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हीटवेव को अधिसूचित आपदा में शामिल करने की मांग

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : आपदा एवं आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

देश के कई भागों में भीषण गर्मी एवं हीटवेव का प्रकोप जारी है। हालाँकि, आपदा प्रबंधन (DM) अधिनियम, 2005 के अंतर्गत हीटवेव को अधिसूचित आपदाओं में शामिल नहीं किया गया है। हीटवेव को अधिसूचित आपदाओं में शामिल करने को लेकर कई सुझाव दिए जा रहे हैं।  

आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं अधिसूचित आपदाएँ 

  • आपदा प्रबंधन अधिनियम को वर्ष 1999 के ओडिशा के सुपर-साइक्लोन और वर्ष 2004 की सुनामी के मद्देनजर लागू किया गया था। यह अधिनियम आपदा को ‘प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों’ से उत्पन्न ‘प्रलय, दुर्घटना, विपदा या गंभीर घटना’ के रूप में परिभाषित करता है, जिसके परिणामस्वरूप जान-माल की अत्यधिक क्षति होती है, संपत्ति का विनाश होता है या पर्यावरण को नुकसान होता है।
  • इसके अनुसार, यह आपदा ऐसी प्रकृति की भी होनी चाहिए जो समुदाय की ‘सामना करने की क्षमता से परे’ हो।
  • यदि उक्त में से कोई घटना घटित होती है तो आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जा सकता है। इस अधिनियम के प्रावधान राज्यों को निम्न कानून के तहत स्थापित दो निधियों से धन निष्कर्षण की अनुमति देते हैं : 
    • राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) और राज्य स्तर पर राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF)। 
    • राज्य पहले SDRF में उपलब्ध धन का उपयोग करते हैं। यदि आपदा का प्रबंधन SDRF के स्तर से नहीं हो पता है तो ही राज्य NDRF से धन की मांग करते हैं।
      • वित्त वर्ष 2023-24 में केवल दो राज्यों ने ही NDRF से धन निकाला है। 

निधियों का वित्तयन 

  • NDRF का पूरा धन केंद्र सरकार से प्राप्त होता है। SDRF में भी राज्य 25% धन ही मुहैया कराते हैं (विशेष श्रेणी के राज्यों के मामले में 10%) जबकि शेष धनराशि केंद्र से प्राप्त होती है।
  • इन फंडों में धन का इस्तेमाल अधिसूचित आपदाओं के प्रबंधन के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है।

इस अधिनियम में अधिसूचित आपदाओं की श्रेणियां 

वर्तमान में इसके अंतर्गत आपदाओं की 12 श्रेणियां अधिसूचित की गयी हैं : चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, कीट हमला तथा पाला व शीत लहरें (Cold Waves)।

हीटवेव को अधिसूचित आपदाओं में शामिल करने की मांग का आधार 

  • हीटवेव भारत में सामान्य घटना हैं किंतु उत्तरी, पूर्वी एवं मध्य भारत के बड़े भागों में गर्मी से संबंधित बीमारियाँ व मौतें तेजी से बढ़ रही हैं। 
  • विगत 15 वर्षों में हीटवेव की गंभीरता एवं आवृत्ति दोनों में वृद्धि हुई है। आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के कारण ऐसे लोगों की संख्या बहुत अधिक है जिन्हें अपनी आजीविका या अन्य कारणों से बाहर रहना पड़ता है। इससे उन्हें हीट-स्ट्रोक का खतरा रहता है। 
    • वर्तमान में 23 राज्य ऐसे हैं जो हीटवेव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
  • इन राज्यों के साथ-साथ कई संवेदनशील शहरों ने अत्यधिक गर्मी के प्रभावों से निपटने के लिए अब हीट एक्शन प्लान (HAP) तैयार किए हैं। HAP में छायादार स्थानों का निर्माण, सार्वजनिक स्थानों पर ठंडे पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना, साधारण ओरल सॉल्यूशन का वितरण और स्कूलों, कॉलेजों व कार्यालयों के काम के घंटों (अवधि) को पुनर्गठित करने जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
    • इन उपायों के लिए व्यय की आवश्यकता होती है किंतु राज्य सरकारें इनके लिए SDRF का उपयोग नहीं कर पाती हैं। इसके कारण आपदा प्रबंधन अधिनियम में हीटवेव को अधिसूचित आपदा के रूप में शामिल करने की मांग की जा रही है।
  • अधिसूचित आपदा के रूप में शामिल किए जाने से हीटवेव प्रबंधन में सुधार हो सकता है। गर्मी से संबंधित बीमारियों एवं मौतों की बेहतर रिपोर्टिंग होगी और अधिकारी हीटवेव के प्रभावों को कम करने के लिए अधिक सतर्क होंगे।
  • इसे अधिसूचित आपदा में शामिल करने से राज्यों को मुआवजा और राहत प्रदान करने के लिए अपने आपदा प्रतिक्रिया कोष के उपयोग की अनुमति होगी। साथ ही, हीटवेव के प्रभाव को प्रबंधित करने में कई अन्य गतिविधियों की अनुमति होगी। 
    • वर्तमान में राज्यों को इन गतिविधियों के लिए अपने स्वयं के धन का उपयोग करने की आवश्यकता होती है।

केंद्र सरकार द्वारा हीटवेव को अधिसूचित आपदा के रूप में शामिल न करने के कारण

वित्त आयोग की अनिच्छा

  • राज्यों ने विगत तीन वित्त आयोगों के समक्ष हीटवेव को अधिसूचित आपदा के रूप में शामिल करने की मांग रखी है। हालाँकि, वित्त आयोग पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। 
  • वर्तमान में 15वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशें लागू की जा रही हैं, जिसके अनुसार अधिसूचित आपदाओं की मौजूदा सूची ‘काफी हद तक राज्यों की ज़रूरतों को पूरा करती है’ और हीटवेव को इसमें शामिल करने का अनुरोध योग्य नहीं पाया गया है।
  • हालाँकि, इसने पूर्ववर्ती आयोग द्वारा बनाए गए एक प्रावधान का समर्थन किया है जो राज्यों को SDRF के धन का कम-से-कम एक हिस्सा (10% तक) बिजली या हीटवेव जैसी ‘स्थानीय आपदाओं’ के लिए उपयोग की अनुमति देता है, जिसे राज्य स्वयं अधिसूचित कर सकते हैं।
  • इस नए प्रावधान का उपयोग करते हुए चार राज्यों, यथा- हरियाणा, उत्तर प्रदेश, ओडिशा एवं केरल ने हीटवेव को स्थानीय आपदाओं में शामिल किया है।

व्यावहारिक कठिनाइयाँ

  • हीटवेव को अधिसूचित आपदा के रूप में शामिल करने में अनिच्छा का मुख्य कारण इससे होने वाला वित्तीय रूप से बहुत बड़ा नुकसान है क्योंकि इसके पश्चात सरकार को अधिसूचित सूची में शामिल आपदा के कारण मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए 4 लाख रुपए का मुआवजा देना होगा। गंभीर रूप से घायलों को भी मुआवजा देना होगा।
  • हीटवेव के कारण होने वाली मौतों की पहचान में समस्या है। ज़्यादातर मामलों में गर्मी स्वयं मृत्यु का कारण नहीं होती है बल्कि अधिकांश लोग पहले से मौजूद अन्य बीमारियों से मरते हैं। यह अन्य आपदाओं से बहुत अलग है जिनमें पीड़ितों की पहचान आसान व अधिक सीधी होती है।
  • 15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2021-26 के बीच पाँच वर्ष की अवधि के लिए विभिन्न SDRF को 1,60,153 करोड़ रुपए आवंटित करने की सिफारिश की थी। यह राशी इस अवधि के दौरान सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए है। यदि गर्मी और बिजली गिरने जैसी आपदाओं को भी इस सूची में जोड़ दिया जाए तो यह धन भी अपर्याप्त हो सकता है।
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