चर्चा में क्यों
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने रेल पटरियों पर हाथियों की मौत को रोकने के लिये एक ‘स्थायी’ समन्वय समिति का गठन किया है, जिसमें रेल और पर्यावरण मंत्रालयों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- हाथियों की मौत की संख्या को कम करने के लिये कई कदम उठाए गए हैं। इसके बावजूद भी देश में वर्ष 2018-19 में 19, 2019-20 में 14 और 2020-21 में 12 हाथियों की मौत हुई।
- पिछले वर्ष एक रिपोर्ट में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का उल्लेख है कि विशेष रूप से सीमांकित और अधिसूचित हाथी मार्ग के बावजूद रेलगाडियों से होने वाली टक्कर हाथियों की अप्राकृतिक मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
- विदित है कि रेलवे पर एक स्थायी समिति ने वर्ष 2013 में टकराव की संभावना को कम करने के लिये इन स्थानों पर ट्रेनों की गति को सीमित करने की सिफ़ारिश की थी।
टकराव को रोकने संबंधी भारतीय वन्यजीव संस्थान का सुझाव
- चिह्नित हाथी गलियारों और आवासों में स्थायी और अस्थायी गति प्रतिबंध बनाना।
- चिह्नित स्थानों पर हाथियों की आवाजाही के लिये अंडरपास और रैंप बनाना।
- चयनित स्थानों पर बाड़ लगाना।
- चिह्नित हाथी गलियारों के बारे में ट्रेन चालकों को चेतावनी देने के लिये साइनेज लगाना।
- ट्रेन चालक दल और स्टेशन मास्टरों को संवेदनशील बनाना।
- हाथियों के साथ ट्रेन की टक्कर से बचने के लिये, रेलवे भूमि के भीतर ट्रैक के किनारों पर मौजूद वनस्पतियों को साफ करना।
- रेलवे अधिकारियों के साथ संपर्क करने के लिये रेलवे नियंत्रण कार्यालयों में वन विभाग के कर्मचारियों को तैनात करना।
- स्टेशन मास्टरों और इंजन चालकों को सतर्क करके,उचित समय पर कार्रवाई के लिये वन विभागों द्वारा हाथी ट्रैकर्स को शामिल करना।
- राज्य के वन विभागों और रेलवे विभागों के बीच समन्वय बैठकें करना।