(प्रारंभिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध और भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)
संदर्भ
हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2024-2027 की अवधि के लिए सार्क (SAARC) देशों के लिए मुद्रा विनिमय व्यवस्था पर एक संशोधित ढांचा तैयार करने का निर्णय लिया है।
इस ढांचे के तहत रिज़र्व बैंक विनिमय सुविधा के लाभ के इच्छुक SAARC केंद्रीय बैंकों के साथ द्विपक्षीय विनिमय समझौता करेगा।
विनिमय के लिए नया ढाँचा
वर्ष 2024-27 के ढाँचे के तहत भारतीय रुपए में विनिमय समर्थन के लिए विभिन्न रियायतों के साथ एक अलग भारतीय रुपया विनिमय खिड़की (INRExchange Window) शुरू की गई है।
वस्तुतः इस सुविधा के तहत कुल 250 बिलियन रुपए उपलब्ध हैं।
साथ ही, RBI एक अलग अमेरिकी डॉलर/यूरो विनिमय खिड़की के तहत अमेरिकी डॉलर एवं यूरो में विनिमय व्यवस्था की पेशकश भी जारी रखेगा, जिसका कुल कोष 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर होगा।
विनिमय सुविधा के लिए पात्र देश
यह मुद्रा विनिमय सुविधा द्विपक्षीय विनिमय समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाले सभी SAARC सदस्य देशों के लिए उपलब्ध होगी।
विदित है कि SAARC मुद्रा विनिमय सुविधा 15 नवंबर, 2012 को लागू हुई थी। इसका उद्देश्य SAARC देशों की अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं या भुगतान संतुलन संकटों के लिए दीर्घकालिक व्यवस्था होने तक वित्तपोषण की बैकस्टॉप लाइन प्रदान करना था।
क्या है मुद्रा विनिमय सुविधा
मुद्रा विनिमय सीमा पार दो संस्थाओं के बीच एक समझौता है, जिसमें उनमें से एक संस्थान, दूसरे संस्थान को विदेशी मुद्रा में ऋण प्रदान करने के लिए सहमत होता है।
इसमें पुनर्भुगतान एक निश्चित तिथि और विनिमय दर पर एक अलग मुद्रा में होता है। ऐसे ऋणों पर लगाई जाने वाली ब्याज दर आमतौर पर विदेशी बाजार में उपलब्ध ब्याज दर से कम होती है।
वर्ष 2018 से भारत 23 देशों के साथ मुद्रा विनिमय पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो चुका है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के बारे में
स्थापना : 8 दिसंबर 1985 को ढाका में SAARC चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ।
सचिवालय : 17 जनवरी 1987 को काठमांडू, नेपाल में स्थापित ।
सदस्य देश : 8 सदस्य।
इन देशों के नाम हैं : अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं मालदीव।
पर्यवेक्षक : वर्ष 2006 से SAARC में यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, चीन, ईरान, जापान, कोरिया गणराज्य, मॉरीशस, म्यांमार एवं अमेरिका को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
उद्देश्य :
दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देना और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना
क्षेत्र में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना
सभी व्यक्तियों को सम्मानपूर्वक जीने व अपनी पूरी क्षमता का एहसास करने का अवसर प्रदान करना
अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग को मजबूत करना और समान लक्ष्यों एवं उद्देश्यों वाले अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना
SAARC ने अपने सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए लगभग 22 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि का एक क्षेत्रीय SAARC कोविड-19 आपातकालीन कोष डिजाइन एवं कार्यान्वित किया है।
SAARC की संरचना
निर्णयन प्रक्रिया :
सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों या शासनाध्यक्षों की बैठकें SAARC के अंतर्गत निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है और सभी स्तरों पर निर्णय सर्वसम्मति के आधार पर लिए जाते हैं।
साथ ही, द्विपक्षीय एवं विवादास्पद मुद्दों को एसोसिएशन के विचार-विमर्श से बाहर रखा गया है।
शिखर सम्मेलन का आयोजन : शिखर सम्मेलन आमतौर पर द्विवार्षिक रूप से सदस्य देश द्वारा वर्णमाला क्रम में आयोजित किए जाते हैं।
शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला सदस्य देश संघ की अध्यक्षता ग्रहण करता है।
SAARC राष्ट्राध्यक्षों की अंतिम बैठक वर्ष 2014 में काठमांडू में आयोजित की गई थी। तब से नेपाल प्रतिवर्ष SAARC विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठकों का आयोजन कर रहा है।
विदेश मंत्रियों की पिछली बैठक सितंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा की बैठक के दौरान काठमांडू में वर्चुअली आयोजित की गई थी।