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सागरीय अधस्तल के विस्तार में कमी

(प्रारंभिक परीक्षा- विश्व का भूगोल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 : विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ)

संदर्भ

पिछले 19 मिलियन वर्षों के आँकड़ों का विश्लेषण करने वाले एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि वैश्विक स्तर पर सागरीय अधस्तल प्रसार (Sea Floor Spreading) की दर में लगभग 35% की कमी आई है। 

विश्लेषण के प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिये दुनिया के सबसे बड़े फैलते हुए कटक में से 18 का चयन किया और समुद्री पर्पटी (Oceanic Crust) पर चट्टानों के चुंबकीय रिकॉर्ड का अध्ययन किया, ताकि यह गणना की जा सके कि पूर्व के 19 मिलियन वर्षों में समुद्री पर्पटी का किस दर से निर्माण हुआ।
  • शोधकर्ताओं को यह ज्ञात हुआ कि समुद्री अधस्तल का प्रतिवर्ष लगभग 140 मिलीमीटर की दर से फैलाव हो रहा है, जबकि 15 मिलियन वर्ष पहले यह दर प्रति वर्ष लगभग 200 मिलीमीटर थी।
  • गौरतलब है कि सभी कटक एक जैसी गति से नहीं फैलते हैं, कुछ की गति तेज़ हो जाती है जबकि अन्य की लगभग धीमी हो जाती है। ये प्रभाव विशेष रूप से पूर्वी प्रशांत के कटक क्षेत्र पर स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। इस क्षेत्र में कुछ कटक 19 मिलियन वर्ष पहले की तुलना में प्रतिवर्ष लगभग 100 मिलीमीटर की दर से धीमी गति से फ़ैल रहे हैं। इससे वैश्विक स्तर पर सागरीय अधस्तल विस्तार कम हो गया है।
  • शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समुद्री पर्पटी पर उपस्थित बेसाल्ट चट्टानों में चुंबकीय गुण पाए जाते हैं। 

सागरीय अधस्तल विस्तार (Sea Floor Spreading)

  • सागरीय अधस्तल विस्तार एक भू-वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो भूपर्पटी का निर्माण करती है, जिसे पृथ्वी तल का सबसे बाहरी आवरण कहा जाता है। 
  • विवर्तनिकी के फलस्वरूप प्लेट (टेक्टोनिक प्लेट्स) अलग हो जाती हैं और मैग्मा पृथ्वी के आंतरिक भाग के रिक्त स्थान को भर देता है। तत्पश्चात् मैग्मा ठंडा होकर एक नई महासागरीय पर्पटी बनाता है। ये गतिविधियाँ मध्य-महासागर के कटक (Mid-ocean Ridges) के साथ होती रहती हैं और फलस्वरूप समुद्र तल से उठने वाली बड़ी पर्वत शृंखलाओं का निर्माण (Emergence) होता है।
  • सागरीय अधस्तल का विस्तार समुद्री स्तर और कार्बन चक्र को प्रभावित करता है। इसलिये विस्तार की दर का निर्धारण महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के लिये, विस्तार की दरों में तेज़ी से तात्पर्य अधिक ज्वालामुखी गतिविधियों से है, जो वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों को इंजेक्ट करती है।

विस्तार की दर में कमी के कारण 

  • सागरीय अधस्तल के विस्तार में कमी एक कारण पर्वत शृंखलाओं के निर्माण में वृद्धि हो सकती है। 
  • अन्य कारक, मेंटल कन्वेक्शन (Mantle Convection)  में परिवर्तन हो सकता है। मेंटल कन्वेक्शन ऊष्मा को पृथ्वी के आंतरिक भाग से सतह तक पहुँचाता है। 

महाद्वीपीय विस्थापन

  • शोधकर्ताओं के अनुसार लगभग 200 मिलियन वर्ष पहले जब सुपरकॉन्टिनेंट पैंजिया टूटना प्रारंभ हुआ, तो कोई बड़ी प्लेट टकराव या संबंधित पर्वत शृंखलाएँ नहीं थीं और तब महाद्वीप काफी समतल थे।
  • जैसे-जैसे पैंजिया अलग होता गया, नए महासागरीय बेसिन बनते गए, अंततः व्यापक रूप से खंडित महाद्वीप एक-दूसरे से टकराने लगे।
  • परिणामस्वरूप भारत और यूरेशिया, अरब प्रायद्वीप और यूरेशिया के साथ-साथ अफ्रीका और यूरेशिया के बीच टकराव उत्पन्न होने लगे।
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