(प्रारंभिक परीक्षा - सामान्य विज्ञान; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 : संचार नेटवर्क के माध्यम से आतंरिक सुरक्षा को चुनौती)
संदर्भ
कुछ दिनों पहले चीन के हैकर्स द्वारा मुंबई व तेलंगाना में विद्युत् व्यवस्था को ठप करने के लिये साइबर हमले किये गए। इससे पहले भी कोविड वैक्सीन से जुड़े शोधकार्यों को हैक करने की कोशिश की गई थी। इन घटनाओं से सिद्ध होता है कि साइबर सुरक्षा भारत के लिये अभी भी महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।
पृष्ठभूमि
- भारत में पहले भी कई बड़े साइबर हमले हो चुके हैं,जैसे- वर्ष 2009 में निर्वासित तिब्बती सरकार एवं भारतीय दूतावास पर घोस्टनेट, वर्ष 2010 में स्टक्सनेट (Stuxnet), वर्ष 2014 में राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज पर सकफ्लाई (suckfly),वर्ष 2019 में कुडनकुलम नाभिकीय संयंत्र एवं भारतीय बैंकों पर डी-ट्रैक (Dtrack)।
- इसके अतिरिक्त,कई साइबर हमलों में भारतीय सचिवालयों एवं सुरक्षा प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाया गया।
- ध्यातव्य है कि उपरोक्त साइबर हमलों में से अधिकतर चीन के हैकर्सव एजेंसियों द्वारा किये गए,जबकि कुछ के पीछे अमेरिकी व अन्य देशों की एजेंसियों के होने के प्रमाण भी मिले हैं।
क्यों आवश्यक है साइबर सुरक्षा?
- विश्व में चीन के बाद सबसे अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता भारत में हैं तथा साइबर हमलों का सर्वाधिक सामना करने वाले देशों में भी भारत शामिल है। वर्तमान में साइबर सुरक्षा के मुद्दे हैकिंग तथा वित्तीय धोखाधड़ी तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अत्यंत संवेदनशील हो गए हैं।
- विमुद्रीकरण और कोविड-19 जैसी घटनाओं ने लोगों को दैनिक जीवन में डिजिटलीकरण को अपनाने के लिये प्रेरित किया है। कोविड-19 के संदर्भ में एहतियात बरतते हुए वर्तमान में अधिकांश गतिविधियाँ इंटरनेट पर संचालित की जा रही हैं तथा घर से कार्य (Work From Home) का चलन भी व्यापक पैमाने पर शुरू हुआ है।इसलिये साइबर स्पेस पर भारत की निर्भरता कई गुना बढ़ गई है।
भारत की संस्थागत साइबर सुरक्षा अवसंरचनाएँ
पिछले दो दशकों से भारत में साइबर सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिये विभिन्न संस्थानों की स्थापना की गई है। इनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं :-
- सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) के अंतर्गत वर्ष 2004 में भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (Indian Computer Emergency Response Team - CERT-In) (2004) की स्थापना की गई।
- वर्ष 2014 में ऊर्जा, वित्त, दूरसंचार,परिवहन आदि से जुड़ी महत्त्वपूर्ण अवसंरचनाओं की सुरक्षा हेतु एक नोडल एजेंसी के रूप में‘राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र’ (National Critical Information Infrastructure– NCIIPC) की स्थापना की गई।इसकी स्थापना राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (National Technical Research Organization - NTRO) के अधीन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा-70 के तहत की गई है।
- प्रधानमंत्री को साइबर सुरक्षा से जुड़े महत्त्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर सलाह देने के लिये वर्ष 2013-14 में ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वय केंद्र’ (NCCC) की स्थापना की गई।
- भारतीय साइबर नीति परितंत्र के विकास में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् की भूमिकामहत्त्वपूर्ण है।इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं।
- ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय सूचना बोर्ड, साइबर सुरक्षा एवं नीति निर्माण संबंधी अंतर मंत्रालयी समायोजन हेतु शीर्ष निकाय है। इसके अध्यक्ष भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होते हैं।
- वर्ष 2018 में साइबर जागरूकता व नई तकनीकों से जुड़े शोध एवं विकास कार्यों के संचालन के लिये गृह मंत्रालय के अधीन ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (Indian Cybercrime Coordination Centre) की स्थापना की गई थी।
- साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा क्षमता विकास हेतु सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 1 जनवरी, 2018 को ‘साइबर सुरक्षित भारत पहल’ की शुरुआत की गई।
- वर्ष 2018-19 में डिफेंस साइबर एजेंसी (रक्षा मंत्रालय के अधीन)को एकीकृत कमान एवं संयुक्त साइबर ऑपरेशन हेतु पुनर्गठित किया गया।
- साइबर सुरक्षा से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं नीति निर्माण के लिये विदेश मंत्रालय भी लगातार प्रयास कर रहा है।
क्या हैं साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियाँ?
- साइबर जागरूकता का अभाव।
- सख़्त कानूनों व केंद्रीकृत व्यवस्था का अभाव।
- संस्थाओं में प्रभावी समन्वय की कमी।
- उत्तरदायित्व एवं कार्यक्षेत्र में अतिव्यापन व अस्पष्टता।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अनावश्यक प्रावधानों में संशोधन।
- स्पष्ट जवाबदेही का अभाव।
- महिलाओं के खिलाफ बढ़ते साइबर अपराध।
- साइबर कुशल कर्मचारियों का अभाव।
- ‘निजता बनाम निगरानी’ कामुद्दा।
- साइबर शसक्त देशों द्वारालगातार किये जा रहे साइबर हमले।
सुझाव
- भारत में एक पारदर्शी,सशक्त व सुस्पष्ट साइबर रणनीति की आवश्यकता है,ताकि साइबर अपराधियों के विरुद्ध प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत किया जा सके।
- केंद्र व राज्य सरकारों के बीच समन्वय बढ़ाया जाए व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को सॉफ्ट पॉवर के रूप में स्थापित करने के लिये क्षमता विकास पर ध्यान दिया जाए।
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति को अद्यतन किया जाय।
- साइबर सक्षम देशों द्वारा लगातार किये जाने वाले साइबर हमलों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ इनके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उचित विनियमन की माँग की जाए।
- सीमापार साइबर आतंकवाद (Cross Border Cyber Terrorism) से निपटने हेतु साइबर सुरक्षा कार्यक्रम के एक भाग के रूप में साइबर कमांडो बल का गठन किया जाए। साथ ही, सभी राज्यों के पुलिस विभागों में विशेष साइबर पुलिस कैडर का निर्माण किया जाना चाहिये।
- साइबर सुरक्षा में सुधार के लिये कृत्रिम बुद्धिमता तथा रोबोटिक्स का लाभ उठाने के लिये नवाचारी व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जाना चाहिये।
- साइबर सुरक्षा क्षेत्र के लिये पर्याप्त मानव संसाधन की आपूर्ति हेतु प्रशिक्षण और कौशल कार्यक्रम शुरू किये जाएँ।
- भारत में साइबर सुरक्षा क्षेत्र हेतु पृथक रूप से बजट आवंटित करके अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाए।