(प्रारंभिक परीक्षा: कला एवं संस्कृति) |
चर्चा में क्यों
आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले में दो दुर्गम आदिवासी बस्तियों बुरिगा और चाइना कोनेला में आजादी के 78 वर्षों के पश्चात विद्युतीकरण के अवसर पर ढिम्सा नृत्य का प्रदर्शन किया गया।
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ढिम्सा नृत्य के बारे में
- ढिम्सा नृत्य आंध्र प्रदेश का पारंपरिक जनजातीय नृत्य है।
- यह नृत्य मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले में प्रचलित है।
- इसकी उत्पत्ति ओडिशा राज्य के कोरापुट जिले में हुई थी।
- ढिम्सा का अर्थ है पैरों की आवाज़ अर्थात इस नृत्य में पैरों द्वारा लयबद्ध ध्वनि करताल किया जाता है।
- यह विवाह के दिन एवं शिकार आदि के महत्त्वपूर्ण अवसरों पर होता है।
- यह नृत्य स्त्री और पुरुषों दोनों द्वारा किया जाता है।
- गायन एवं ढोल वादन की थाप पर होने वाला यह नृत्य सामान्यत: रात्रि में होता है।
ढिम्सा नृत्य के विभिन्न संस्करण
- भाग ढिम्सा; नाटिकरी ढिम्सा; कुंडा ढिम्सा; पाथरटोला ढिम्सा; पेड्डा ढिम्सा; संबोरनिसानि ढिम्सा; बय्या ढिम्सा; मौली ढिम्सा; छोटी ढिम्सा; बोडा ढिम्सा; गोड्डीबेट्टा ढिम्सा