प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय हरित अधिकरण मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3- सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण |
सन्दर्भ
- हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण(एनजीटी) द्वारा ठोस और तरल अपशिष्ट के अनुचित प्रबंधन के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान के लिए दिल्ली सरकार पर 2,232 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया।
- एनजीटी की पीठ के अनुसार, यह जुर्माना प्रदूषक भुगतान सिद्धांत पर आधारित है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- एनजीटी द्वारा दिल्ली सरकार पर ठोस कचरे के लिए 990 करोड़ रुपये और तरल कचरे के लिए 2,142 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
- एनजीटी की पीठ ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार से एक महीने के भीतर जुर्माना भरने और इसे रिंग-फेंस खाते में जमा करने को कहा, जिससे केवल कचरा प्रबंधन के लिए धन निकाला जाएगा।
- दिल्ली में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की निगरानी के लिए लेफ्टिनेंट-गवर्नर की अध्यक्षता में एनजीटी ने एक समिति का गठन भी किया है।
समिति को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित मुद्दों से निपटने का काम सौंपा गया है, जिसमें नई अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाएं स्थापित करना, मौजूदा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं को बढ़ाना और पुराने कचरे को कम करना शामिल है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी)
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना 18 अक्तूबर, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत की गयी थी ।
- एनजीटी का उद्देश्य पर्यावरण बचाव और वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधन सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन और क्षतिग्रस्त व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिए अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करने और इससे जुडे़ हुए मामलों का प्रभावशाली और तीव्र गति से निपटान करना है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण, 1908 के नागरिक प्रक्रिया संहिता के द्वारा तय की गई कार्यविधि से प्रतिबंधित नहीं है बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार कार्य करता है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के अनुसार, एनजीटी के पास आने वाले पर्यावरण संबंधी मुद्दों का निपटारा 6 महीनों के अंदर अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए।
- यह अधिकरण पर्यावरण के मामलों में द्रुत गति से न्याय प्रदान करके उच्च न्यायालयों के मुकदमों के भार को कम करने में मदद करेगा।
- एनजीटी प्रधान पीठ नई-दिल्ली में तथा चार अन्य पीठ भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई में हैं।