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डायटम: जलीय तंत्र के सूक्ष्म पॉवरहाउस

संदर्भ 

डायटम जलीय पारितंत्र की सूक्ष्म, किंतु अत्यंत महत्वपूर्ण इकाइयाँ हैं। इनकी भूमिका व महत्व उनके सूक्ष्म आकार में समाहित विशाल मूल्य को प्रदर्शित करते हैं। इनका संरक्षण एवं अध्ययन जलीय पारितंत्र की स्थिरता व स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। 

डायटम के बारे में 

  • ये एककोशिकीय और अत्यंत सूक्ष्म शैवाल होते हैं। हालाँकि, इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
  • ये महासागरों एवं अन्य जल निकायों में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और पृथ्वी के ऑक्सीजन उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
    • ये मीठे पानी, खारे पानी, बहते पानी, ठहरे पानी, चट्टान, रेत, नम स्थानों, जलमग्न पत्थरों आदि पर पाए जाते हैं।
  • इनकी विविधता और संख्या के कारण इन्हें एक अलग किंगडम के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसे प्रोटिस्टा किंगडम कहा जाता है। 
    • प्रोटिस्टा किंगडम (जगत) में डायटम के लगभग 64,000 से 100,000 प्रजातियाँ शामिल हैं जो 1,200 जीनस (वंश) में विभाजित हैं।
  • अध्ययन से स्पष्ट होता है कि डायटम कार्यात्मक रूप से एककोशिकीय होते हैं किंतु कुछ डायटम तंतु (फाइबर) भी उत्पन्न करते हैं। कुछ डायटम में पेड़ की शाखाओं की तरह नलियाँ होती हैं, जो विभाजन से उत्पन्न कोशिकाओं द्वारा निर्मित होती हैं। 
  • डायटम की कोशिका भित्ति दो भागों में विभाजित होती हैः एपिथिका एवं हाइपोथिका
    • वर्गीकरण : डायटम को दो प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता हैं:
    • सेंट्रीक डायटमः ये गोलाकार होते हैं और पानी में प्लवक का निर्माण करते हैं।
      • पेनेट डायटम : ये गोलाकार नहीं होते और इनमें स्लिट (छिद्र) होते हैं।
  • स्लिट युक्त डायटम को रेफिडस एवं स्लिटविहीन को एरेफिडस कहा जाता है।
  • हानिकारक डायटम : कुछ डायटम प्रजातियाँ विषाक्त पदार्थों का निर्माण करती हैं जो मछलियों की मौत का कारण बन सकते हैं। ये विष पानी की अम्लता में वृद्धि करते हैं, जिससे अन्य जल-जीवों की मौत हो जाती है। इनकी अत्यधिक वृद्धि नदी-नालों को अवरुद्ध कर सकती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

डायटम की बहुक्रियात्मक भूमिका 

  • खाद्य श्रृंखला का प्रमुख घटक : ये जल में प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऊर्जा उत्पादन करते हैं जो इन्हें जलीय खाद्य श्रृंखला का एक प्रमुख घटक बनाते हैं। ये शैवाल न केवल छोटे जल-जंतुओं के लिए भोजन का स्रोत होते हैं बल्कि बड़े जलीय जीवों के लिए भी प्राथमिक आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।
  • आक्सीजन उत्पादक के रूप में : ये महासागरों और अन्य जल निकायों में प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। डायटम वैश्विक ऑक्सीजन उत्पादन का लगभग 20-25% उत्पन्न करते हैं।
  • CO2 अवशोषक के रूप में : ये शैवाल CO2 के महत्वपूर्ण अवशोषक होते हैं जो वैश्विक स्तर पर कार्बन का अवशोषण कर जलवायु परिवर्तन पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में योगदान करते हैं।
  • पर्यावरणीय संकेतक के रूप में : डायटम पर्यावरणीय परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतक होते हैं। इनका वितरण एवं जीवन चक्र, जल की गुणवत्ता व पारितंत्र की स्थिति के संकेतक भी हो सकते हैं। ये जल की लवणता, पीएच, पोषक तत्वों की स्थिति, जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में बदलाव एवं अन्य पारिस्थितिकीय परिवर्तनों से संबंधित जानकारी भी प्रदान करते हैं।
  • दोहरी भूमिका : डायटम पर्यावरण में दोहरी भूमिका निभाते हैं। ये उत्पादक भी होते हैं तथा अन्य छोटे जीवों का भी पालन करते हैं।
  • व्यावसायिक उपयोग : डायटम के जीवाश्म का उपयोग सिलिका प्राप्त करने में, कीटनाशक निर्माण में, फ़िल्टर, धातु की पॉलिश, उत्प्रेरक, कागज उद्योग एवं प्लास्टिक उद्योग आदि में किया जाता है। 
  • फॉरेन्सिक उपयोग : फॉरेन्सिक विज्ञान में पानी से हुई मौत की जाँच के दौरान डायटम महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करते हैं। पानी में डूबने पर पानी में मौजूद डायटम मृत शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। शरीर की जाँच में ये डायटम पाए जाते हैं जो मौत के कारणों की पहचान में मदद करते हैं।
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