प्रारंभिक परीक्षा – सर्वोच्च न्यायालय मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
संदर्भ
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 जनवरी,2024 को दिल्ली के सर्वोच्च न्यायालय सभागार में सर्वोच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन किया।
- उन्होंने नागरिक-केंद्रित सूचना और प्रौद्योगिकी पहल का भी शुभारंभ किया, जिसमें डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (Digi SCR), डिजिटल कोर्ट 2.0 और सर्वोच्च न्यायालय की एक नई वेबसाइट शामिल है।
प्रमुख बिंदु
- डिजिटल पहल का उद्देश्य स्थानीय भाषाओं में प्रतिलेखन और अनुवाद के लिए AI का उपयोग करके सुप्रीम कोर्ट के फैसलों तक मुफ्त और उपयोगकर्ता के अनुकूल पहुंच प्रदान करना है।
- डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (SCR) के माध्यम से देशवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले नि:शुल्क डिजिटल रूप में उपलब्ध हो सकेंगे।
- इसमें वर्ष 1950 के बाद से सर्वोच्च न्यायालय की रिपोर्ट के सभी 519 खंड उपलब्ध होंगे।
- डिजिटल कोर्ट 2.0 एप्लिकेशन जिला अदालतों के न्यायाधीशों को डिजिटल रूप में अदालती रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के अन्तर्गत शुरू की गई पहल है।
- इसे वास्तविक समय के आधार पर भाषण को ट्रांसक्राइब करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग के साथ जोड़ा गया है।
- नई वेबसाइट अंग्रेजी और हिंदी में द्विभाषी प्रारूप में होगी और इसे उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस के साथ फिर से डिजाइन किया गया है।
ई-कोर्ट परियोजना :-
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (IECT) के माध्यम से देश भर में जिला न्यायालयों को डिजिटल रूप से बदलने और सक्षम करने के लिए न्याय विभाग, कानून और न्याय मंत्रालय के नेतृत्व में एक अखिल भारतीय पहल है।
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अन्य महत्त्वपूर्ण पहल:
- राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDJ): ई-कोर्ट परियोजना के तहत आदेशों, निर्णयों और मामलों के लिए ऑनलाइन डेटाबेस बनाया गया।
- राष्ट्रीय सेवा और इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रियाओं की ट्रैकिंग: सम्मन जारी करने और जारी करने की प्रक्रिया के लिए प्रौद्योगिकी-सक्षम मंच।
- SUPACE(Supreme Court Portal for Assistance in Courts Efficiency)पोर्टल।
- SUVAS (Supreme Court Legal Translation Software): AI प्रशिक्षित मशीन-सहायता प्राप्त अनुवाद उपकरण।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय :
- संविधान के अनुच्छेद 124 में कहा गया है कि भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय होगा।
- भारतीय संविधान के भाग V में अनुच्छेद 124 से 147 तक उच्चतम न्यायालय के गठन, स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियां, प्रक्रिया आदि का उल्लेख है।
- संविधान लागू होने के बाद 26 जनवरी 1950 को सर्वोच्च न्यायालय अस्तित्व में आया ।
- भारत के संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के दो दिन बाद, 28 जनवरी, 1950 को सर्वोच्च न्यायालय का उद्घाटन किया गया ।
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 4 अगस्त, 1958 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वर्तमान इमारत का उद्घाटन किया ।
न्यायाधीशों की संख्या:
- मूल संविधान में एक मुख्य न्यायाधीश और 7 अन्य न्यायाधीशों के साथ एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी।
- न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ाने का काम संसद पर छोड़ दिया गया था।
- कार्यभार में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए संसद ने न्यायाधीशों की संख्या वर्ष 1950 में 8 से बढ़ाकर वर्ष 1956 में 11, वर्ष 1960 में 14, वर्ष 1978 में 18, वर्ष 1986 में 26, वर्ष 2009 में 31 और वर्ष 2019 में 34 कर दी।
- सर्वोच्च न्यायालय की पीठों के बीच किसी भी महत्त्वपूर्ण निर्णय या संविधान की व्याख्या से संबंधित किसी भी प्रश्न पर निर्णय लेने के लिए 5 या अधिक (संविधान पीठ) की बड़ी पीठों का गठन किया जाता हैं।
शक्तियाँ और कार्य:
- सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति एवं न्याय क्षेत्रों को निम्नलिखित तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है:
- मूल क्षेत्राधिकार
- न्यायादेश क्षेत्राधिकार
- अपीलीय क्षेत्राधिकार
- सलाहकार क्षेत्राधिकार
- अभिलेखों का न्यायालय
- न्यायिक समीक्षा की शक्ति
- अन्य शक्तियां
मूल क्षेत्राधिकार
उच्चतम न्यायालय भारत के संघीय ढांचे की विभिन्न इकाइयों के बीच किसी विवाद पर संघीय न्यायालय की तरह निर्णय देता है।
किसी भी विवाद को जो;
(i) केंद्र व एक या अधिक राज्यों के बीच हों, या
(ii) केंद्र और कोई राज्य या राज्यों का एक तरफ होना एवं एक या अधिक राज्यों का दूसरी तरफ होना, या
(iii) दो या अधिक राज्यों के बीच।
उपरोक्त संघीय विवाद पर उच्चतम न्यायालय में 'विशेष मूल' न्यायक्षेत्र निहित है।
यह अपील की अंतिम अदालत और संविधान के अंतिम व्याख्याकार दोनों के रूप में कार्य करता है।
न्यायादेश क्षेत्राधिकार
- संविधान का अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को व्यापक मूल अधिकार क्षेत्र है।
- इसे लागू करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण और अधिकार पृच्छा में रिट सहित निर्देश, आदेश जारी करने का अधिकार है।
अपीलीय क्षेत्राधिकार
- उच्चतम न्यायालय न केवल भारत के संघीय न्यायालय के उत्तराधिकारी की तरह है बल्कि अपील का उच्चतम न्यायालय भी है।
- उच्चतम न्यायालय निचली अदालतों के फैसलों के खिलाफ सुनवाई करता है।
- इसके अपीलीय न्यायक्षेत्र को निम्नलिखित चार शीर्षों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
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- संवैधानिक मामलों में अपील।
- दीवानी मामलों में अपील।
- आपराधिक मामलों में अपील।
- विशेष अनुमति द्वारा अपील।
सलाहकार क्षेत्राधिकार
- संविधान (अनुच्छेद 143) राष्ट्रपति को दो श्रेणियों के मामलों में उच्चतम न्यायालय से राय लेने का अधिकार देता है;
(a) सार्वजनिक महत्व के किसी मसले पर विधिक प्रश्न उठने पर।
(b) किसी पूर्व संवैधानिक संधि, समझौते, प्रसंविदा आदि सनद मामलों पर किसी विवाद के उत्पन्न होने पर।
- पहले मामले में उच्चतम न्यायालय अपना मत दे भी सकता है और देने से इनकार भी कर सकता है।
- दूसरे मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा राष्ट्रपति को अपना मत देना अनिवार्य है।
- दोनों ही मामलों में उच्चतम न्यायालय का मत सिर्फ सलाह होती है।
- राष्ट्रपति इसके लिए बाध्य नहीं है कि वह इस सलाह को माने।
अभिलेख न्यायालय
- अभिलेख न्यायालय के रूप में उच्चतम न्यायालय के पास दो शक्तियां हैं;
I.उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही एवं उसके फैसले सार्वकालिक अभिलेख व साक्ष्य के रूप में रखे जाएंगे।
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- इन अभिलेखों पर किसी अन्य अदालत में चल रहे मामले के दौरान प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। इन्हें विधिक संदर्भों की तरह स्वीकार किया जाएगा।
II. इसके पास न्यायालय की अवमानना पर दंडित करने का अधिकार है।
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- इसमें 6 वर्ष के लिए सामान्य जेल या 2000 रुपए तक अर्थदंड या दोनों शामिल हैं।
- 1991 में उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी कि दंड देने की यह शक्ति न केवल उच्चतम न्यायालय में निहित है बल्कि ऐसा अधिकार उच्च न्यायालयों, अधीनस्थ न्यायालयों, पंचाटों को भी प्राप्त है।
न्यायिक समीक्षा की शक्ति
- उच्चतम न्यायालय में न्यायिक समीक्षा की शक्ति निहित है।
- इसके तहत वह केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर विधायी व कार्यकारी आदेशों की सांविधानिकता की जांच करता है।
- इन्हें अधिकारातीत पाए जाने पर इन्हें गैर-विधिक, गैर-संवैधानिक और अवैध घोषित किया जा सकता है।
संवैधानिक व्याख्या (अर्थविवेचन)
- सर्वोच्च न्यायालय संविधान का अंतिम व्याख्याकर्ता और अर्थ विवेचनकर्ता है।
- यह संविधान में निहित प्रावधानों तथा उसमें उपयोग की गई शब्दावली की भावना एवं निहितार्थ के विषय में अंतिम पाठ प्रस्तुत कर सकता है।
- संविधान की व्याख्या करते समय सर्वोच्च न्यायालय अनेक सिद्धांतों व मतों का मार्गदर्शन लेता है।
- संविधान की व्याख्या में विविध सिद्धांतों का उपयोग करता है, जो कि निम्नलिखित हैं:
(i) पृथक्करणीयता का सिद्धांत (Doctrine of Severability)
(ii) छूट का सिद्धांत (Doctrine of waiver)
(iii) आच्छादन का सिद्धांत (Doctrine of Ecllipse)
(iv) क्षेत्रीय/प्रादेशिक संबंध का सिद्धांत (Doctrine of Territorial nexus)
(v) तत्व एवं सार का सिद्धांत (Doctrine of Pith and substance)
(vi) छद्म विधान का सिद्धांत (Doctrine of colourable Legislative)
(vii) अंतनिर्हित शक्तियों का सिद्धांत (Doctrine of Implied power)
(viii) अनुषंगिक एवं सहायक शक्तियों का सिद्धांत (Doctrine of Incidental and Ancillary power)
(ix) पूर्व उदाहरण (मिसाल) का सिद्धांत (Doctrine of Precedent)
(x) अधिकृत क्षेत्र का सिद्धांत (Doctrine of occupied field)
(xi) संभावित अधिरोहण का सिद्धांत (Doctrine of Prospective overruling)
(xii) सामंजस्यपूर्ण अर्थान्वयन का सिद्धांत (Doctrine of Harmonious construction)
(xiii) उदार व्याख्या का सिद्धांत (Doctrine of liberal Interpretation)
अन्य शक्तियां
(उपरोक्त शक्तियों के अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय को कई अन्य शक्तियां भी प्राप्त हैं, जैसे:
(i) यह राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में किसी प्रकार के विवाद का निपटारा करता है।
- इस संबंध में यह मूल, विशेष एवं अंतिम व्यवस्थापक है।
(ii) यह संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के व्यवहार एवं आचरण की जांच करता है। यदि यह उन्हें दुव्यर्वहार का दोषी पाता है तो राष्ट्रपति से उसको हटाने की सिफारिश कर सकता है। उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई इस सलाह को मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य है।
(iii)अपने स्वयं के फैसले की समीक्षा करने की शक्ति इसे है, इस तरह यह अपने पूर्व के फैसले पर अडिग रहने को बाध्य नहीं है और सामुदायिक हितों व न्याय के हित में वह इसे बदल सकता है।
(iv) उच्च न्यायालयों में लंबित पड़े मामलों को यह मंगवा सकता है और उनका निपटारा कर सकता है।
- यह किसी लंबित मामले या अपील को एक उच्च न्यायालय से दूसरे में स्थानांतरित भी कर सकता है।
(v) इसकी विधियां भारत के सभी न्यायालयों के लिए बाध्य होंगी।
- इसके डिक्री या आदेश पूरे देश में लागू होते हैं।
- सभी राजव्यवस्था प्राधिकारी (सिविल और न्यायिक) उच्चतम, न्यायालय की सहायता में कार्य करते हैं।
(vi) इसे न्यायिक अधीक्षण की शक्ति प्राप्त हैं और इसका देश के सभी न्यायालयों एवं पंचाटों के क्रियाकलापों पर नियंत्रण है।
- उच्चतम न्यायालय के न्यायक्षेत्र एवं शक्तियों को केंद्रीय सूची से संबंधित मामलों पर संसद द्वारा विस्तारित किया जा सकता है।
- इसके न्यायक्षेत्र एवं शक्ति अन्य मामलों में केंद्र एवं राज्यों के बीच विशेष समझौते के तहत विस्तारित किए जा सकते हैं।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 जनवरी,2024 को दिल्ली के सर्वोच्च न्यायालय सभागार में सर्वोच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन किया।
- भारतीय संविधान के भाग V में अनुच्छेद 124 से 147 तक उच्चतम न्यायालय के गठन, स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियां, प्रक्रिया आदि का उल्लेख है।
- मूल संविधान में एक मुख्य न्यायाधीश और 7 अन्य न्यायाधीशों के साथ एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख कार्यों एवं न्यायिक क्षेत्राधिकारों का उल्लेख कीजिए।
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स्रोत: pib