प्रारंभिक परीक्षा – शास्त्रीय भाषा मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
चर्चा में क्यों
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने 11 जनवरी,2024 को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर ‘बंगाली भाषा’ को ‘शास्त्रीय भाषा’ के रूप में सूचीबद्ध करने की मांग की।
प्रमुख बिंदु
- ‘बंगाली भाषा’ भारत में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा होने के साथ-साथ दुनिया में सातवीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है।
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के अनुसार बंगाली शास्त्रीय भाषा के रूप में वर्गीकृत होने के सभी चार मानदंडों को भी पूरा करती है।
- पुरातात्विक खोजों से प्राप्त साक्ष्य, शिलालेख, प्राचीन संस्कृत, पाली ग्रंथों के संदर्भ और सातवीं शताब्दी से पहले के बंगाली साहित्य का एक बड़ा हिस्सा इसकी शास्त्रीय विरासत को रेखांकित करता है।
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने दक्षिण 24 परगना जिले के सागर द्वीप समूह में गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेला भी घोषित करने की मांग की।
- महाराष्ट्र सरकार ने भी मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए संस्कृति मंत्रालय को एक आवेदन प्रस्तुत किया है।
शास्त्रीय भाषा:
- भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर छः भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है - तमिल (2004), संस्कृत (2005), तेलुगु, कन्नड़ (2008), मलयालम (2013), और उड़िया (2014)।
- सभी शास्त्रीय भाषाएँ संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध हैं।
शास्त्रीय भाषा (Classical Language) के वर्गीकरण का आधार:
- फरवरी, 2014 में संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) द्वारा किसी भाषा को ‘शास्त्रीय’ घोषित करने के लिये निम्नलिखित दिशा निर्देश जारी किए -
- इस भाषा के प्रारंभिक ग्रंथों का इतिहास 1500-2000 वर्ष से अधिक पुराना हो।
- प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक हिस्सा हो जिसे बोलने वाले लोगों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता हो।
- साहित्यिक परंपरा में मौलिकता हो।
- शास्त्रीय भाषा और साहित्य, आधुनिक भाषा और साहित्य से भिन्न हैं इसलिए इसके बाद के रूपों के बीच असमानता भी हो सकती है।
शास्त्रीय भाषा के रूप में अधिसूचित करने से प्राप्त होने वाले लाभ:
- भारतीय शास्त्रीय भाषाओं में प्रख्यात विद्वानों के लिये दो प्रमुख वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों का वितरण करना।
- शास्त्रीय भाषाओं में अध्ययन के लिये उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना।
- यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) इन भाषाओं को बढ़ावा देने के लिये अनुसंधान परियोजनाएँ संचालित करता है।
- शास्त्रीय भाषाओं को जानने एवं अपनाने से विश्व स्तर पर भाषा को पहचान और सम्मान मिलेगा।
- वैश्विक स्तर पर संस्कृति का प्रसार होगा जिससे शास्त्रीय भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
- शास्त्रीय भाषाओं की जानकारी से लोग संस्कृति को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे तथा प्राचीन संस्कृति और साहित्य से बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे।
शास्त्रीय भाषाओँ के प्रमुख संस्थान :
संस्कृत के लिये:
- राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली।
- महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन।
- राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति ।
- और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली।
तेलुगु और कन्नड़ के लिये:
- केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (CIIL) में संबंधित भाषाओं में अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र।
तमिल के लिये:
- सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ क्लासिकल तमिल (CICT), चेन्नई।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने 11 जनवरी,2024 को बंगाली भाषा को ‘शास्त्रीय भाषा’ के रूप में सूचीबद्ध करने की मांग की।
- फरवरी, 2014 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा किसी भाषा को ‘शास्त्रीय’ घोषित करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए।
- भारत का प्रथम शास्त्रीय भाषा संस्कृत है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (b)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : शास्त्रीय भाषा क्या है? शास्त्रीय भाषा घोषित करने के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख करते हुए शास्त्रीय भाषा अधिसूचित होने पर प्राप्त होने वाले लाभ को भी रेखांकित कीजिए।
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स्रोत : the hindu