प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक घटनाक्रम, भूगोल)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान-अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-स्रोत एवं हिमावरण सहित) व वनस्पति तथा प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव)
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संदर्भ
अक्तूबर 2024 में स्पेन में घातक बाढ़ से कई लोगों की मौत हो गई है जबकि दर्जनों लोग लापता हैं। फ्लैश फ्लड की यह घटना स्पेन के आधुनिक इतिहास में सबसे घातक बाढ़ है। यह आपदा वर्ष 1967 के बाद से बाढ़ से संबंधित यूरोप की सबसे गंभीर त्रासदी बन गई है, जब पुर्तगाल में कम-से-कम 500 लोगों की मौत हो गयी थी।
स्पेन में फ्लैश फ्लड की घटना
- हाल ही में स्पेन में फ़्लैश फ्लड (Flash Flood) का कारण मूसलाधार वर्षा को माना गया है और इस भारी वर्षा का मुख्य कारण एक वार्षिक मौसमी परिघटना है जिसे ‘DANA’ के रूप में जाना जाता है।
- दक्षिणी और पूर्वी स्पेन के वैलेंसिया, मर्सिया, अंडालूसिया व मालागा शहरों में एक दिन में ही एक महीने से अधिक मात्रा की वर्षा हुई।
- स्पेन में DANA एक आम परिघटना है जो प्राय: पश्चिमी भूमध्य सागर में शरद ऋतु व वसंत के आगमन के साथ होती है।
- हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि हाल के वर्षों में DANA की तीव्रता एवं बारंबारता में वृद्धि हुई है और इसका विस्तार भौगोलिक रूप से अधिक विस्तृत क्षेत्र में हो गया है।
क्या है DANA
- परिचय : DANA स्पेनिश भाषा के वाक्यांश ‘डिप्रेशन ऐसलाडा एन निवेल्स अल्टोस’ (Depresión Aislada en Niveles Altos) का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ है ‘अत्यधिक ऊंचाई पर अवदाब में भिन्नता’।
- अन्य नाम : इसे ‘गोटा फ्रिया’ (Gota fría) या ‘कोल्ड ड्रॉप’ (Cold Drop) के नाम से भी जाना जाता है।
- अवधारणा की उत्पत्ति : इसकी उत्पत्ति वर्ष 1886 में हुई थी, जब जर्मन वैज्ञानिकों ने ‘काल्टलुफ्ट्रॉफेन’ या ‘कोल्ड ड्रॉप’ का विचार प्रस्तुत किया था। इसका उपयोग अत्यधिक ऊंचाई पर होने वाले विक्षोभ को दर्शाने के लिए किया जाता था किंतु सतह पर इसका कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं होता।
- वर्तमान में ‘कोल्ड ड्रॉप’ की अवधारणा पुरानी हो चुकी है और अब मौसम वैज्ञानिक DANA को अत्यधिक ऊंचाई वाले एक बंद अवदाब के रूप में परिभाषित करते हैं जो एक संबद्ध जेट स्ट्रीम से पृथक हो गया है।
DANA परिघटना निर्माण की प्रक्रिया
- DANA परिघटना का निर्माण तब होता है जब भूमध्य सागर के गर्म जल पर शीतल ध्रुवीय वायु उतरती है।
- समुद्र की सतह पर यह बदलाव वायुमंडलीय अस्थिरता उत्पन्न करता है जिससे समुद्र की सतह पर स्थित गर्म एवं आर्द्र वायु तेजी से ऊपर की ओर उठती है।
- कुछ ही घंटों में इस प्रक्रिया से सघन व उच्च क्यूम्यलोनिम्बस बादल या कपास वर्षी मेघ (Cumulonimbus Clouds) का निर्माण होता हैं। ये बादल भारी वर्षा करते हैं जिसके परिणामस्वरूप फ़्लैश फ्लड जैसी आपदा आती है।
- सामान्य तूफानों या झंझावातों के विपरीत DANA ध्रुवीय या उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम से स्वतंत्र रूप से उत्पन्न हो सकता है।
- जेट स्ट्रीम की भूमिका : मौसम प्रतिरूप की यह घटना जेट स्ट्रीम से संबंधित है।
- जेट स्ट्रीम पवनें क्षोभमंडल के उच्च स्तरों पर तेज गति से प्रवाहित वाली एक वायु धारा होती है जो पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है तथा ध्रुवीय शीतल वायु को ऊष्ण उष्णकटिबंधीय वायु से अलग करती है।
- शीतल वायु का एक समूह ध्रुवीय जेट स्ट्रीम से अलग हो जाता है और भूमध्य सागर के ऊपर ऊष्ण वायु से टकराता है जिसके परिणामस्वरूप DANA का निर्माण होता है।
फ़्लैश फ्लड के बारे में
- फ़्लैश फ्लड (Flash Flood) को ‘प्राय: सूखे क्षेत्र का अचानक अत्यधिक वर्षा, उफनती नदी या झील, पिघलती बर्फ या असाधारण रूप से उच्च ज्वार के कारण अत्यधिक जलमग्न होना’ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए, अमेरिका की मौसम विज्ञान एजेंसी ‘नेशनल वेदर सर्विस’ के अनुसार, फ़्लैश फ्लड तब आती है जब 6 घंटे से कम समय की वर्षा बाढ़ का कारण बनती है।
- फ़्लैश फ्लड की घटना प्राय: उन स्थानों पर अधिक होती है जहाँ नदियाँ संकरी एवं अत्यधिक ढालयुक्त होती हैं। यह घटना छोटी नदियों के पास स्थित शहरी क्षेत्रों में हो सकती हैं क्योंकि सड़कें एवं कंक्रीट जैसी कठोर सतहें पानी को भूमि में समाहित नहीं होने देती हैं।
भारत में बाढ़ की स्थिति
- असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक परियोजना से प्राप्त सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश के बाद भारत दुनिया में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित देश है तथा बाढ़ के कारण होने वाली वैश्विक मृत्यु का पांचवां हिस्सा भारत में होता है।
- भारत में चेन्नई व मुंबई जैसे शहरों में फ़्लैश फ्लड सामान्य है। उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों के तटीय क्षेत्रों में दबाव और चक्रवाती तूफान भी फ़्लैश फ्लड का कारण बनते हैं।
- भारत में फ़्लैश फ्लड प्राय: बादल फटने (क्लाउड बर्स्ट) से संबंधित होती है अर्थात कम समय में अचानक तीव्र वर्षा।
- हिमालयी राज्यों को ग्लेशियरों के पिघलने के कारण बनने वाली ग्लेशियल झीलों के उफान की चुनौती का भी सामना करना पड़ता है और पिछले कुछ वर्षों में इनकी संख्या में वृद्धि हुई है।
बाढ़ से उत्पन्न बाधाओं को रोकने के उपाय
बुनियादी ढांचे में सुधार
- शहरों में कंक्रीट के अत्यधिक निर्माण से पानी के रिसने एवं बहने के लिए स्थान की कमी आती जा रही है। शहरी जंगलों, आर्द्रभूमि, नदियों व झीलों का संरक्षण एवं सुरक्षा जलवायु परिवर्तन से प्रेरित बाढ़, पानी की कमी और हीटवेब से निपटने तथा रहने की स्थिति में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिए, चीन अपने 30 मेगासिटी को ‘स्पंज सिटी’ में बदलने का प्रयास कर रहा है जो नालियों में तीव्र वर्षा जल प्रवाह को धीमा करने के लिए ग्रीन रूफ का उपयोग करते हैं और शहरी आर्द्र भूमियों को अपने दो-तिहाई पानी को अवशोषित करने और पुनः उपयोग करने के लिए प्रयोग करते हैं।
- लंबे समय से पूर्वी कोलकाता की वेटलैंड्स एक प्रभावी बाढ़ बचाव तंत्र रही हैं जो शहर के सीवेज के एक बड़े हिस्से को साफ करने, शहर में ताज़ी सब्ज़ियों के कुल उपभोग का आधा हिस्सा पैदा करने और एक लाख लोगों को आजीविका प्रदान करने में मदद करती हैं।
सड़क संरचना में सुधार
- नियोजित जल निकास प्रणालियों की तुलना में शहरी क्षेत्रों का तेजी से विस्तार होने का अर्थ है कि कई सड़कें प्रभावी रूप से घातक जल निकास नालियाँ बन जाती हैं। स्थानीय बाढ़ को कम करने के लिए शहर की सड़कों के निर्माण व मरम्मत के तरीके में सुधार की आवश्यकता है।
- समय के साथ सड़क का स्तर आस-पास के क्षेत्रों, इमारतों व नालियों से ऊँचा हो जाता है, जो भारी बारिश के दौरान जलमग्न हो जाता है।
- यह स्थिति तब अधिक बदतर हो जाती है जब अधिकांश फ्लाईओवर, अंडरपास एवं मेट्रो लाइनें मौजूदा जल निकास प्रणाली को बाधित करती हैं जिससे बाढ़ के बाद यातायात में अत्यधिक रुकावट आती है।
- इसे सभी संबंधित एजेंसियों द्वारा प्रभावी बुनियादी ढाँचे के नियोजन एवं समन्वय के साथ संबोधित करने की आवश्यकता है।
पूर्व चेतावनी सेवाओं में सुधार
- 2000 के दशक की शुरुआत में मुंबई व सूरत जैसे शहरों में शहरी बाढ़ की विनाशकारी श्रृंखला के बाद भारत ने कई बड़े शहरों में पूर्वानुमान, पूर्व चेतावनी एवं निकासी प्रणालियों में सुधार किया है।
- इसका प्रसार जोखिम वाले अधिकांश स्थानों तक किया जाना चाहिए। साथ ही, सेलफोन, बिजली व पानी की महत्वपूर्ण आपूर्ति सेवाओं को मजबूत करना चाहिए ताकि वे लचीले हों और चरम घटनाओं से तेजी से उबरने में सक्षम हो सकें।