(प्रारंभिकपरीक्षा: सरकारी कार्यक्रम एवं योजनाएँ) (मुख्यपरीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2; स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)
मानसिक स्वास्थ्य के बारे में
मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य किसी व्यक्ति के भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण से है।
यह दैनिक जीवन में लोगों के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने पर प्रभाव डालने के साथ ही निर्णय लेने, तनाव प्रबंधन और रिश्तों को भी प्रभावित करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य मानसिक कल्याण की ऐसी स्थिति है जो लोगों को जीवन के तनावों से निपटने, अपनी क्षमताओं का एहसास करने, अच्छी तरह से सीखने तथा काम करने और अपने समुदाय में योगदान करने में सक्षम बनाती है।
खराब मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव
उत्पादकता पर प्रभाव :खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण कार्यस्थल पर प्रदर्शन कम होने के साथ ही अनुपस्थिति बढ़ती है तथा कार्यकुशलता कम होती है।
सामाजिक और भावनात्मक कल्याण:मानसिक कल्याण पारस्परिक संबंधों, आत्मविश्वास और सामाजिक अंतःक्रियाओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।
आर्थिक प्रभाव : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मानसिक विकार वैश्विक रोग बोझ में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं तथा अनुपचारित स्थितियों के कारण इसकी उच्च आर्थिक लागत हो सकती है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य परिदृश्य
WHO के अनुसार :
भारत में वैश्विक जनसंख्या का 18% हिस्सा निवास करता है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ प्रति 10,000 जनसंख्या पर 2443 ‘विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष’ (Disability-adjusted life Years : DALYs) है।
प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर ‘आयु-समायोजित आत्महत्या दर’ 21.1 है।
मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण वर्ष 2012-2030 के बीच आर्थिक क्षति 1.03 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
व्यापकता :राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (National Institute of Mental Health and Neuro-Sciences : NIMHANS) द्वारा किए गए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन.एम.एच.एस.) 2015-16 के अनुसार भारत में 10.6% वयस्क मानसिक विकारों से पीड़ित हैं।
भारत में मानसिक विकारों की आजीवन व्यापकता 13.7% है।
राष्ट्रीय अध्ययनों से पता चलता है कि भारत की 15% वयस्क आबादी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त है, जिसके लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों (6.9%) की तुलना में शहरी क्षेत्रों में इसका प्रचलन अधिक (13.5%) है।
उपचार अंतराल
जागरूकता की कमी, सामाजिक उपेक्षा और पेशेवरों की कमी के कारण मानसिक विकार वाले 70% से 92% लोगों को उचित उपचार नहीं मिल पाता है।
इंडियन जर्नल ऑफ सायकियाट्री के अनुसार भारत में प्रति 100,000 व्यक्तियों पर 0.75 मनोचिकित्सक हैं , जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रति 100,000 पर कम से कम 3 मनोचिकित्सकों की सिफारिश करता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से प्राप्त अंतर्दृष्टि
मानसिक स्वास्थ्य जीवन की चुनौतियों का सामना करने और उत्पादक रूप से कार्य करने की क्षमता है।
इसके महत्व को पहचानते हुए, आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मानसिक स्वास्थ्य में हमारी सभी मानसिक-भावनात्मक, सामाजिक, संज्ञानात्मक और शारीरिक क्षमताएँ शामिल हैं।
इसने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए समुदाय आधारित दृष्टिकोण के साथ ही व्यवहार्य, प्रभावशाली निवारक रणनीतियों और हस्तक्षेपों पर बल दिया है।
भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश कौशल, शिक्षा, शारीरिक स्वास्थ्य और सबसे बढ़कर अपने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में प्रस्तावित सुझाव
स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देना:छात्रों में चिंता, तनाव और व्यवहार संबंधी मुद्दों को दूर करने के लिए प्रारंभिक हस्तक्षेप रणनीतियाँ।
कार्यस्थल मानसिक स्वास्थ्य नीतियों में सुधार: नौकरी के तनाव, लंबे कार्य घंटों और थकान की समस्या का समाधान।
डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: टेली मानस को मजबूत करने के साथ ही एआई-आधारित मानसिक स्वास्थ्य समाधानों का विकास।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य अवसंरचना
वर्ष 2024 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मानसिक स्वास्थ्य में अधिक स्नातकोत्तर छात्रों को प्रशिक्षित करने और उन्नत उपचार प्रदान करने के लिए 25 उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी गई।
19 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य के 47 स्नातकोत्तर विभाग स्थापित या अपग्रेड किए गए हैं।
22 नए स्थापित एम्स में भी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की जा रही हैं।
देश में 47 सरकारी मानसिक अस्पताल कार्यरत हैं।
आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का एकीकरण
आयुष्मान भारत के तहत सरकार ने 1.73 लाख से ज़्यादा उप स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में अपग्रेड किया है।
इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में दी जाने वाली व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के तहत सेवाओं के पैकेज में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी शामिल किया गया है।
ये स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र निम्नलिखित सुविधाएँ प्रदान करते हैं:
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर बुनियादी परामर्श और मनोरोग चिकित्सा।
सामान्य चिकित्सकों को हल्के से मध्यम मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षण।
उन्नत मनोरोग देखभाल के लिए जिला अस्पतालों से सम्पर्क।
यह पहल सुनिश्चित करती है कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में उपलब्ध हो, जिससे विशेष अस्पतालों पर निर्भरता कम होने के साथ ही मनोरोग देखभाल अधिक समुदाय-केंद्रित हो।
भारत सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियाँ और योजनाएँ
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, 1982
मानसिक विकारों के बढ़ते बोझ और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को देखते हुए भारत ने वर्ष 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Mental Health Program : NMHP) शुरू किया।
इसका प्राथमिक लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि मानसिक स्वास्थ्य सेवा विशेष अस्पतालों तक सीमित रहने के बजाय सामान्य स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का अभिन्न अंग बन जाए।
प्रमुख घटक
सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने के लिए एन.एम.एच.पी. के अंतर्गत जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डी.एम.एच.पी.) शुरू किया गया।
यह 767 जिलों को कवर करता है।
परामर्श, बाह्य रोगी सेसेवाएँ, आत्महत्या रोकथाम कार्यक्रम एवं जागरूकता पहल प्रदान करता है।
जिला स्तर पर 10 बिस्तरों वाली मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएँ।
राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति, 2022
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 में राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर को 10% कम करना है।
यह रणनीति आत्महत्या को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में पहचानते हुए प्रारंभिक हस्तक्षेप, संकट प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन पर केंद्रित है।
इसके प्रमुख घटकों में शामिल हैं :
स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य जांच।
संकट हेल्पलाइन और मनोवैज्ञानिक सहायता केन्द्रों की स्थापना करना।
मानसिक बीमारी और आत्महत्या से जुड़े कलंक को तोड़ने के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम।
कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का सशक्त कार्यान्वयन।
छात्रों, किसानों और युवा वयस्कों जैसे उच्च जोखिम वाली आबादी पर ध्यान केंद्रित करके, रणनीति आत्म-क्षति को रोकने और समग्र कल्याण में सुधार करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप सुनिश्चित करती है।
अन्य प्रमुख प्रयास
NIMHANS अधिनियम, 2012
दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017
मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण के लिए iGOT-दीक्षा सहयोग
राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (टेली मानस), 2022
किरण हेल्पलाइन का टेली मानस में विलय
आगे की राह
भारत को जागरूकता अभियानों को मजबूत करना चाहिए।
कार्यबल प्रशिक्षण का विस्तार करना चाहिए।
डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य समाधानों में निवेश करना चाहिए।
मानसिक रूप से स्वस्थ भारत व्यक्तिगत कल्याण, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय विकास के लिए महत्वपूर्ण है, मानसिक स्वास्थ्य सेवा को सुलभ, समावेशी और कलंक मुक्त बनाने के लिए सामाजिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।