लाने से पहले ऐतिहासिक पुरावशेषों के संरक्षण का प्रभारी के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा मंजूरी प्रदान की जानी चाहिए।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
- यह संस्कृति मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है जिसकी स्थापना वर्ष 1861 में इसके पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी।
- वर्ष 1958 के प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम के प्रावधानों के तहत ए.एस.आई. 3,650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इनमें मंदिर, मस्जिद, चर्च, मकबरे और कब्रिस्तान के साथ-साथ महल, किले, सीढ़ीदार कुएँ और रॉक-कट गुफाएँ आदि शामिल हैं।
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