(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)
संदर्भ
1 दिसंबर, 2022 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत खुदरा उपयोगकर्ताओं के लिये केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC)- डिजिटल रुपया या ई-रुपया लॉन्च किया है।
प्रमुख बिंदु
- पायलट प्रोजेक्ट के तहत वर्तमान में खुदरा ई-रुपया (e₹-R) को चार शहरों मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू किया गया है, जहाँ ग्राहक और व्यापारी डिजिटल रुपए का उपयोग करने में सक्षम होंगे। इसे अगले चरण के दौरान अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला शहरों में विस्तारित किया जाएगा।
- डिजिटल मुद्रा के शुरूआती चरण में चार बैंको स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक, यस बैंक और आई.डी.एफ.सी. फर्स्ट बैंक को शामिल किया गया है। आगामी समय में चार अन्य बैंकों बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एच.डी.एफ.सी. बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
खुदरा ई-रुपया
- खुदरा ई-रुपया, खुदरा लेनदेन के लिये नकद का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है, जो संभावित रूप से निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों द्वारा उपयोग किया जा सकता है और भुगतान एवं निपटान के लिये सुरक्षित धन तक पहुँच प्रदान कर सकता है।
- रिज़र्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल रुपए को दो श्रेणियों खुदरा (e ₹-R) और थोक (e ₹-W) में विभाजित किया गया है। 1 नवंबर, 2022 को आर.बी.आई. ने सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन को व्यवस्थित करने के लिये थोक ई-रुपया को शुरू किया था।
केंद्रीय बैंक डिजिटल रुपया
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- केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा या ई-रुपया डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक कानूनी निविदा है।
- यह फिएट करेंसी के समान है और इसका फिएट करेंसी के साथ विनिमय संभव है। लेकिन यह भौतिक नकदी के समान कागज की मुद्रा नहीं है बल्कि केंद्रीय बैंक की एक डिजिटल मुद्रा है।
- यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग है, क्योंकि यह एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और समर्थित वैध मुद्रा है।
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खुदरा ई-रुपया के उपयोग
- ई-रुपए कागजी मुद्रा और सिक्कों के समान मूल्यवर्ग में जारी किये जाएंगे और मध्यस्थों अर्थात् बैंकों के माध्यम से वितरित किये जाएंगे।
- यह लेन-देन इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल बैंकों द्वारा पेश किये गए एक डिजिटल वॉलेट के माध्यम से होगा जो मोबाइल फोन और उपकरणों में संग्रहीत होगा।
- यह लेन-देन व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति से व्यापारी (P2M) दोनों रूपों में संभव हैं। व्यक्ति से व्यापारी लेन-देन के लिये व्यापारी के स्थान पर क्यू.आर. कोड स्थापित होंगे।
- एक उपयोगकर्ता बैंकों से डिजिटल टोकन की निकासी भौतिक नकदी के समान ही कर सकता है।
- इसके तहत डिजिटल टोकन को वॉलेट में रखना, ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से खर्च करना और ऐप के माध्यम से स्थानांतरित करना संभव है।
खुदरा ई-रुपया की आवश्यकता
- विगत कुछ वर्षों से डिजिटल लेन-देन में भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही की तुलना में वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में यू.पी.आई. लेनदेन के मात्रा और मूल्य में क्रमशः 118% और 98% की वृद्धि दर्ज की गयी है।
- पारदर्शी और कुशल तकनीक पर आधारित डिजिटल रुपया ग्राहकों को भुगतान प्रणाली तक निरंतर पहुँच प्रदान करेगा।
खुदरा ई-रुपया के लाभ
- नकदी पर कम निर्भरता
- लेन-देन में कम लागत के कारण उच्च मुनाफा
- निपटान जोखिम में कमी
- मुद्रा की छपाई, परिवहन, भंडारण और वितरण लागत में कमी
- अंतर बैंक भुगतान की आवश्यकता नहीं
- निपटान दक्षता में वृद्धि
- सीमा पार भुगतान में नवाचार को प्रोत्साहन