हाल ही में, रिज़र्व बैंक ने देश में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा और उसके विभिन्न स्तरों को समझने के लिये एक समग्र डिजिटल भुगतान सूचकांक (DPI) का निर्माण किया है। इस सूचकांक का आधार वर्ष/अवधि मार्च 2018 निर्धारित की गई है।
सूचकांक को मार्च 2021 से चार महीने के अंतराल के साथ केंद्रीय बैंक की वेबसाइट पर अर्ध-वार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जाएगा।
इसे पाँच व्यापक मानकों के आधार पर तैयार किया गया है, जो विभिन्न समयावधि में डिज़िटल भुगतानों की गहराई से जाँच करने में सक्षम हैं। ये मानक निम्नलिखित हैं :
भुगतानकर्ता (25% भारांश)
भुगतान अवसंरचना- माँग पक्ष के कारक (10% भारांश)
भुगतान अवसंरचना- आपूर्ति पक्ष के कारक (15%भारांश)
भुगतान प्रदर्शन (45% भारांश)
उपभोक्ता केंद्रित (5% भारांश)
रिज़र्व बैंक के अनुसार इन मानकों के में उप-मानक (Sub Parameters) भी होंगें जिसमें विभिन्न संकेतक शामिल होंगें।
रिज़र्व बैंक के अनुसार मार्च 2019 और मार्च 2020 के लिये डी.पी.आई. क्रमश: 153.47 और 207.84 रही, जो अच्छी वृद्धि का संकेत है।
भारत में बढ़ते डिजिटल भुगतान की वजह से इन भुगतानों से जुड़े सभी नए बदलाव या ट्रेंड्स का आकलन आवश्यक है। सूचकांक के रूप में इनके सटीक आकलन से भविष्य में डिजिटल पेमेंट से जुड़े दिशा निर्देशों, अधिनियमों एवं विनियमों को लागू करने में सरकार को सहायता मिलेगी।
ध्यातव्य है कि वर्ष 2015-16 से 2019-20 के बीच डिजिटल भुगतान तेज़ी से बढ़ा है।डिजिटल भुगतान की संख्या मार्च 2016 में 61 करोड़ से बढ़कर मार्च 2020 तक 3434.56 करोड़ हो गई है। यह पांच साल में करीब 5.8 गुना है।