सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC)
- भारत में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) का आयोजन 1931 के बाद पहली बार 2011 में किया गया।
- साल 1931 तक भारत में जातिगत जनगणना होती थी, 1941 में जनगणना के समय जाति आधारित डेटा एकत्रित किया गया था, लेकिन उसका प्रकाशन नहीं किया गया।
- वर्ष 1951 से 2011 तक की जनगणना में प्रत्येक बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का डेटा एकत्रित किया गया तथा ओबीसी और दूसरी जातियों का नहीं।
- SECC के अंतर्गत प्रत्येक भारतीय परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति तथा उनके जाति समूह के बारे में जानने का प्रयास किया जाता है।
SECC तथा जनगणना में अंतर
- जनगणना भारतीय जनसंख्या का एक चित्र प्रदान करती है, जबकि SECC राज्य सहायता के लाभार्थियों की पहचान करने का एक उपकरण है।
- जनगणना 1948 के जनगणना अधिनियम के अंतर्गत आती है, इसलिए सभी डेटा को गोपनीय माना जाता है, जबकि SECC में दी गई सभी व्यक्तिगत जानकारी सरकारी विभागों द्वारा परिवारों को लाभ प्रदान करने के लिए प्रयोग की जाती है।
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