चर्चा में क्यों?
हाल ही में, विश्व आर्थिक मंच के पाँच दिवसीय ‘दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
- इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टेट ऑफ दी वर्ल्ड’ (विश्व की स्थिति) विषय पर संबोधित किया और ‘P3 (प्रो प्लैनेट पीपल) आंदोलन’ की शुरुआत की। उन्होंने वर्तमान समय को भारत में निवेश के लिये सर्वाधिक उपयुक्त माना है।
- भारत ने कोविड-19 के दौरान ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ अवधारणा का पालन करते हुए आवश्यक दवाओं और वैक्सीन की आपूर्ति पूरे विश्व में की है। वर्तमान में भारत तीसरा सबसे बड़ा फार्मा उत्पादक है।
निवेश के लिये अनुकूल समय
- आत्मनिर्भरता के साथ भारत का ध्यान प्रक्रियाओं को सरल बनाने और निवेश एवं उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर है। विश्व आपूर्ति श्रृंखला में भारत एक भरोसेमंद साझीदार बनने के लिये प्रतिबद्ध है।
- भारत यूनिकॉर्न (Unicorn) की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और देश में पिछले 6 महीनों में दस हजार से अधिक स्टार्ट-अप पंजीकृत हुए हैं।
- भारत वर्तमान के साथ-साथ अगले 25 वर्षों के लिये लक्ष्य को ध्यान में रखकर नीतियाँ बना रहा है, जिसमें वृद्धि दर, कल्याण और आरोग्य को उच्चतम स्तर तक पहुँचाने का लक्ष्य है। इस अवधि में विकास प्रक्रिया हरित, स्वच्छ एवं सतत होगी।
भारत की चिंताएँ
- ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’ की संस्कृति और उपभोक्तावाद ने जलवायु चुनौतियों को अधिक गंभीर बना दिया है। अत: सतत अर्थव्यवस्था के त्वरित विकास की आवश्यकता है।
- आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, मुद्रास्फीति, जलवायु परिवर्तन तथा क्रिप्टो-करेंसी जैसे मुद्दों पर किसी एक देश द्वारा लिये गये फैसले इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे।