New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

दुर्लभ रोगों की दवाओं के आयात पर सीमा शुल्क में राहत

प्रारंभिक परीक्षा - दुर्लभ रोग
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 व 3 - स्वास्थ्य, सरकारी नीतियाँ

सन्दर्भ 

  • हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए, व्यक्तिगत उपयोग हेतु आयातित सभी दवाओं पर सीमा शुल्क से पूर्ण छूट प्रदान कर दी गयी।
  • वित्त मंत्रालय के अनुसार, यह छूट 1 अप्रैल से लागू होगी।

rare-drugs

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • दुर्लभ रोगों के उपचार के लिये दवायें या विशेष खाद्य सामग्रियां बहुत महंगी हैं तथा उन्हें आयात करने की जरूरत होती है। 
  • सरकार को ऐसे कई प्रतिवेदन मिल रहे थे, जिनमें अन्य दुर्लभ रोगों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं और औषधियों के लिये सीमा शुल्क में राहत का अनुरोध किया गया था। 
  • केंद्र सरकार ने सामान्य छूट अधिसूचना के माध्यम से, राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के सम्बंध में निजी उपयोग के लिये विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सभी आयातित औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमा शुल्क से पूरी छूट दे दी है।
  • इस छूट को प्राप्त करने के लिये, वैयक्तिक आयातक को केंद्रीय या राज्य निदेशक स्वास्थ्य सेवा या जिले के जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन द्वारा प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
  • सरकार ने भिन्न-भिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाले पेमब्रोलीजूमाब (केट्रूडा) को भी सीमा शुल्क से छूट प्रदान कर दी है।

दुर्लभ रोग

  • दुर्लभ रोगों को ऐसे रोगों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो बहुत ही कम लोगों को प्रभावित करते हैं। 
    • इसके लिये तीन आधारों; रोग से प्रभवित ‘लोगों की कुल संख्या’, इसकी ‘व्यापकता’ और ‘उपचार विकल्पों की उपलब्धता या अनुपलब्धता’ का उपयोग किया जाता है।
  • WHO, दुर्लभ रोगों को आवृत्ति के आधार पर परिभाषित करता है। इसके अनुसार, ऐसा रोग जिससे पीड़ित रोगियों की संख्या प्रति दस हज़ार जनसंख्या में 6.5-10 से कम होती है, उसे दुर्लभ रोग कहा जाता है।
  • एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में ज्ञात दुर्लभ रोगों की संख्या लगभग 7,000 है और इससे पीड़ित रोगियों की संख्या लगभग 300 मिलियन है, जबकि भारत में इनकी संख्या लगभग 70 मिलियन है।
  • ‘भारतीय दुर्लभ रोग संगठन’ के अनुसार, इनमें वंशानुगत कैंसर, स्व-प्रतिरक्षी विकार, जन्मजात विकृतियाँ, हिर्स्चस्प्रुंग रोग (Hirschsprung’s Disease- इसमें बड़ी आँत प्रभावित होती है, जिससे मल त्याग में समस्या आती है), गौचर/गौशर रोग (Gaucher Disease- एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें प्लीहा व लीवर बढ़ जाता है और हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती है), सिस्टिक फाइब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (पेशीय अपविकास) और लाइसोसोमल भंडारण विकार, जैसे रोग शामिल हैं।

राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021

  • राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021 के तहत उन सूचीबद्ध दुर्लभ रोगों के उपचार के लिये ‘राष्ट्रीय आरोग्य निधि’ की छत्रक योजना के अंतर्गत 20 लाख रुपए तक के वित्तीय समर्थन का प्रावधान है, जिनके लिये केवल एक बार के उपचार की आवश्यकता होती है। 
    • इनको दुर्लभ रोग नीति में समूह-1 के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।
  • इस नीति में ‘स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों’ और ‘ज़िला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्रों’ जैसी प्राथमिक एवं द्वितीयक स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना तथा अधिक जोखिम वाले मरीजों के लिये परामर्श के माध्यम से त्वरित जाँच एवं रोकथाम पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • इस नीति में दुर्लभ रोगों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया है- 
    • एक बार उपचार वाले रोग।
    • लंबी अवधि या आजीवन उपचार की आवश्यकता वाले रोग।
    • ऐसे रोग जिनके लिये निश्चित उपचार उपलब्ध है परंतु लाभ के लिये इष्टतम रोगी का चयन करना चुनौतीपूर्ण है।

उद्देश्य

  • इस नीति का उद्देश्य संयोजक के रूप में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ‘स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग’ द्वारा गठित ‘राष्ट्रीय संघ’ (National Consortium) की सहायता से स्वदेशी अनुसंधान पर अधिक जोर देने के साथ-साथ इन रोगों की उपचार लागत को कम करना है।
    • इसके लिये ‘अनुसंधान और विकास’ के साथ-साथ ‘दवाओं के स्थानीय उत्पादन’ पर अधिक बल दिया जाएगा।
  • इस नीति में दुर्लभ रोगों की एक ‘अस्पताल आधारित राष्ट्रीय रजिस्ट्री’ तैयार करने की भी परिकल्पना की गई है, ताकि इन रोगों को परिभाषित करने तथा देश में इनसे संबंधित अनुसंधान एवं विकास के लिये पर्याप्त डाटा उपलब्ध हो सके।
  • इस नीति का उद्देश्य उत्कृष्टता केंद्र के रूप में वर्णित स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से दुर्लभ रोगों से बचाव एवं उपचार के लिये तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को मज़बूत करना भी है। 
    • निदान सुविधाओं (Diagnostics Facilities) के सुधार के लिये इन उत्कृष्टता केंद्रों को 5 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी।
  • इसके अलावा, नीति में एक ‘क्राउड फंडिंग तंत्र’ की भी परिकल्पनी की गई है। 
  • इसके माध्यम से जुटाई गई धनराशि को उत्कृष्टता केंद्रों द्वारा दुर्लभ रोगों के उपचार के लिये उपयोग किया जाएगा, तत्पश्चात शेष वित्तीय संसाधनों का उपयोग अनुसंधान के लिये भी किया जा सकता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR