प्रारंभिक परीक्षा - समसामयिकी, एडीज मच्छर मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ-
भारत के साथ-साथ दुनिया भर में डेंगू संक्रमण से बचाव के लिए एक प्रभावी टीके की आवश्यकता महसूस की गई है, जो चारो स्ट्रेन ‘सीरोटाइप’ से रक्षा कर सके। दुनिया की लगभग आधी आबादी इस समय डेंगू संक्रमण के खतरे में रहती है, जिसको ध्यान में रखते हुए अनुसंधान संस्थानों में डेंगू के टीके विकसित किए जा रहे हैं और वर्तमान में, भारत में तीन डेंगू वैक्सीन का मनुष्यों पर परीक्षण चल रहा है।
डेंगू बुखार (Dengue fever)-
डेंगू बुखार मच्छरों के संक्रमण से होने वाली बीमारी है। यह बीमारी डेंगू वायरस द्वारा प्रसारित होती है, जो एडीज मच्छर (Aedes mosquito) के काटने से व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती है।
भारत में डेंगू टीके की आवश्यकता-
- भारत में डेंगू 2001 में केवल आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक था, जो 2022 तक सभी राज्यों में फैल गया है।
- नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस साल जुलाई के अंत तक देश भर में डेंगू के 31,464 मामले और 36 मौतें हुई हैं।
- वर्तमान में, तीन वैक्सीन निर्माता हैं, जिनका भारत में मनुष्यों पर परीक्षण किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु-
1. सबसे पहले, संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज द्वारा विकसित चार डेंगू सीरोटाइप के जीवित कमजोर संस्करणों के आधार पर पैनासिया बायोटेक द्वारा टीका विकसित किया जा रहा है-
- कंपनी ने 18 से 60 वर्ष की आयु के बीच के 100 स्वस्थ वयस्कों पर पहले एवं दूसरे चरण का अध्ययन पूरा कर लिया गया है। इस परीक्षण में कोई गंभीर प्रतिकूल गंभीर घटना नहीं हुई और 75% से अधिक प्रतिभागियों में सभी चार डेंगू सीरोटाइप के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुई।
- इस साल दिसंबर तक तीसरे चरण का परीक्षण होने की संभावना है। यह परीक्षण देश में 20 साइटों पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें 18 से 80 वर्ष की आयु के बीच 10,335 स्वस्थ वयस्कों का नामांकन किया जाएगा।
2.संयुक्त राज्य अमेरिका के उसी कमजोर वायरस संस्करण के आधार पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा एक दूसरा वैक्सीन विकसित किया जा रहा है-
- 18 से 45 वर्ष के 60 स्वस्थ वयस्कों पर पहले चरण का परीक्षण पहले ही पूरा हो चुका है।
- परीक्षण में पाया गया कि टीका सुरक्षित और सहन करने योग्य है।
- संस्था दूसरे चरण में 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर बड़े पैमाने पर अध्ययन करेगी।
3. डेंगू सीरोटाइप के जीवित कमजोर संस्करणों के आधार पर ही इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड द्वारा एक वैक्सीन विकसित किया जा रहा है-
- इसने 18 से 50 वर्ष की आयु के 90 व्यक्तियों पर पहले चरण का परीक्षण शुरू कर दिया है।
टीका विकसित करने में चुनौतियाँ-
मुख्य चुनौतियों में से एक है; एंटीबॉडी-निर्भर वृद्धि (antibody-dependent enhancement)/(ADE)-
- डेंगू के एक सीरोटाइप के खिलाफ एंटीबॉडी के निम्न स्तर वाले व्यक्ति को डेंगू के दूसरे सीरोटाइप के साथ अधिक गंभीर संक्रमण हो सकता है।
- इसी कारण से डेंगू के पहले टीके को मंजूरी मिलने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
- फिलीपींस में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने के बाद ही यह पाया गया कि टीका वास्तव में उन लोगों में गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है, जो पहले संक्रमित नहीं हुए थे।
समस्या समाधान के लिए-
- दोनों भारतीय अनुसंधान टीमों ने आवरण प्रोटीन के एक विशिष्ट भाग का चयन किया, जो ADE का कारण नहीं बनता है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB) की टीम ने वायरस के इन हिस्सों का उपयोग करके एक वायरस जैसा कण बनाया।
- टीके सभी चार सीरोटाइप के खिलाफ लगभग 100% सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसका परीक्षण चूहों और बंदरों पर किया जा चुका है लेकिन अभी मनुष्यों पर परीक्षण किया जाना बाकी है। वैक्सीन को सन फार्मास्यूटिकल्स के सहयोग से विकसित किया गया है।
प्रश्न:- निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
- डेंगू बुखार डेंगू जीवाणु द्वारा प्रसारित होती है, जो एडीज मच्छर के काटने से व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती है।
- चार डेंगू सीरोटाइप के जीवित कमजोर संस्करणों के आधार पर पैनासिया बायोटेक द्वारा टीका विकसित किया जा रहा है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट-
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न 1 और ना ही 2
उत्तर - (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न- भारत में डेंगू टीके की आवश्यकता पर टिप्पणी कीजिए और बताइए कि इस टीके को विकसित करने में क्या चुनौतियाँ हैं?
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