महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में धनगरों के एक समूह ने अपनी भेड़-बकरियों के लिए एक ‘चारागाह गलियारे’ की मांग की है। यह मांग वस्तुतः उनके पारंपरिक मार्गों पर पशु-चारण के उनके अधिकार की मान्यता की मांग है।
धनगर समुदाय के बारे में
- यह चरवाहों का एक समुदाय है जिसकी आबादी कई राज्यों में है। इनमें महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
- अन्य स्थानों पर धनगर को गोल्ला एवं कुरुबा जैसे अन्य नामों से जानते हैं।
विभिन्न राज्यों में जातिगत स्थिति
- यह समुदाय महाराष्ट्र की विमुक्त जाति एवं खानाबदोश जनजातियों (VJNT) की सूची में शामिल हैं किंतु दशकों से अनुसूचित जनजाति (ST) के दर्ज़ें की मांग की जा रही है।
- देश के अन्य हिस्सों में इस समुदाय की पहचान ‘धंगड़’ के रूप में है और इसे ST के रूप में आरक्षण प्राप्त है जबकि धंगड़ समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की केंद्रीय सूची में सूचीबद्ध किया गया है।
वन अधिकार अधिनियम, 2006 चराई सहित पारंपरिक व्यवसायों की अनुमति प्रदान करता है किंतु इससे केवल ST समुदाय को चरागाहों तक पहुंच प्राप्त करने में मदद मिली है, जबकि घुमंतू जनजातियों की श्रेणी में आने वाले धनगरों को कोई लाभ नहीं हुआ है।
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आजीविका एवं संस्कृति
- लगभग 40% धनगर पूर्णतया पशुपालन पर निर्भर है और वे खानाबदोश जीवन व्यतीत करते हैं।
- वस्तुतः खानाबदोश जीवन समुदाय की शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में बाधक है।
- यह हिंदू धर्म से संबंधित खानाबदोश समुदाय है जो अपनी सामाजिक एवं सांस्कृतिक वंशावली देशज बहुजन लोक परंपराओं और खंडोबा, बिरोबा, पांडुरंग, ज्योतिबा, बनुबाई, महलसा, तुलजा भवानी व मंधारदेवी जैसे देवताओं से जोड़ता है।