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डीप ओशन मिशन 

वर्तमान संदर्भ 

  • 16 जून, 2021 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘डीप ओशन मिशन’ (गहरे समुद्र अभियान) को मंजूरी प्रदान की।
  • इस अभियान को 5 वर्ष की अवधि के लिये लागू किया जाएगा।
    • इसकी अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए होगी।
    • इसका पहला चरण 3 वर्षों (2021-2024) के लिये लागू किया जाएगा।

    प्रमुख बिंदु

    • डीप ओशन मिशन एक मिशन आधारित परियोजना है।  यह भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) पहल में सहायक है।
    • ीप ओशन मिशन केंद्रीय योजना है। इसमें राज्यों के लिये अलग से  आवंटन का प्रावधान नहीं है।
    • इस मिशन का प्रस्ताव पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने किया था, जो इसका नोडल मंत्रालय है।

      प्रमुख उद्देश्य

      • गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिये प्रौद्योगिकियों का विकास करना।
        • इसके तहत ‘पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स’ के लिये एक एकीकृत खनन प्रणाली भी विकसित की जाएगी।
      • महासागरीय जलवायु परिवर्तन सलाहकारी सेवाओं का विकास करना।
      • गहरे समुद्र में जैव-विविधता की खोज व संरक्षण के लिये तकनीकी नवाचार करना।
      • गहरे समुद्र का सर्वेक्षण एवं अन्वेषण करना।
      • महासागरीय ऊर्जा और ताजे जल पर अध्ययन की जाँच करना।
      • महासागरीय जीव विज्ञान के लिये उन्नत समुद्री स्टेशन की स्थापना करना।

          Deep-ocean

          क्या है पॉलीमेटेलिक सल्फाइड्स (Polymetallic  Sulphides- PMS)?

          • पॉलीमेटेलिक सल्फाइड्स (बहुधात्विक सल्फाइड) समुद्री तल में गर्म मैग्मा के कारण तरल पदार्थ से बना अवक्षेप है।
            • ये सल्फाइड्स लोहा, तांबा, जस्ता, चांदी, सोना, प्लेटिनम से युक्त होते हैं।
            • अनुमानत: पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स (PMN) हिंद महासागर में लगभग 6000 मीटर की गहराई पर बिखरे हैं।
            • इनसे प्राप्त धातुओं का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, स्मार्टफोन, बैटरी और सौर पैनलों में भी किया जाता है।
          • अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
            • इसे ‘समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ (United Nations Convention on the Law of the Sea) के तहत स्थापित किया गया है।
            • यह गहरे समुद्र में खनन के लिये 'क्षेत्रों' का आवंटन करता है।

                  महासागर और भारत

                  • विश्व के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से पर महासागर मौजूद हैं। गहरे समुद्र का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा अभी भी नहीं खोजा जा सका है।
                  • महासागर मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका और व्यापार का प्रमुख आधार है।
                  • महासागर भोजन, ऊर्जा, खनिजों, औषधियों के भंडार हैं।
                  • संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2021-2030 को ‘सतत विकास के लिये महासागर विज्ञान’ का दशक घोषित किया है।
                  • भारत तीन तरफ से महासागरों से घिरा है।
                    • देश की तटरेखा की लंबाई 7,517.6 किमी. है।
                    • नौ राज्यों और दो संघ-शासित क्षेत्रों की सीमाएँ समुद्र तटीय हैं।
                    • देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में निवास करती है।
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