New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

डिजिटल शिक्षा सम्बंधी दिशा-निर्देश: प्रज्ञाता

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोंखरियाल द्वारा डिजिटल/ऑनलाइन शिक्षा के सम्बंध में ‘प्रज्ञाता’ दिशा-निर्देश (Guidelines) जारी किये गए।

पृष्ठभूमि

कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल बंद हैं और इससे देश भर के स्कूलों में नामांकित 240 मिलियन से अधिक बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। स्कूलों के इसी तरह से आगे भी बंद रहने की सम्भावना है जिससे बच्चों के सीखने (Learning- अधिगम) के अवसरों में कमी आ सकती है। शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को कम करने के लिये स्कूलों को न केवल अब तक पढ़ाने व सिखाने के तरीके को बदलकर शिक्षा प्रदान करने के नए मॉडल तैयार करने होंगे, बल्कि ‘घर पर स्कूली शिक्षा’ और ‘स्कूल में स्कूली शिक्षा’ के एक स्वस्थ मिश्रण के माध्यम से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की एक उपयुक्त विधि भी पेश करनी होगी।

  • प्रज्ञाता दिशा-निर्देश
  • डिजिटल शिक्षा पर ‘प्रज्ञाता’ दिशा-निर्देश ऑनलाइन शिक्षा को बेहतर गुणवत्ता के साथ आगे बढ़ाने के लिये एक विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करता है। यह दिशा-निर्देश कक्षा एक से बारहवीं तक के छात्रों के लिये एक दिन में ऑनलाइन सत्रों की समयावधि और उनकी संख्या से सम्बंधित है।
  • जारी किये गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, पूर्व प्राथमिक छात्रों के लिये कक्षा का समय 30 मिनट के लिये है, जबकि कक्षा 1-8 के लिये 30 से 45 मिनट तक के दो ऑनलाइन सत्र और कक्षा 9-12 के लिये चार सत्र आयोजित किये जा सकते हैं।
  • इन दिशा-निर्देशों में, ऐसे छात्रों जिनके पास डिजिटल उपकरण तक पहुँच है और जिनके पास डिजिटल उपकरण तक सीमित या कोई पहुँच नहीं है, दोनों के लिये, एन.सी.ई.आर.टी. के वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर के उपयोग पर ज़ोर दिया गया है।
  • ‘प्रज्ञाता’ दिशा-निर्देशों में ऑनलाइन/डिजिटल शिक्षा के आठ चरण, यथा: योजना (Plan)- समीक्षा (Review)- व्यवस्था (Arrange)- मार्गदर्शन (Guide)- याक/बात (Talk)- असाइन (Assign)- ट्रैक (Track)- सराहना (Appreciate) शामिल हैं। ये आठ चरण उदाहरणों के साथ चरणबद्ध तरीके से डिजिटल शिक्षा की योजना और कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करते हैं।

pragyata

  • ये दिशा-निर्देश स्कूल प्रशासकों, स्कूल प्रमुखों, शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को निम्नलिखित क्षेत्रों में सुझाव भी प्रदान करते हैं:

1. मूल्यांकन की ज़रूरत
2. ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा की योजना बनाते समय कक्षा के हिसाब से सत्र की अवधि, स्क्रीन समय, समावेशिता, संतुलित ऑनलाइन और ऑफ़लाइन गतिविधियों आदि से सरोकार
3. हस्तक्षेप के तौर-तरीके जिनमें संसाधन अवधि, कक्षा के हिसाब से उसका वितरण आदि शामिल हैं
4. डिजिटल शिक्षा के दौरान शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती
5. साइबर सुरक्षा को बनाए रखने के लिये सावधानियों और उपायों सहित साइबर सुरक्षा और नैतिक प्रथा
6. विभिन्न पहलों के साथ सहयोग और सम्मिलन

  • शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के लिये दिशा-निर्देश इस बात पर ज़ोर देता है कि लम्बे समय तक डिजिटल उपकरणों के उपयोग के कारण बच्चों को अत्यधिक खिंचाव या तनाव न हो। साथ ही, वे नकारात्मक (बैठने के दोष, नेत्र सम्बंधी समस्याएँ और अन्य शारीरिक समस्याएँ) रूप से प्रभावित न हों।
  • इस पहल में ‘स्वयंप्रभा’, ‘दीक्षा’, ‘स्वयं मूक्स’, ‘रेडियो वाहिनी’, ‘शिक्षा वाणी’, ‘विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिये विशेष सामग्री’ और ‘आई.टी.पी.ए.एल.’ शामिल हैं।

प्रज्ञाता दिशा-निर्देशों में ऑनलाइन/डिजिटल शिक्षा के आठ चरण

ये आठ चरण निम्नांकित हैं:

  • योजना: ऑनलाइन शिक्षा के लिये शिक्षक द्वारा विधिवत विवरणों सहित पाठ योजना तैयार किया जाना।
  • समीक्षा: शिक्षक द्वारा मोबाइल के माध्यम से बच्चों/छात्रों के साथ मिलकर डिजिटल उपकरणों तक उनकी पहुँच के बारे में पता लगाने के लिये 4 स्तरीय एक संक्षिप्त सर्वेक्षण किया जाना।
  • व्यवस्था: सर्वेक्षण के बाद शिक्षक कुछ तरीकों से डिजिटल शिक्षा तक छात्रों की पहुँच सुनिश्चित करने की व्यवस्था कर सकते हैं, जिसमें मोबाइल और डिवाइस की तत्काल आवश्यकता वाले छात्रों पर तुरंत ध्यान देना शमिल है। साथ ही, शिक्षक व्यवस्था और परिस्थिति के अनुसार किसी विषय या थीम का चुनाव कर सकता है।
  • मार्गदर्शन: शिक्षक, बच्चों के माता-पिता से सम्बंधित विषय पर वीडियो दिखाने या उन्हें इस विषय पर चर्चा करने के लिये प्रोत्साहित कर सकते हैं। यह एक व्यक्तिगत गतिविधि हो सकती है, जिसमें माता-पिता भी भाग ले सकते हैं।
  • बात: शिक्षक द्वारा शंका-समाधान सत्र की व्यवस्था करना और शिक्षार्थियों से बात करने के लिये पूर्व-निर्धारित समय पर उपलब्ध रहना।
  • असाइन: छात्रों को सम्बंधित विषय या चुनी गई थीम पर चित्र बनाने, उनके कार्यों को सूचीबद्ध करने या उसके बारे में कुछ लिखने के लिये मार्गदर्शन प्रदान करना। किसी भाषा को सीखना भी इस गतिविधि का एक एकीकृत हिस्सा हो सकता है।
  • ट्रैक: बच्चों द्वारा बनाए गए चार्ट या पोस्टर या डेटशीट को अभिभावकों द्वारा ई-मेल या व्हाट्सएप के माध्यम से शिक्षकों को भेजा जाना। शिक्षक प्रत्येक असाइनमेंट पर छात्रों की प्रगति को ट्रैक करेंगे और शिक्षार्थियों को रचनात्मक प्रतिक्रिया देंगे।
  • सराहना: शिक्षकों द्वारा कुछ समय के लिये प्रत्येक समूह में हिस्सा लेने की आवश्यकता। शिक्षकों को असाइनमेंट पूरा होने पर बच्चों और माता-पिता की सराहना करने की आवश्यकता। इससे बच्चों और माता-पिता दोनों की ऑनलाइन शिक्षा के प्रति रुचि और प्रेरणा बनी रहेगी।

लाभ

  • ‘प्रज्ञाता’ दिशा-निर्देश विद्यार्थियों के दृष्टिकोण के अनुसार विकसित किये गए हैं, जो लॉकडाउन के कारण घरों पर मौजूद छात्रों के लिये ऑनलाइन/मिश्रित/डिजिटल शिक्षा पर केंद्रित हैं।
  • विद्यालय प्रमुखों, शिक्षकों, अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों के प्रशिक्षकों व छात्रों सहित हितधारकों के विविध समूहों के लिये ये दिशा-निर्देश प्रासंगिक और उपयोगी साबित होंगे।
  • ये दिशा-निर्देश देश भर में स्कूल जाने वाले बच्चों को लाभान्वित करने के लिये डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से सम्बंधित सभी प्रयासों को एकजुट करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।
  • ये दिशा-निर्देश स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के लिये साइबर सुरक्षा और गोपनीयता उपायों को सुनिश्चित करते हुए डिजिटल शिक्षा को लागू करने के लिये मूल्यांकन की आवश्यकता, योजना और इसके विभिन्न उपायों को बताते हैं।

निष्कर्ष

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में शिक्षा के डिजिटल साधनों पर आगे के लिये विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के स्तर के संगठनों और राष्ट्रीय स्तर के संगठनों को बदलाव के लिये हाथ मिलाने की ज़रूरत है ताकि यह व्यवस्था कोविड-19 के बाद भी कारगर बनी रहे।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR