(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय संबंध, भारत से संबंधित और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
संदर्भ
- हालिया कुछ दिनों में, भारत-पाकिस्तान संबंधों में उत्साहजनक विकास को देखा गया है। 9 मार्च, 2022 को भारत की एक मिसाइल पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश कर गई, जिसके पश्चात् पाकिस्तानी सेना ने यह स्पष्ट किया कि मिसाइल हथियार के बिना थी और इससे जनमानस को कोई हानि नहीं हुई।
- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की प्रशंसा किये जाने को दोनों देशों के मध्य सकारात्मक संबंधों के रूप में देखा जा सकता है। इसी प्रकार, एक भारतीय व्यापारी द्वारा भारत से चीनी की एक खेप को पाकिस्तान के रास्ते उज्बेकिस्तान भेजा गया।
भारत-पाकिस्तान संबंधों की वर्तमान स्थिति
- विश्व बैंक का अनुमान है कि वर्ष 2017-18 के दौरान भारत-पाकिस्तान व्यापार क्षमता 37 अरब डॉलर की तुलना में वास्तविक व्यापार 2.4 अरब डॉलर ही हुआ था, जो कि वर्तमान में घटकर केवल 400 मिलियन डॉलर रह गया है।
- वर्तमान में विश्व के विभिन्न देश विभिन्न क्षेत्रों को एकीकृत करने के लिये आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार सौदों पर चर्चाएँ कर रहे हैं, इसके विपरीत भारत और पाकिस्तान ने एक वाणिज्यिक खाई बना रखी है जो दक्षिण एशिया के समग्र आर्थिक विकास में एक प्रमुख बाधा बनी हुई है।
- भारत द्वारा अटारी में अपना पहला एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) खोले जाने के बाद से लगभग पिछले 10 वर्षों से सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे में कोई बड़ा निवेश नहीं हुआ है। भारत के उत्तरी और पूर्वी पड़ोसी देशों के साथ 60 से अधिक बॉर्डर क्रॉसिंग हैं, जबकि पाकिस्तान के साथ केवल एक औपचारिक क्रॉसिंग है। विदित है कि भारत ने वर्ष 2025 तक 23 आई.सी.पी. के निर्माण की योजना बनाई है, उनमें से कोई भी पाकिस्तान की सीमा पर स्थित नहीं है।
- भारत-पाकिस्तान संबंधों में कटुता ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) को अव्यावहारिक बना दिया है, फलतः मोटर वाहन कनेक्टिविटी और संयुक्त उपग्रह जैसी परियोजनाएँ क्रियान्वित नहीं हो सकी है।
- इसके अतिरिक्त दोनों देशों के मध्य उत्पन्न खाई ने तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) गैस पाइपलाइन सहित एक एकीकृत पावर ग्रिड और ऊर्जा अन्योन्याश्रयता की योजनाओं को विफल कर दिया हैं।
- आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिये भारत को पाकिस्तानी वस्तुओं पर आयात शुल्क को कम करने की आवश्यकता है। विदित है कि पुलवामा हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान को दिये गए मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया तथा मूल सीमा शुल्क को 200% तक बढ़ा दिया।
आगे की राह
- भारत-पाकिस्तान संबंधों को मधुर बनाने के लिये अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की आर्थिक अन्योन्याश्रयता (Economic Interdependence) की रणनीति अत्यंत प्रभावी थी, जिसे वर्तमान में किये जाने की आवश्यकता है।
- पाकिस्तान की चीन के प्रतिनिधि के रूप में बढ़ती भूमिका ने भारत के लिये एक क्षेत्रीय चुनौती को प्रस्तुत किया है। वहीं दूसरी तरफ भारत की एक्ट ईस्ट और पड़ोसी प्रथम की नीतियों ने भारत का भू-आर्थिक संकेंद्रण पूर्व और दक्षिण की तरफ कर दिया है।
- मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जा पुनः प्रदान किये जाने से दोनों देशों के मध्य आर्थिक संबंधों में सुधार की संभावना है।
- भारत को गुजरात, राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने अंतिम छोर तक सड़क, रेल और हवाई नेटवर्क के विकास के लिये बड़े पैमाने पर वित्त पोषण करना चाहिये। इससे न केवल घरेलू विकास को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पाकिस्तानी सीमावर्ती अर्थव्यवस्थाओं का भी विकास संभव होगा।