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डार्क टूरिज्म

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन-3 : पर्यटन संबंधित मुद्दे)

संदर्भ 

केरल के वायनाड में भूस्खलन घटना के बाद घटना स्थल को देखने के लिए पहुँचने वाले बड़ी संख्या को देखते हुए केरल पुलिस ने डार्क टूरिज्मके खिलाफ चेतावनी दी है तथा लोगों से आपदा प्रभावित स्थानों पर घूमने जाने से बचने का आग्रह किया है।

क्या है डार्क टूरिज्म (Dark Tourism)

  • मृत्यु या त्रासदी से जुडे स्थलों की बिना किसी विशिष्ट उद्देश्य के यात्रा को डार्क टूरिज्म या शोक पर्यटन के रूप में संबोधित किया जाता है।
    • इसमें उन जगहों पर जाना शामिल है जहाँ इतिहास की कुछ सबसे गंभीर घटनाएँ घटित हुई हैं; जैसे नरसंहार, हत्या, युद्ध, आपदा आदि।
  • इसे थानाटूरिज्म या ब्लैक टूरिज्म भी कहा जाता है।
  • आपदा पर्यटन, डार्क टूरिज्म का एक हिस्सा है जिसमें प्राकृतिक या आकस्मिक आपदा वाले स्थलों का दौरा किया जाता है।
  • ऐतिहासिक उदाहरण : 
    • यह शब्द 1990 के दशक में गढ़ा गया था, हालाँकि यह परिघटना बहुत पुरानी है।
    • 2019 में वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार “यह कोई नई घटना नहीं है। इस बात के सबूत हैं कि डार्क टूरिज्म वाटरलू की लड़ाई से जुड़ा है, जब लोग अपनी गाड़ियों से युद्ध को होते हुए देखते थे।”
  • इससे पहले 16वीं शताब्दी में लंदन में सार्वजनिक फांसी देखने के लिए भीड़ जमा होती थी।
  • डार्क टूरिज्म के लोकप्रिय स्थलों में ऑशविट्ज़, चेर्नोबिल, हिरोशिमा और न्यूयॉर्क में 9/11 स्मारक शामिल हैं।

क्यों लोकप्रिय हो रहा है डार्क टूरिज्म 

डार्क टूरिज्म में बढ़ती दिलचस्पी के कई कारण हो सकते हैं : 

  • उन लोगों की भावनाओं से जुड़ना जिन्होंने त्रासदी को सीधे अनुभव किया हो
  • शैक्षिक उद्देश्यों के लिए स्थलों पर जाकर जानकारी जुटाना
  • दैनिक जीवन की एकरसता से हटकर कुछ नया या अलग अनुभव करने की जिज्ञासा

डार्क टूरिज्म के नकारात्मक पहलू

  • शैक्षणिक उद्देश्य के पीछे निजी हितों से प्रेरित शोध या जानकारी एकत्र करने का प्रयास किया जाता है। 
    • ऐसी जानकारी का पर्यटन स्थलों या टूर ऑपरेटरों द्वारा पीड़ितों और अपराधियों दोनों के विचारों को असंवेदनशील तरीके से साझा करके अपने हितों को पूरा करने में किया जाता है।
  • सबसे महत्वपूर्ण चिंताओं में से एक त्रासदी और पीड़ा के व्यावसायीकरण को लेकर नैतिक दुविधा है।
    • ऐसे स्थलों को पर्यटक आकर्षण में बदलना अपमानजनक और शोषणकारी माना जा सकता है, जिससे इन स्थानों की पवित्रता कम हो जाती है।
  • घटना की गलत व्याख्या का जोखिम भी एक बड़ी चुनौती है, जहां आगंतुक वास्तविक संदर्भ को पूरी तरह से नहीं समझ पाते, जिसके परिणामस्वरूप जटिल घटनाओं के बारे में अतिसरलीकृत या विकृत दृष्टिकोण सामने आता है।
  • डार्क टूरिज्म कभी-कभी सांस्कृतिक असंवेदनशीलता और ताक-झांक को जन्म दे सकता है। 
    • आगंतुक अनजाने में या जानबूझकर इन स्थलों से जुड़े स्थानीय समुदायों के रीति-रिवाजों और संवेदनशीलताओं के प्रति अनादर या उपेक्षा दिखा सकते हैं।
  • कुछ पर्यटकों के लिए, काले इतिहास वाले स्थलों का दौरा करना भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से परेशान करने वाला हो सकता है। दर्दनाक घटनाओं के संपर्क में आने से भावनात्मक तनाव हो सकता है और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
  • पर्यटकों की आमद से इन स्थलों के आस-पास के पर्यावरण और बुनियादी ढांचे पर असर पड़ सकता है। पैदल यातायात, कूड़ा-कचरा और प्रदूषण बढ़ने से प्राकृतिक परिवेश को नुकसान पहुँच सकता है और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ सकता है।
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