(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक और सामाजिक विकास;)
(मुख्य परीक्षा:भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय; समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय, सरकारी बजट)
संदर्भ
- केंद्र सरकार द्वारा दीर्घकालिक अवसंरचना निर्माण के लिये बजट 2021-22 में विकास वित्तीय संस्थानों (Development Financial Institutes - DFIs) की स्थापना की घोषणा की गई थी। इस संदर्भ में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘अवसंरचना एवं विकास के लिये राष्ट्रीय वित्तीय बैंक’ (NBFID) नाम से एक विकास वित्तीय संस्थान के गठन को मंज़ूरी प्रदान की है।
- बजट में सरकार ने जिन विकास परियोजनाओं की योजना बनाई है उनमें से कुछ दीर्घावधिक हैं, जो परिसंपत्ति-देयता संतुलन को महत्त्वपूर्ण बनाती हैं। विदित है कि पूर्व में ‘भारतीय औद्योगिक वित्त निगम’ (IDBI) तथा ‘भारतीय औद्योगिक ऋण एवं निवेश निगम’ (ICICI) का गठन विकास वित्तीय संस्थानों के रूप में किया गया था, जिन्हें कालांतर में पूर्णकालिक वाणिज्यिक बैंकों में परिवर्तित कर दिया गया।
‘अवसंरचना एवं विकास के लिये राष्ट्रीय वित्तीय बैंक’ (NaBFID) की संरचना
- एन.ए.बी.एफ.आई.डी. को 20,000 करोड़ रुपए के कोष और सरकार से 5,000 करोड़ रुपए के शुरुआती अनुदान के साथ स्थापित किया जाएगा।
- प्रारंभ में, यह पूर्णतः सरकार के स्वामित्व में होगा, किंतु बाद में सरकार की हिस्सेदारी एक-चौथाई तक कम हो जाएगी।
- इसका प्रबंधन एक पेशेवर बोर्ड द्वारा किया जाएगा, जिसमें कम-से-कम 50% सदस्य गैर-आधिकारिक निदेशक होंगे। एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को इस बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा।
- इसमें निवेशित निधियों पर 10 वर्ष तक कर छूट प्रदान की जाएगी।
कार्यप्रणाली
- एन.ए.बी.एफ.आई.डी. बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण के लिये भारत के बॉण्ड बाज़ार को विकसित करने का कार्य करेगा। संचालन के आरंभिक वर्षों में यह बॉण्ड विक्रेता और बाज़ार-निर्माता, दोनों के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- निजी क्षेत्र में बेहतर पारिश्रमिक के विकल्प होने के बावजूद पेशेवरों का सार्वजनिक क्षेत्र के लिये कार्य करने का निर्णय एक महत्त्वपूर्ण वेतन कटौती का कारण बनता है। नई संस्था, प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिये प्रदर्शन-आधारित पारिश्रमिक एवं प्रोत्साहन दे सकती है, जो इसके बेहतर संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।
- सॉवरेन वेल्थ फंड (SWF) और अन्य संस्थानों द्वारा एन.ए.बी.एफ.आई.डी. में खरीद-वापसी (Buy-Back) विकल्प के साथ इक्विटी खरीदने की अनुमति है। एन.ए.बी.एफ.आई.डी. में एस.डब्ल्यू.एफ. तथा अन्य संस्थाओं का निवेश इसके समग्र शासन को बेहतर बनाएगा।
- एन.ए.बी.एफ.आई.डी. के पास 1 ट्रिलियन रुपए की अधिकृत पूँजी होगी। साथ ही,बजट 2021-22 में सरकार ने इसके लिये तीन वर्षों के भीतर 5 ट्रिलियन रुपए के पोर्टफोलियो की घोषणा की है। इस प्रकार, यह संस्था देश के बुनियादी ढाँचे से संबंधित निवेश योजनाओं के वित्तपोषण के लिये एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में कार्य करेगी।
आगे की राह
- एन.ए.बी.एफ.आई.डी. की सफलता इसके साधनों में निवेशकों का विश्वास उत्पन्न करने की क्षमता पर निर्भर करेगी। परियोजनाओं का सावधानीपूर्वक चयन तथा प्रतिभूति विस्तार ऐसे मुद्दे हैं, जो अन्य वित्तीय संस्थानों को आकर्षित करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं।
- इसके अलावा, बेहतर कर नीतियों के माध्यम से निवेशकों को आकर्षित किया जा सकता है। हालाँकि, सरकार पहले से ही इसमें निवेशित निधियों पर 10 वर्ष की आयकर छूट प्रदान कर रही है।
- एन.ए.बी.एफ.आई.डी. की प्रस्तावित संरचना एवं कार्यप्रणाली उन चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करती है, जिनका सामना अतीत में विकास वित्तीय संस्थानों ने किया था।
- इस प्रकार, भारत विश्व स्तरीय वित्तपोषित तंत्र के गठन द्वारा अवसंरचना एवं विकास संबंधी लक्ष्यों की पूर्ति की दिशा अग्रसर हो रहा है।
निष्कर्ष
- एन.ए.बी.एफ.आई.डी. की संस्थागत संरचना इसके व्यापक उद्देश्यों को स्पष्ट करती है। यह देश में दीर्घकालिक अवसंरचना परियोजनाओं के वित्तपोषण संबंधी समाधानों को प्रस्तुत करता है।
- नवसृजित संस्थान का बेहतर प्रबंधन और मज़बूत शासन संरचना सरकार की ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजना’ के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप है।
- हालाँकि, जवाबदेही सुनिश्चित करने और संस्थान के शासन को मज़बूत करने के लिये कुछ उपायों, जैसे- आर.बी.आई. द्वारा पर्यवेक्षण, लेखा परीक्षकों एवं रेटिंग एजेंसियों के माध्यम से उचित निगरानी तथा प्रत्येक पाँच वर्ष में एक बार संस्थान के प्रदर्शन की समीक्षा आदि को अपनाया जाना चाहिये।