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भारत में डिजिटल क्रांति

(प्रारंभिक परीक्षा: सामाजिक एवं आर्थिक विकास)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3; भारतीय अर्थव्यवस्था, समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय)

परिचय 

  • हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रा और वित्त पर रिपोर्ट (Report on Currency and Finance : RCF) जारी की गई है। 
  • इस रिपोर्ट का विषय "भारत की डिजिटल क्रांति" (India’s Digital Revolution) है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक स्तर पर डिजिटल क्रांति में सबसे आगे है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु 

डिजिटल अर्थव्यवस्था में वृद्धि 

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्तमान में इसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के दसवें हिस्से का निर्माण करती है जो वर्ष 2026 तक GDP का पांचवां हिस्सा हो जाएगी।

डिजिटल प्रौद्योगिकी

डिजिटल प्रौद्योगिकियां वित्तीय समावेशन, राजकोषीय हस्तांतरण और सीमा पार व्यापार एवं धन प्रेषण के क्षेत्र में अवसरों को खोल रही हैं। 

वित्त में डिजिटलीकरण

  • वित्त में डिजिटलीकरण अगली पीढ़ी की बैंकिंग का मार्ग प्रशस्त करने के साथ ही सस्ती लागत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार कर रहा है।
  • यह लागत-कुशल तरीके से लाभार्थियों को प्रभावी ढंग से लक्षित करके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के प्रभाव को बढ़ा रहा है।

खुदरा क्षेत्र

  • खुदरा क्षेत्र में ऋण ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
  • अंतर्निहित वित्त के माध्यम से ई-कॉमर्स को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • प्रमुख एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) ने अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए खुदरा भुगतान अनुभव में क्रांतिकारी बदलाव किया है, जिससे लेनदेन तेज और अधिक सुविधाजनक हो गया है।

निर्यात क्षेत्र 

  • बाहरी मोर्चे पर डिजिटलीकरण भारत के सेवा निर्यात में वृद्धि को बढ़ावा देने के साथ ही धन प्रेषण लागत को कम कर रहा है। 
  • भारत की डिजिटल यात्रा समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बेंचमार्क स्थापित कर रही है। 

डिजिटल ऋण क्षेत्र 

ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क, डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क और फ्रिक्शनलेस क्रेडिट के लिए पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म जैसी पहलों के साथ डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र जीवंत हो रहा है।

नियामक ढांचे की भूमिका

नियामक ढाँचे द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका के कारण डिजिटल वित्तीय उत्पादों में उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ा है तथा वित्तीय संस्थानों की परिचालन और तकनीकी दक्षता में वृद्धि हुई है।

अनुकूल नीतिगत माहौल

भारत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे, एक जीवंत वित्तीय प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल का लाभ उठा रहा है।

भारत में डिजिटल क्रांति

  • भारत में इंटरनेट की पहुँच वर्ष 2023 में 55 % थी।  पिछले तीन वर्षों में इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार में 199 मिलियन की वृद्धि हुई है।
  • भारत में प्रति गीगाबाइट (GB) डाटा का मूल्य दुनिया भर में सबसे कम है, जो औसतन 13.32 रुपये प्रति GB है। 
  • भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा मोबाइल डाटा खपत वाले देशों में से एक है, जहाँ वर्ष 2023 में प्रति उपयोगकर्ता प्रति माह औसत खपत 24.1GB रही।
  • वैश्विक स्तर पर, भारत
    • बायोमेट्रिक आधारित पहचान (आधार) और वास्तविक समय भुगतान की मात्रा में पहले स्थान पर है।
    • दूरसंचार उपभोक्ताओं में दूसरे स्थान पर है।
    • स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के मामले में तीसरे स्थान पर है।

सरकार के प्रयास 

  • MyGovका UMANG ऐप 50 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं को 1700 से अधिक सरकारी सेवाओं तक पहुँच प्रदान करता है। 
  • ई-हॉस्पिटल 380 मिलियन से अधिक पंजीकृत रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच को सरल बनाता है।
  • PMGDishaने ग्रामीण समुदायों में 50 मिलियन से अधिक व्यक्तियों को डिजिटल कौशल में प्रशिक्षित और प्रमाणित किया गया है। 
  • आधार अपने 2 बिलियन प्रमाणीकरण लेनदेन प्रति माह के साथ, कल्याण वितरण को सुव्यवस्थित करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका का प्रमाण है। 
  • वर्ष 2023 में रिकॉर्ड तोड़ 118 बिलियन UPI ​​लेनदेन वित्तीय परिदृश्य के डिजिटल परिवर्तन को उजागर करते हैं।

प्रमुख चुनौतियां 

  • रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल प्रौद्योगिकियां साइबर सुरक्षा, डाटा गोपनीयता, विक्रेता और तीसरे पक्ष के जोखिम, ग्राहक संरक्षण, मानव संसाधनों के कौशल उन्नयन एवं पुनर्कौशल, जटिल वित्तीय उत्पादों तथा व्यवसाय मॉडल से संबंधित चुनौतियां भी प्रस्तुत करती हैं।
  • डिजिटल प्रौद्योगिकी से विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती हुई अंतर्संबंधता से प्रणालीगत जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।
  • उभरती हुई तकनीकें ऐसे जटिल उत्पाद और व्यवसाय मॉडल पेश कर सकती हैं, जिनके जोखिम उपयोगकर्ता पूरी तरह से नहीं समझ सकते हैं।
    • इसमें धोखाधड़ी वाले ऐप्स का प्रसार और डार्क पैटर्न के माध्यम से गलत बिक्री शामिल है।
  • डिजिटलीकरण वित्तीय क्षेत्र में मानव संसाधन की कौशल संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़रहा है।
  • नवाचारों के लिए अनुकूल वातावरण का समर्थन करते हुए वित्तीय स्थिरता, ग्राहक सुरक्षा और प्रतिस्पर्धा को संतुलित करना प्रमुख नीतिगत चुनौती है।

आगे की राह 

  • हाल ही में हुए माइक्रोसॉफ्ट क्राउड स्ट्राइक आउटेज के बाद डिजिटल अवसंरचना में नए सिरे से प्रणालीगत सुधार की आवश्यकता है।
  • भारतीय बैंकिंग प्रणाली को अभी भी 13 करोड़ से अधिक लोगों तक अपनी पहुँच बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • मानव संसाधन चुनौतियों से निपटने के लिए अपस्किलिंग और रीस्किलिंग में रणनीतिक निवेश की आवश्यकता है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटल क्षेत्रों में रोजगार अभी भी काफी सीमित है, जिसके लिए कुशल श्रमिकों एवं तकनीकी उन्नयन के क्षेत्र में निवेश किया जाना चाहिए।
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