प्रारम्भिक परीक्षा – मृत आकाशगंगा (Dead Galaxy) मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 (भूगोल) |
संदर्भ
हाल ही में नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप के द्वारा JADES-GS-z7- 01-QU नामक मृत आकाशगंगा को खोजा गया है।
प्रमुख बिंदु :-
- इस खोज को 'नेचर' जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
- इसका नाम JADES-GS-z7- 01-QU रखा गया है।
- यह आकाशगंगा लगभग 700 मिलियन वर्ष पुरानीं है।
- यह अपनी तरह की सबसे पुरानी गैलेक्सी है।
निर्माण और मृत्यु :-
- इस आकाशगंगा में तारे का निर्माण तेजी से हुआ (लगभग 30 से 90 मिलियन वर्षों के बीच) और लगभग उतनी ही तेजी से लगभग 13 अरब पहले अचानक बंद हो गया।
- इसलिए इसे मृत आकाशगंगा कहा गया है।
महत्व:-
- इस मृत आकाशगंगा पर शोध करने से वैज्ञानकिों को यह समझने में सहायता मिलेगी कि कैसे और क्यों आकाशगंगाएं नए तारे बनाना बंद कर देती हैं.
- इस नई खोजी गई मृत आकाशगंगा का द्रव्यमान मिल्की वे के पास एक बौनी आकाशगंगा, स्मॉल मैगेलैनिक क्लाउड (एसएमसी) के बराबर है।
आकाशगंगा के मृत होने के कारक :-
- बाह्य कारक:- आकाशगंगा में नए तारे बनाने के लिए आवश्यक गैस जैसे- हाइड्रोजन का खत्म होना।
- इन गैसों के खत्म होने के कारण तारे का निर्माण धीमा या बंद हो जाता है।
- आंतरिक कारक:- सुपरमैसिव ब्लैक होल के निर्माण की प्रतिक्रिया से, इस आकाशगंगा से गैस का बाहर की ओर हस्तांतरण होने से तारे के निर्माण में रूकावट आ जाती है।
- संभावना : शोधकर्ताओं के अनुसार, इस मृत आकाशगंगा के फिर से जीवित होने की संभावना है।
जेम्स वेब टेलीस्कोप (JWST):-
- इस टेलीस्कोप को NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से बनाया गया है।
- इसे दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था।
- इसे अंतरिक्ष में L2 लैग्रेंज बिंदु पर स्थापित किया गया है।
- यह सबसे बड़ा, सबसे शक्तिशाली इन्फ्रारेड स्पेस टेलीस्कोप है।
- इसे हबल टेलीस्कोप के स्थान पर स्थापित किया गया है।
कार्य :-
- ब्रह्माण्ड में आकाशगंगाओं की खोज तथा बिग-बैंग के पहले तथा बाद की घटनों की खोज करना है।
महत्व:-
- JWST की मदद से, शोधकर्ता पहले की तुलना में अधिक रेडशिफ्ट और कम द्रव्यमान वाली मृत आकाशगंगाओं की पहचान कर सकते हैं।
- रेडशिफ्ट :-जैसे-जैसे ब्रह्मांड का विस्तार होता है, आकाशगंगाएँ दूर होती जाती हैं।
- इन आकाशगंगाओं से प्रकाश लंबी (इसका मतलब लाल) तरंग दैर्ध्य में स्थानांतरित हो जाता है इसे 'रेड-शिफ्टेड' कहते हैं।
लैग्रेंज पॉइंट :
- यह अंतरिक्ष में स्थित वह स्थान है, जहाँ दो बड़े द्रव्यमानों जैसे- सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव एक छोटी वस्तु को उनके साथ चलने के लिए आवश्यक सेंट्रिपेटल बल के बराबर होता है।
- इसे "जनरल थ्री-बॉडी प्रॉब्लम" के नाम से जाना जाता है।
- इनका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जाता है।
- इस पॉइंट्स का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है।
- ऐसे पाँच विशेष बिंदु हैं जहाँ एक छोटा द्रव्यमान दो बड़े द्रव्यमानों के साथ एक स्थिर पैटर्न में परिक्रमा कर सकता है।
- पांच लैग्रेंज बिंदुओं में से तीन अस्थिर हैं और दो स्थिर हैं।
- अस्थिर लैग्रेंज बिंदु - L1, L2 और L3 हैं।
- यह दो बड़े द्रव्यमानों को जोड़ने वाली रेखा के साथ स्थित हैं।
- स्थिर लैग्रेंज बिंदु - L4 और L5 हैं।
- यह दो समबाहु त्रिभुजों के शीर्ष का निर्माण करते हैं जिनके शीर्षों पर बड़े द्रव्यमान होते हैं।
- L4 पृथ्वी की कक्षा का नेतृत्व करता है और L5 उसका अनुसरण करता है।
- वर्तमान में यह सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से लगभग 1.5 मिलियन किमी. दूर है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : मृत आकाशगंगा (Dead Galaxy)के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- हाल ही में नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप के द्वारा JADES-GS-z7- 01-QU नमक मृत आकाशगंगा को खोजा गया है।
- यह आकाशगंगा लगभग 700 मिलियन वर्ष पुरानीं है।
- इस आकाशगंगा का द्रव्यमान मिल्की वे के पास एक बौनी आकाशगंगा, स्मॉल मैगेलैनिक क्लाउड (SMC) के बराबर है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर (c)
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स्रोत : DownToEarth