विभिन्न देशों में डिफेंस अटैची की तैनाती
संदर्भ
भारत प्रमुख क्षेत्रों में रणनीतिक संबंधों का विस्तार करने के अपने लक्ष्य के अनुरूप पहली बार मोजाम्बिक, इथियोपिया, आइवरी कोस्ट, फिलीपींस, पोलैंड व आर्मेनिया सहित कई देशों में डिफेंस अटैची तैनात करेगा।
क्या होते हैं डिफेंस अटैची (Defence Attache)
- ये सशस्त्र बलों के सदस्य होते हैं जो विदेश में अपने देश की रक्षा प्रतिष्ठान के प्रतिनिधि के रूप में दूतावास में कार्य करते हैं।
- डिफेंस अटैची शब्द सशस्त्र सेवाओं की सभी शाखाओं के कर्मियों को कवर करता है। हालांकि, कुछ बड़े देश वायु सेना या नौसेना अटैची जैसी व्यक्तिगत सेवा शाखा का प्रतिनिधित्व करने के लिए इनको नियुक्त कर सकते हैं।
- इनका कार्य नियुक्ति वाले राष्ट्र में अपने देश के रक्षा हितों की सुरक्षा करने, उसका विकास करने एवं उसे बढ़ावा देने के साथ ही द्विपक्षीय सैन्य व रक्षा संबंधों को बढ़ावा देना है।
- कुछ डिफेंस अटैची को प्रवासन जैसे विशिष्ट मुद्दों पर काम करने के लिए तैनात किया जाता है। ये नाटो, यूरोपीय संघ या संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों के साथ एक सैन्य मिशन के हिस्से के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
हालिया घटनाक्रम
- भारत अफ्रीकी राष्ट्र जिबूती में भी एक नया डिफेंस अटैची नियुक्त करेगी।
- जिबूती, लाल सागर एवं अदन की खाड़ी के आसपास समुद्री प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। यह सैन्य ठिकानों के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक स्थल माना जाता है।
- भारत अपने लंदन उच्चायोग एवं मॉस्को दूतावास के सैन्य अधिकारियों वाली अपनी टीमों की ताकत को तर्कसंगत बनाने की भी योजना बना रहा है।
डिफेंस अटैची नियुक्ति की आवश्यकता
- चीन द्वारा पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार, सेशेल्स व संयुक्त अरब अमीरात में संभावित ठिकानों के अतिरिक्त विदेशी सैन्य प्रतिष्ठानों की स्थापना संबंधी निरंतर समझौतों का मुकाबला करना।
- चीन द्वारा क्यूबा, इक्वेटोरियल गिनी, ताजिकिस्तान व तंजानिया में सैन्य सुविधाएं स्थापित करने की भी संभावना है।
- चीन ने जिबूती में केवल एक विदेशी सैन्य सुविधा की पुष्टि की है।
- वर्ष 2017 से चालू चीन की जिबूती सुविधा की पहुँच महत्वपूर्ण लाल सागर शिपिंग लेन तक है।
अफ़्रीकी क्षेत्र पर विशेष बल
- दुनिया भर के प्रमुख क्षेत्रों में अपनी सैन्य कूटनीति को मजबूत करने और तर्कसंगत बनाने में भारत के लिए अफ्रीका एक फोकस क्षेत्र है
- अफ्रीका में भारत की सैन्य कूटनीति को बढ़ाने का निर्णय व्यापार एवं निवेश से लेकर शिक्षा व रक्षा तक के क्षेत्रों में अफ़्रीकी देशों के साथ देश की भागीदारी बढ़ाने के प्रयासों से मेल खाता है।
- विदेश मंत्रालय की दुनिया भर में 26 नए मिशन स्थापित करने की योजना के तहत 18 मिशन अफ्रीकी देशों में स्थापित किए जा रहे हैं।
- भारत ने विगत वर्ष नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मलेन के दौरान अफ्रीकी संघ को जी-20 का सदस्य बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- इससे सैन्य सहयोग एवं हथियारों की बिक्री की संभावनाएं भी खुलेंगी क्योंकि कई अफ्रीकी देश अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
अन्य देशों में नियुक्ति
- फिलीपींस व आर्मेनिया में पहली बार डिफेंस अटैची तैनात करने का निर्णय भारत द्वारा दोनों देशों को हथियार प्रणालियों की बिक्री के बाद उठाया गया है।
- वर्ष 2022 में फिलीपींस ने ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के लिए लगभग 375 मिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए।
- भारत के स्वदेशी रूप से विकसित पिनाका रॉकेट लॉन्चर का पहला विदेशी ग्राहक वर्ष 2022 में ही आर्मेनिया बना।