(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
वर्ष 2047 तक विकसित भारत की संकल्पना के मूल में समावेशी विकास है जो यह सुनिश्चित करता है कि विकास हर नागरिक, हर व्यवसाय एवं हर क्षेत्र तक पहुँचे। इसके लिए निर्बाध आपूर्ति शृंखलाओं से लेकर अंतिम-मील कनेक्टिविटी तक एक कुशल एवं स्केलेबल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क की आवश्यकता है।
भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर द्वारा कार्बन उत्सर्जन
- एक समावेशी लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए बुनियादी ढाँचा, दक्षता एवं पहुँच महत्त्वपूर्ण है। साथ ही, भविष्य के लिए तैयार, लचीले लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के निर्माण के लिए पर्यावरण और इसकी प्राथमिकताएँ भी आवश्यक हैं।
- वर्तमान में भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर दुनिया में सर्वाधिक कार्बन-गहन है। देश के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में इसका हिस्सा लगभग 13.5% है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर के कुल उत्सर्जन में सड़क परिवहन का हिस्सा लगभग 88% से अधिक है।
- घरेलू विमानन का योगदान लगभग 4% है।
- तटीय एवं अंतर्देशीय शिपिंग उत्सर्जन भार में वृद्धि करता है किंतु यह सड़क माल ढुलाई की तुलना में काफी कम है।
- जैसे-जैसे देश वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे परिवहन, वेयरहाउसिंग एवं आपूर्ति शृंखला उत्सर्जन को कम करना अनिवार्य है।
सुधारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता
सरकारी नीतियों में वर्ष 2030 तक अंतर्देशीय जलमार्गों पर माल एवं यात्री और तटीय शिपिंग कार्गो आवागमन में तेजी से विस्तार की परिकल्पना की गई है। यह वृद्धि आर्थिक गति में वृद्धि करने के साथ ही इसकी मापनीयता एवं स्थिरता लक्ष्यों को भी बनाए रखने में सहायक है।
रेल परिवहन
- चीन एवं अमेरिका जैसे देश माल परिवहन को सड़क से रेल पर सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर रहे हैं क्योंकि सड़क परिवहन की तुलना में रेल माल ढुलाई उत्सर्जन को काफी कम करती है।
- भारत में उत्सर्जन कम करने और दक्षता में सुधार के लिए माल परिवहन में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाने पर बल देना चाहिए।
- रेल मार्ग के विद्युतीकरण से यह परिवहन का अधिक टिकाऊ, लगभग शून्य-कार्बन उत्सर्जन वाला माध्यम बन सकता है।
सड़क परिवहन
- सड़क माल परिवहन को स्वच्छ बनाने के लिए एक केंद्रित संरचनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक ट्रकों को बिजली देने के लिए राजमार्गों पर ओवरहेड इलेक्ट्रिक तार लगाने की घोषणा की है।
- इस संबंध में दिल्ली-जयपुर कॉरिडोर पर पहला पायलट प्रोजेक्ट उच्च दक्षता एवं आर्थिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करते हुए माल ढुलाई से होने वाले उत्सर्जन को कम करने में एक सफलता हो सकती है।
जल परिवहन
- तटीय शिपिंग एवं अंतर्देशीय जलमार्गों में डी-कार्बोनाइजेशन की अपार संभावनाएँ हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) का लक्ष्य वर्ष 2008 के स्तर की तुलना में वर्ष 2050 तक वैश्विक शिपिंग उत्सर्जन में 50% की कटौती करना है।
- इसके लिए शिपिंग उद्योग को अमोनिया, हाइड्रोजन, LNG, जैव-ईंधन, मेथेनॉल एवं बिजली जैसे स्वच्छ ईंधन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- भारत LNG-संचालित जहाजों, सौर-सहायता, इलेक्ट्रिक या जैव-ईंधन चालित नौकाओं को पेश करके अपने हरित संक्रमण को तेज़ कर सकता है। उत्सर्जन में कटौती करने वाले ये कदम माल ढुलाई को कुशल एवं टिकाऊ बनाए रख सकते हैं।
वायु परिवहन
परिष्कृत ईंधन पर अत्यधिक निर्भरता के कारण वायु परिवहन में डी-कार्बोनाइजेशन एक व्यापक चुनौती प्रस्तुत करता है। हालाँकि, संधारणीय विमानन ईंधन में प्रगति और अन्य परिवहन साधनों में दक्षता में सुधार उत्सर्जन को ऑफसेट करने में मदद कर सकता है।
वेयरहाउस
- उच्च ऊर्जा खपत के कारण वेयरहाउसिंग कार्बन उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत बना हुआ है।
- सौर, पवन एवं भूतापीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने से वेयरहाउस के कार्बन कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprints) में भारी कटौती हो सकती है।
निष्कर्ष
- भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का डी-कार्बोनाइज़ेशन उत्सर्जन में कटौती करने के साथ ही एक अधिक प्रतिस्पर्धी, लचीला एवं भविष्य के लिए तैयार उद्योग के निर्माण से संबंधित है।
- रेल माल ढुलाई को बढ़ाकर, सड़क परिवहन को विद्युतीकृत करके, स्वच्छ समुद्री ईंधन को अपनाकर और गोदामों को अधिक ऊर्जा-कुशल बनाकर, भारत निम्न पर्यावरणीय प्रभाव के साथ एक उच्च प्रदर्शन करने वाला लॉजिस्टिक्स नेटवर्क बना सकता है।
- वर्तमान में देश को सही नीतियों एवं निवेशों के साथ एक स्वच्छ, हरित व अधिक कुशल लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का मार्ग प्रशस्त करने पर बल दिया जाना चाहिए।