चर्चा में क्यों
भारत में घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन में निरंतर कमी हो रही है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में कच्चे तेल का उत्पादन घटकर 28.4 मिलियन मीट्रिक टन रह गया जो पिछले दो दशकों में सबसे कम है।
आयात पर निर्भरता
- समय के साथ भारत में कच्चे तेल की खपत निरंतर बढ़ती गई लेकिन घरेलू उत्पादन का स्तर नहीं बढ़ सका। फलतः आयात पर निर्भरता बढ़ती गई।
- भारत तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता होने के बावजूद अपनी 85% आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है। आयात पर अत्यधिक निर्भरता एवं कीमतों में वृद्धि के कारण भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है।
- भारत के कच्चे तेल का आयात बिल वित्तीय वर्ष 2021-22 में बढ़कर 120.4 बिलियन डॉलर हो गया है जो व्यापार घाटे का एक मुख्य कारक है।
ओ.एन.जी.सी. का संकट
- घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ONGC) द्वारा उत्पादित किया जाता है। विदित है कि ओ.एन.जी.सी. के तेल उत्पादन में लगातार कमी हो रही है।
- वित्त वर्ष 2021-22 में इसने 19.45 मीट्रिक टन क्रूड का उत्पादन किया जो वित्त वर्ष 2011-12 के बाद सबसे कम था।
उत्पादन में गिरावट के कारण
- कच्चे तेल के उत्पादन में गिरावट का प्राथमिक कारण भारत का तेल के पुराने कुओं पर निर्भर होना है। साथ ही, नए तेल के कुओं की कोई बड़ी खोज न होना भी उत्पादन को कम कर रहा है।
- विकास (ज्ञात भंडार को अधिकतम करना) और अन्वेषण (नए तेल के भंडार का पता लगाना) के लिये खोदे गए नए कुओं की संख्या में गिरावट आई है।