राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड का हीरक जयंती समारोह
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड (NAFSCOB) के हीरक जयंती समारोह का आयोजन किया गया
राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड (NAFSCOB) की स्थापना के 60 वर्ष पूरे हो गए हैं
राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड (NAFSCOB)
स्थापना:- वर्ष 1964
उद्देश्य
राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों के संचालन को सुविधाजनक बनाने और विशेष रूप से सहकारी ऋण का विकास
सहकारी ऋण, बैंकिंग और संबद्ध मामलों की समस्याओं की जांच करने और उनसे निपटने के लिए उपयुक्त रणनीति विकसित करने के लिए सदस्य बैंकों को एक साझा मंच प्रदान करना।
सदस्य बैंकों की ओर से सहकारी ऋण के विकास के लिए भारत सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, संबंधित राज्य सरकारों, नाबार्ड और अन्य उच्च वित्तपोषण संस्थानों के साथ समन्वय और संपर्क करना।
सदस्य बैंकों को अनुसंधान और परामर्श संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना ताकि वे अपने संगठन को सुदृढ़ बना सकें।
बेहतर नीतिगत निर्णयों में योगदान देने के उद्देश्य से साझा हित के विचारों को साझा करने के लिए सम्मेलन/सेमिनार/कार्यशालाएं/बैठकें आयोजित करना।
प्राथमिक कृषि साख समिति (PACS)
PACS, ग्राम-स्तरीय सहकारी ऋण समितियाँ हैं, जो राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंकों (SCB) की अध्यक्षता वाली त्रि-स्तरीय सहकारी ऋण संरचना में अंतिम कड़ी के रूप में कार्य करती हैं।
SCBs से ऋण, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों(DCCBs) को हस्तांतरित किया जाता है, जो जिला स्तर पर काम करते हैं।
DCCBs, PACS के साथ काम करते हैं, जो सीधे किसानों से संबंधित है।
पंजीकृत सहकारी समितियों के रूप में, प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS) अपने सदस्यों को ऋण और अन्य सेवाएँ प्रदान करती रही हैं।
पहली प्राथमिक कृषि साख समिति (PACS) का गठन वर्ष 1904 में किया गया था ।
PACS को राज्य सरकार द्वारा विनियमित किया जाता है।
एक प्राथमिक कृषि साख समिति (PACS) निम्नलिखित माध्यमों से अपनी गतिविधियों को पूरा करने के लिए धन जुटा सकती है -
सदस्यों और सरकार से जुटाई जाने वाली शेयर पूंजी के माध्यम से।
शीर्ष सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के माध्यम से शेयर पूंजी योगदान।
सदस्यों से जमा।
ऋण।
दान।
प्रवेश शुल्क।
कार्य
विभिन्न कृषि उद्देश्यों के लिए किसानों को लघु और मध्यम अवधि के ऋण प्रदान करना।
अपने सदस्यों की समय पर मदद करने के लिए केंद्रीय वित्तीय एजेंसियों से पर्याप्त धन उधार लेना।
कृषि प्रयोजनों के लिए किराए पर मशीनरी की आपूर्ति करना।
सदस्यों में बचत आदतों को बढ़ावा देना।
सदस्यों को विपणन सुविधाएं प्रदान करना जिससे उचित मूल्य पर बाजार में उनके कृषि उत्पादों की बिक्री हो सके।
प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियां अन्य कृषि उद्देश्यों जैसे कृषि मशीनरी की खरीद और गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए भी ऋण जारी करती हैं।
गाँव के आर्थिक और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों से स्वयं को जोड़ना।
प्रश्न - राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड की स्थापना कब हुई थी ?