(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2; केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।) |
संदर्भ
महाराष्ट्र सरकार द्वारा धनगर समुदाय के आरक्षण के मुद्दे पर विचार करने के लिए गठित सुधाकर शिंदे समिति ने अपनी रिपोर्ट महाराष्ट्र सरकार को सौंप दी है।
सुधाकर शिंदे समिति के बारे में
- सुधाकर शिंदे समिति का गठन मौजूदा प्रावधानों के तहत धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe: ST) प्रमाण पत्र देने की पात्रता का अध्ययन करने के लिए किया गया था।
- समिति को यह भी अध्ययन करना था कि अन्य राज्य सरकारों ने अपने राज्यों में धनगरों को कैसे समायोजित किया है।
- समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले कई राज्यों का दौरा किया था।
- महाराष्ट्र में धनगर आरक्षण का मुद्दा नया नहीं है, लेकिन यह पहली बार है कि महाराष्ट्र में 1.5 करोड़ से अधिक आबादी वाले इस समुदाय ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए दावा किया है कि ‘धनगढ़’ को ‘धनगर’ पढ़ा जाना चाहिए।
- अब तक महाराष्ट्र में धनगर समुदाय के ST से संबंधित होने के मानदंडों के संबंध में कई अध्ययन किए गए हैं।
- ST सूची में 'ओरांव धनगड़' का उल्लेख है लेकिन अतीत में कई समितियों ने निष्कर्ष निकाला है कि धनगर ST के मानदंडों में फिट नहीं होते हैं।
धनगर समुदाय के बारे में
- धनगर चरवाहों का एक समुदाय है। ये मुख्य रूप से महाराष्ट्र के अलावा गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी निवास करते हैं।
- इन्हें गोल्ला और कुरुबा जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
- धनगर महाराष्ट्र की विमुक्त एवं खानाबदोश जनजातियों की सूची में शामिल हैं लेकिन दशकों से वे ST का दर्जा मांग रहे हैं।
आजीविका एवं संस्कृति
- चरवाहा समुदाय के रूप में धनगर लोग प्राचीन काल से जानवरों के लिए चारागाह की खोज के लिए कुछ विशेष रास्तों का अनुसरण करते रहे हैं।
- हालाँकि, हाल के दशकों में वन विभाग द्वारा संरक्षित वनों को चिह्नित करने के कारण उनके वनों में आवाजाही पर प्रतिबंध लगा है।
- जाति आधारित सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के अभाव में धनगरों की वर्तमान जनसंख्या अनिश्चित है।
- माना जाता है कि धनगरों की लगभग 40% आबादी पूरी तरह से पशुपालन पर निर्भर है।