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स्वायत्तता की मांग

संदर्भ

असम के आदिवासी-बहुल दीफू लोक सभा क्षेत्र में उम्मीदवारों ने एक स्वायत्त 'राज्य के भीतर राज्य' बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 244 (ए) को लागू करने का वादा किया है।

क्या है दीफू लोक सभा क्षेत्र की सामाजिक प्रोफ़ाइल  

  • 8.9 लाख मतदाताओं के साथ दीफू असम के 14 लोक सभा क्षेत्रों में सबसे कम आबादी वाला क्षेत्र है। 
    • यह अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है और असम के तीन आदिवासी-बहुल पहाड़ी जिलों में छह विधान सभा क्षेत्रों को कवर करता है : कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंगलोंग और दिमा हसाओ।
  • इन तीन जिलों को संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों के तहत प्रशासित किया जाता है, जो "असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के प्रावधानों" का वर्णन करता है।
  • ये क्षेत्र दो स्वायत्त परिषदों के अंतर्गत आते हैं : कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) और उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद। 
  • सीट पर मतदाता विभिन्न समुदायों से हैं : कार्बी, राज्य की तीसरी सबसे बड़ी जनजाति, दिमासा, हमार, कुकी, रेंगमा नागा, ज़ेमे नागा, बोडो, गारो, असमिया, बंगाली, बिहारी, गोरखा, आदि।
    • हालाँकि, इस सीट का प्रतिनिधित्व 1977 से कार्बी समुदाय के सदस्यों द्वारा किया गया है। 

क्या है संविधान का अनुच्छेद 244(ए)  

  • अनुच्छेद 244 (ए) को बाईसवाँ संविधान संशोधन अधिनियम,1969 द्वारा शामिल किया गया था, जिसने संसद को असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य बनाने के लिए एक अधिनियम पारित करने में सक्षम बनाया।
    • इस स्वायत्त राज्य की अपनी विधानमंडल या मंत्रिपरिषद या दोनों होंगी। 
  • छठी अनुसूची के अंतर्गत स्वायत्त परिषदों ने इन आदिवासी क्षेत्रों के अधिक विकेंद्रीकृत शासन के लिए प्रतिनिधियों को चुना है, लेकिन उनके पास सीमित विधायी शक्तियां हैं, कानून और व्यवस्था पर उनका नियंत्रण नहीं है और उनके पास केवल सीमित वित्तीय शक्तियां हैं।

स्वायत्तता की मांग और प्रभाव 

  • 1950 के दशक में स्वायत्तता की मांग को लेकर अविभाजित असम के पहाड़ी इलाकों में एक अलग पहाड़ी राज्य की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था।  
    • इस आंदोलन के परिणामस्वरूप 1972 में मेघालय को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।
    • हालाँकि, अनुच्छेद 244 (ए) के माध्यम से किए गए वादे के कारण, कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के नेताओं ने असम के साथ रहने का विकल्प चुना।
  • स्वायत्त राज्य मांग समिति (ASDC) ने क्षेत्र की स्वायत्तता के लिए दबाव बनाने के लिए एक जन संगठन के रूप में स्थापित किया गया था 
  • पूर्ववर्ती स्वायत्त जिला लोक सभा सीट का प्रतिनिधित्व 1991-1998 तक ए.एस.डी.सी. ने किया था। 
  • पिछले कुछ वर्षों में अनुच्छेद 244 (ए) के कार्यान्वयन की मांग ने भी एक सशस्त्र विद्रोह का रूप ले लिया। 
  • दिल्ली और गुवाहाटी में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों ने कार्बी और दिमासा सहित आतंकवादी समूहों के साथ कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • वर्ष 2021 में कार्बी आंगलोंग में पांच उग्रवादी समूहों - कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर्स, पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी, कार्बी लोंगरी एनसी हिल्स लिबरेशन फ्रंट, कुकी लिबरेशन फ्रंट और यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ एक शांति समझौता हुआ जिसके तहत अधिक स्वायत्तता और पांच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपए के विशेष विकास पैकेज का वादा किया गया था।
  • वर्ष 2023 में इसी तर्ज पर दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • शांति समझौते पर हस्ताक्षर अनुच्छेद 244(ए) के आसपास की चर्चाओं पर पर्दा डालने में सफल नहीं हुए हैं। 
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