(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राजव्यवस्था और शासन- संविधान)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य)
संदर्भ
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक नियुक्तियों के लिये कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों पर केंद्र सरकार द्वारा कोई निर्णय न लिये जाने की आलोचना की है।
हालिया घटनाक्रम
- उच्चतम न्यायालय के अनुसार बिना किसी स्पष्टीकरण के लंबे समय तक अनुसंशित नियुक्तियों पर कोई निर्णय न लेने की सरकार की प्रवृत्ति, कानून के शासन और न्याय को प्रभावित करेगी।
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या में से सात न्यायिक रिक्तियां हैं। जबकि 1 नवंबर तक, 25 उच्च न्यायालय में 1,108 न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या में से 335 न्यायिक रिक्तियां थीं।
उच्चतम न्यायालय की कॉलेजियम व्यवस्था
- यह उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण करने वाली संस्था है।
- यह न तो संवैधानिक संस्था है और न ही वैधानिक, बल्कि इसकी स्थापना उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से हुई है।
- इस कॉलेजियम की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है, इसमें उच्चतम न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश भी शामिल होते हैं।
कॉलेजियम व्यवस्था से संबंधित विभिन्न वाद
- प्रथम न्यायाधीश मामला (1981)-
- इस निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिये उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गयी अनुशंसा को राष्ट्रपति ठोस कारणों के आधार पर अस्वीकार कर सकता है।
- दूसरा न्यायाधीश मामला (1993)
- इस मामले के निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिये मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गयी अनुशंसा पर कार्यपालिका अपनी आपत्ति दर्ज करा सकती है।
- कार्यपालिका की आपत्ति के बाद, मुख्य न्यायाधीश कार्यपालिका की आपत्ति को स्वीकार करे या अस्वीकार; दोनों ही परिस्थितियों में उसका निर्णय कार्यपालिका पर बाध्यकारी होगा।
- उच्चतम न्यायालय के अनुसार अनुशंसा मुख्य न्यायाधीश की व्यक्तिगत राय से नहीं होगी, बल्कि उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श लेने के बाद भेजी जानी चाहिये।
- तीसरा न्यायाधीश मामला (1998)
- इस मामले में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को जजों की नियुक्ति और स्थानांतरण के मामले में अनुसंशा करने से पहले उच्चतम न्यायालय के 4 अन्य वरिष्ठतम जजों से परामर्श करना होगा।
उच्चतम न्यायलय से संबंधित प्रावधान
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति से संबंधित कई विवादों के बाद अब मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर होती है।
अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति
- उच्चतम न्यायालय में अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के 4 अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करने के बाद राष्ट्रपति के पास सिफारिश भेजेगा।
- यदि 5 में से 2 न्यायाधीश किसी व्यक्ति की नियुक्ति का विरोध करें तो उसके नाम की सिफारिश राष्ट्रपति को नहीं भेजी जाएगी।
- सभी न्यायाधीशों की सलाह लिखित रूप में होनी चाहिये, मौखिक नहीं।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की अहर्ताएँ
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संविधान के अनुच्छेद 124(3) के अनुसार उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिये तभी पात्र होगा यदि वह –
- वह भारत का नागरिक हो।
- किसी उच्च न्यायालय या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में न्यूनतम 5 वर्षों तक न्यायाधीश रहा हो।
- अथवा किसी उच्च न्यायालय या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार कम से कम 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो। इसमें वह अवधि भी जोड़ी जाएगी, जब वह जिला न्यायाधीश या उससे उपर के किसी न्यायिक पद पर रहा हो।
- अथवा वह राष्ट्रपति की राय में पारंगत विधिवेत्ता हो।
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उच्च न्यायालय से संबंधित प्रावधान
मुख्य एवं अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति
- उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं दो अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के कॉलेजियम से परामर्श करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
न्यायाधीशों का स्थानांतरण
- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के बाद राष्ट्रपति एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का किसी दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरण कर सकता है।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय के 4 अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों तथा संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श करना होगा।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अहर्ताएँ
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संविधान के अनुच्छेद 217(2) के अनुसार, कोई व्यक्ति, किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिये तभी पात्र होगा, यदि वह –
- भारत का नागरिक हो।
- भारत के राज्यक्षेत्र में न्यूनतम 10 वर्षों तक न्यायिक पद धारण कर चुका हो
- अथवा किसी उच्च न्यायालय में लगातार न्यूनतम 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो।
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कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना
- कॉलेजियम द्वारा की गयी नियुक्तियों में स्पष्टता एवं पारदर्शिता की कमी होती है।
- भाई-भतीजावाद या व्यक्तिगत पहचान के आधार पर नियुक्ति की संभावना होती है।
- कॉलेजियम की प्रक्रिया कब तक पूरी होगी, इसकी भी कोई तय समय सीमा नहीं है।
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग
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- केंद्र सरकार द्वारा 99वें संशोधन अधिनियम, 2014 के माध्यम से एक 'राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' की स्थापना की गयी थी।
- यह संशोधन न्यायाधीशों की नियुक्ति करने के मामले में कॉलेजियम को प्रतिस्थापित करने के उद्देश्य से लाया गया था।
- उच्चतम न्यायालय ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिये खतरा है।
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