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डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT) मॉडल के आधार पर रेल परियोजनाओं का विकास

प्रारंभिक परीक्षा के लिए – DBFOT मॉडल, सार्वजनिक-निजी भागीदारी
मुख्य परीक्षा के लिए सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 – निवेश मॉडल

संदर्भ 

  • हाल ही में, भारतीय रेल मंत्रालय द्वारा डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT) मॉडल पर रेलवे परियोजनाओं के विकास के लिए एक मॉडल रियायत समझौता जारी किया गया। 

मुख्य विशेषताएं

  • रियायत अवधि  -  समझौते के लिए विशिष्ट रियायत अवधि 25 वर्ष है।
  • भूमि अधिग्रहण और अनुमोदन  - परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण के लिए रेल मंत्रालय जिम्मेदार है। 
    • निजी भागीदार को भूमि का उपयोग करने का लाइसेंस दिया जाएगा। 
  • रेल मंत्रालय, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित लाइसेंस प्राप्त करने के लिए भी जिम्मेदार है। 
  • परियोजना के लिए आवश्यक अधिकांश विनियामक लाइसेंस प्राप्त करना निजी भागीदार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, हालांकि उन लाइसेंस को प्राप्त करने में रेल मंत्रालय द्वारा निजी भागीदार को उचित समर्थन और सहायता प्रदान की जाएगी। 
  • आरक्षित सेवाएं  - जबकि निजी भागीदार को रेल प्रणाली को बनाए रखने की आवश्यकता होती है, रेल मंत्रालय द्वारा भी रेल प्रणाली (आरक्षित सेवाएं) पर कुछ परिचालनों की जिम्मेदारी और नियंत्रण रखा जाता है, जिसमें आम तौर पर रोलिंग स्टॉक का संचालन, यातायात नियंत्रण और टैरिफ का संग्रह शामिल होता है।
  • रेवेन्यू शेयरिंग  - रेल मंत्रालय, रेल प्रणाली पर माल ढुलाई से एकत्र राजस्व के 50 प्रतिशत की राशि के लिए निजी भागीदार को उपयोगकर्ता शुल्क का भुगतान करता है। 
    • रेल मंत्रालय द्वारा निजी भागीदार को एक न्यूनतम राजस्व गारंटी भी प्रदान की जाती है (यदि वास्तविक राजस्व निधारित बेंचमार्क से नीचे चला जाता है) 
    • लाभ साझाकरण तब लागू होता है जब राजस्व निर्धारित बेंचमार्क से अधिक होता है। 
  • सरकारी शेयरहोल्डिंग  - निजी भागीदार द्वारा रेल मंत्रालय को एक गैर-हस्तांतरणीय इक्विटी शेयर जारी करना होता है और रेल मंत्रालय को कुछ शासन अधिकार प्रदान करने होते है, जिसमें निजी भागीदार के बोर्ड में एक नामिती नियुक्त करने का अधिकार और कुछ कॉर्पोरेट कार्रवाइयों को वीटो करने का अधिकार शामिल है।  
  • समाप्ति अधिकार  - 180 दिनों के लिए मौजूद अप्रत्याशित घटना के लिए किसी भी पक्ष द्वारा समझौते को समाप्त किया जा सकता है। 
    • प्रत्येक पक्ष को प्रतिपक्ष डिफ़ॉल्ट के लिए समाप्त करने का भी अधिकार है। 
  • समाप्ति पर, राज्य को निजी भागीदार को समाप्ति भुगतान का भुगतान करना होगा (निजी भागीदार के बकाया ऋण और इक्विटी निवेश के संदर्भ में गणना)। 
    • देय राशि समाप्ति के आधार पर निर्धारित होती है।
  • इस मॉडल में, निजी भागीदार रियायत अवधि के दौरान परियोजना के डिजाइन, निर्माण, वित्तपोषण और संचालन के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होता है।

डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT) मॉडल

  • यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी का मॉडल है। 
  • इस विशेष मॉडल में, निजी भागीदार परियोजना के डिजाइन, निर्माण, वित्त और समझौते की अवधि के लिए परियोजना के संचालन के लिए जिम्मेदार होता है। 
  • निजी भागीदार, दी गई रियायतों या वार्षिकी भुगतान आदि के माध्यम से अपने निवेश की वसूली करता है।
  • अंत में, परियोजना को सार्वजनिक क्षेत्र को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
  • इस मॉडल के अंतर्गत, सार्वजनिक क्षेत्र वित्त पोषण एजेंसियों को गारंटी प्रदान करता है, भूमि के अधिग्रहण में मदद करता है और वैधानिक और पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने में भी सहायता कर सकता है तथा अनुबंध के अनुसार उचित वापसी का आश्वासन भी दे सकता है।
  • सरकार इस विशेष मॉडल में गारंटर की भूमिका में होती है।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के अन्य मॉडल

बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT)

  • इसके अंतर्गत निजी भागीदार परियोजना का डिज़ाइन तथा निर्माण करता है तथा अनुबंधित अवधि के दौरान संचालन के बाद परियोजना को सार्वजनिक क्षेत्र को स्थानांतरित कर देता है।
  • परियोजना के लिये वित्त की व्यवस्था निजी भागीदार को ही करनी होती है। 
  • सार्वजनिक क्षेत्र, निजी भागीदारों को उपयोगकर्त्ताओं से राजस्व एकत्र करने की अनुमति देता है। 

बिल्ड-ओन-ऑपरेट (BOO)

  • इस मॉडल के अंतर्गत निर्मित परियोजना का स्वामित्व निजी भागीदार के पास ही रहता है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र, परियोजना द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को पारस्परिक रूप से सहमत नियमों और शर्तों पर खरीदने के लिए सहमत होता है। 

बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOOT)

  • इसके अंतर्गत निजी भागीदार, परियोजना का निर्माण तथा निर्दिष्ट अवधि के लिए परियोजना का संचालन करता है तथा निर्दिष्ट अवधि के बाद परियोजना को सरकार को स्थानांतरित कर दिया जाता है।

बिल्ड-ऑपरेट-लीज़-ट्रांसफर (BOLT)

  • इस मॉडल के अंतर्गत सरकार एक निजी भागीदार को परियोजना का निर्माण करने, स्वामित्व रखने तथा सार्वजनिक क्षेत्र को परियोजना लीज पर देने और फिर लीज अवधि के अंत में सरकार को सुविधा का स्वामित्व हस्तांतरित करने के लिए रियायत देती है।

डिज़ाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट(DBFO)

  • इस मॉडल में परियोजना के डिज़ाइन, निर्माण तथा वित्त का उत्तरदायित्त्व निजी भागीदार पर होता है।
  • निजी भागीदार द्वारा अनुबंधित अवधि के लिये परियोजना का परिचालन भी किया जाता है। 

लीज़-डेवलप-ऑपरेट (LDO)

  • इस निवेश मॉडल के अंतर्गत या तो सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था परियोजना का स्वामित्व रखती है और निजी भागीदार के साथ लीज समझौते के अनुसार भुगतान प्राप्त करती है। 

इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC)

  • इस मॉडल के अंतर्गत परियोजना की लागत पूरी तरह से सरकार द्वारा वहन की जाती है। 
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी सिर्फ इंजीनियरिंग विशेषज्ञता तक सीमित रहती है। 

हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM)

  • इस मॉडल के अंतर्गत, सरकार वार्षिक भुगतान के माध्यम से पहले 5  वर्षों में परियोजना की कुल लागत का 40% भुगतान करती है, शेष 60% लागत की व्यवस्था निजी भागीदार द्वारा की जाती है।
  • सरकार निजी भागीदार को शेष 60% राशि का भुगतान परियोजना के प्रदर्शन के आधार पर करती है।
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