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जीएसटी के तहत अपराधों का गैर-अपराधीकरण 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए – जीएसटी, जीएसटी परिषद, 
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप

संदर्भ 

  • हाल ही में सम्पन्न हुई जीएसटी परिषद की 48वीं बैठक के दौरान, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम, 2017 की धारा 132 के तहत कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की सिफारिश की गयी।
  • जीएसटी परिषद द्वारा, जीएसटी कर दरों में बदलाव, व्यापार में सुविधा के उपायों और जीएसटी अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के उपायों से संबंधित सिफारिशें भी की गईं।

अपराधों का गैर-अपराधीकरण 

  • जीएसटी परिषद द्वारा अपराधों को कम करने के लिए विभिन्न उपायों की सिफारिश की है जैसे -
    • GST के तहत अभियोजन शुरू करने के लिए कर राशि की न्यूनतम सीमा को एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ कर दिया गया है, जिसमें माल या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के बिना चालान जारी करने के अपराध शामिल नहीं होंगे।
    • कंपाउंडिंग राशि को कर राशि के 50 से 150% की वर्तमान सीमा से घटाकर 25 से 100% तक कर दिया गया है। 
  • सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 के तहत निर्दिष्ट कुछ अन्य अपराधों का भी गैर-अपराधीकरण किया गया है जैसे –
    • किसी अधिकारी को अपने कर्तव्यों को पूरा करने में बाधा डालना या रोकना
    • साक्ष्य सामग्री के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ 
    • सूचना की आपूर्ति में विफलता

अन्य प्रमुख सिफारिशें

  • जीएसटी परिषद ने अपनी 47वीं बैठक में ही अपंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं और संरचना करदाताओं को कुछ शर्तों के अधीन ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (ईसीओ) के माध्यम से माल की अंतर-राज्य आपूर्ति करने की अनुमति देने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी।
  • अब परिषद ने प्रासंगिक अधिसूचना जारी करने के साथ-साथ जीएसटी अधिनियम और जीएसटी नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी है, ताकि इसे सक्षम बनाया जा सके।
  • इसके अतिरिक्त, पोर्टल पर आवश्यक कार्यक्षमता के विकास के साथ-साथ ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (ईसीओ) द्वारा तैयारियों के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए  जीएसटी परिषद ने इस योजना को अक्टूबर 2023 से लागू करने की सिफारिश की है।
  • गैर-पंजीकृत खरीदारों द्वारा वहन किए गए कर की वापसी के दावे के लिए कोई प्रक्रिया नहीं है, ऐसे मामलों में जहां सेवाओं की आपूर्ति के लिए अनुबंध/समझौता, जैसे फ्लैट/घर का निर्माण और दीर्घकालिक बीमा पॉलिसी रद्द कर दी जाती है और समय समाप्त हो जाता है। 
    • परिषद ने ऐसे मामलों में गैर-पंजीकृत खरीदारों द्वारा रिफंड के आवेदन को दाखिल करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए एक परिपत्र जारी करने के साथ सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में संशोधन की सिफारिश की है।
  • सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के नियम 108 के उप-नियम (3) और नियम 109 में संशोधन किया जाएगा ताकि अपील किए गए आदेश की प्रमाणित प्रति जमा करने और अपीलीय प्राधिकारी द्वारा अंतिम पावती जारी करने की आवश्यकता पर स्पष्टता प्रदान की जा सके। 
    • इससे अपीलों पर समय पर कार्रवाई करने में सुविधा होगी और अपीलकर्ताओं के लिए अनुपालन का बोझ कम होगा।

जीएसटी अधिनियम के तहत पहले क्या अपराध था

  • जीएसटी लागू होने के बाद से अप्रत्यक्ष कर से बचने के लिए कर चोरी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • अधिकारी, कर चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल और जीएसटी रिटर्न से प्राप्त डेटा का सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं।
  • जीएसटी कानून कठोर दंड और दिशा-निर्देश स्थापित करता है जिनका करदाताओं को पालन करना चाहिए ताकि माल का राज्य के भीतर या अंतरराज्यीय व्यापार सुचारू रूप से सुनिश्चित किया जा सके और भ्रष्टाचार से मुकाबला किया जा सके तथा एक प्रभावी कर संग्रह प्रणाली को बनाए रखा जा सके।
  • जीएसटी कानून दो अलग-अलग प्रकार के दंडों का प्रावधान करता है, जो  समवर्ती और युगपत दोनों हो सकते हैं।
  • विभाग के अधिकारियों के पास वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए मौद्रिक जुर्माना लगाने और दंड के रूप में माल की जब्ती करने का अधिकार है।
  • आपराधिक दंड में कारावास और जुर्माना दोनों शामिल हैं, जो जीएसटी कानून द्वारा भी प्रदान किए जाते हैं लेकिन यह अभियोजन के बाद केवल एक आपराधिक अदालत में ही दिए जा सकते हैं।
  • जेल की सजा की अवधि कर चोरी की राशि, अनुचित तरीके से दावा या उपयोग किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की राशि, या अनुचित तरीके से दावा किए गए रिफंड की राशि के अनुसार निर्धारित की जाती है।
  • इसके अतिरिक्त यह देखा गया है कि कई गैर-अनुपालन, दंड की दोनों श्रेणियों अभियोजन और कंपाउंडिंग के अंतर्गत आते हैं।
  • सीजीएसटी अधिनियम की धारा 122 से 131 में जुर्माने से संबंधित प्रावधान हैं, जबकि धारा 132 से 138 में अभियोजन और कंपाउंडिंग से संबंधित प्रावधान हैं।
  • यह खंड अपराधों को आगे दो वर्गों में विभाजित करता है -
    • जो संज्ञेय और जमानती हैं 
    • जो संज्ञेय नहीं हैं और जमानती हैं

जीएसटी कानून के अपराध जो आईपीसी और सीआरपीसी को आकर्षित करते है 

  • सीजीएसटी अधिनियम के तहत यदि दो या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह कोई अवैध कार्य जैसे टैक्स चोरी, धोखाधड़ी आदि करने के लिए सहमत होता है तो उन्हें आपराधिक साजिश के तहत उत्तरदायी ठहराया जाता है।
    • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120A, आपराधिक साजिश को परिभाषित करती है तथा धारा 120बी आपराधिक साजिश के लिए सजा से संबंधित है। 
    • दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 46 गिरफ्तारी की प्रक्रिया संबंधित है।
  • यदि किसी व्यक्ति ने धारा 132 के तहत कोई अपराध किया है, तो सीजीएसटी अधिनियम की धारा 69, आयुक्त के एक आदेश से उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करती है। 
  • सीजीएसटी अधिनियम की धारा 67 के अनुसार ऐसा अधिकारी जो संयुक्त आयुक्त के पद से नीचे के पद पर नहीं है, वह लिखित रूप से निरीक्षण या तलाशी को अधिकृत कर सकता है।
    • सीआरपीसी की धारा 67 के अनुसार यदि समन स्थानीय प्राधिकरण के बाहर जारी किया जाता है, तो उस सम्मन की एक डुप्लीकेट कॉपी उस बाहरी प्राधिकारी के मजिस्ट्रेट को समन तामील करने के लिए भेजी जानी चाहिए।
    • सीआरपीसी की धारा 165 पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी से संबंधित है।

जीएसटी परिषद

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 279ए भारत के राष्ट्रपति को केंद्र और राज्यों के संयुक्त मंच के रूप में जीएसटी परिषद का गठन करने की शक्ति देता है।
  • जीएसटी परिषद में शामिल होते हैं -
    • केंद्रीय वित्त मंत्री - अध्यक्ष
    • केंद्रीय राज्य मंत्री - सदस्य
    • वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित कोई अन्य मंत्री - सदस्य
  • जीएसटी परिषद, जीएसटी पर संघ और राज्यों को सिफारिशें करने के लिए एक शीर्ष समिति है।
  • जीएसटी परिषद में निर्णय कम से कम तीन-चौथाई मतों के बहुमत से लिए जाते हैं।
  • कुल डाले गए वोटों का एक-तिहाई भार केंद्र के पास होता है और सभी राज्यों के पास संयुक्त रूप से कुल डाले गए वोटों का दो-तिहाई भार होता है।
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